अंडर-19 का मैच खेलने पहुंचे स्टेडियम, मिली मां की मौत की खबर, कुछ ऐसी है चेतेश्वर पुजारा की कहानी

पुजारा ने 9  अक्टूबर 2010 में  ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट से डेब्यू किया था, जबकि उन्होंने 2013 में वनडे मैच में जिम्बाब्वे के खिलाफ अपना पहला डेब्यू किया था।

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 25, 2020 07:32 AM2020-01-25T07:32:59+5:302020-01-25T07:32:59+5:30

Birthday Special: When only 17, Pujara was forced to deal with the news that his mother, Rinaben, had lost her battle with cancer | अंडर-19 का मैच खेलने पहुंचे स्टेडियम, मिली मां की मौत की खबर, कुछ ऐसी है चेतेश्वर पुजारा की कहानी

अंडर-19 का मैच खेलने पहुंचे स्टेडियम, मिली मां की मौत की खबर, कुछ ऐसी है चेतेश्वर पुजारा की कहानी

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इंडियन क्रिकेट टीम के भरोसेमंद बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा का आज 32 वां जन्मदिन है। 25 जनवरी 1988 को गुजरात के राजकोट में जन्मे पुजारा ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत 17 साल की उम्र से की थी। 

पुजारा ने 9  अक्टूबर 2010 में  ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट से डेब्यू किया था, जबकि उन्होंने 2013 में वनडे मैच में जिम्बाब्वे के खिलाफ अपना पहला डेब्यू किया था। उन्होंने चार टेस्ट मैचों में तीन शतक और एक अर्धशतक की मदद से 521 रनों का स्कोर खड़ा किया था। इसके लिए उन्हे 'मैन ऑफ द सीरीज' खिताब से नवाजा गया था। पुजारा आज टीम इंडिया में जिस मुकाम पर हैं उसके लिए उन्होंने बहुत से बलिदान दिए हैं।

पुजारा ने अपने क्रिकेट करियर के शुरुआती दिनों का याद करते हुए एक भावुक किस्सा बताया था। जब वह 2005 में अंडर-19 का मैच खेलने के निकले थे, तब उन्होंने अपनी मां से फोन पर बात की थी। पुजारा ने मां से कहा कि जब वह मैच खेलकर वापस लौटें, तो पिता उन्हें लेने आ जाएं, लेकिन जब वह अगले दिन दोबारा मैच खेलने स्टेडियम पहुंचे तो उन्हें मां की मौत की खबर मिली। उस वक्त पुजारा की उम्र महज 17 साल की थी।

पुजारा बताते हैं कि मां ने उन्हें ईमानदार होना सिखाया है। वो बताती थीं कि ईमानदारी से ही वह सब कुछ हासिल कर सकते हो। पुजारा आज भी मां की नसीहत का पालन करते हैं।

त्योहारों का कर दिया था त्याग: इतना ही नहीं पुजारा ने क्रिकेट के लिए होली, दीवाली जैसे बड़े त्योहारों का भी त्याग कर दिया था। उनके पापा चाहते थे कि वे टीम इंडिया के लिए खेलें। इसलिए उनके पिता उन्हें दीपावली पर पटाखे और होली पर रंग से खेलने के लिए हमेशा रोका करते थे, उन्हें डर था कि कहीं उनके बेटे के हाथ या आंख में किसी तरह की दिक्कत ना हो जाए। बता दें कि पुजारा बेहद धार्मिक हैं। वह मैच खेलने से पहले पूजा जरूर करते हैं।

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