चीन सहित एशिया-प्रशांत के 15 देशों के बीच दुनिया का सबसे बड़ा व्यापार करार, भारत शामिल नहीं

By भाषा | Updated: November 15, 2020 18:43 IST2020-11-15T18:43:57+5:302020-11-15T18:43:57+5:30

World's largest trade agreement between 15 countries of Asia-Pacific including China, India not included | चीन सहित एशिया-प्रशांत के 15 देशों के बीच दुनिया का सबसे बड़ा व्यापार करार, भारत शामिल नहीं

चीन सहित एशिया-प्रशांत के 15 देशों के बीच दुनिया का सबसे बड़ा व्यापार करार, भारत शामिल नहीं

सिंगापुर, 15 नवंबर चीन सहित एशिया-प्रशांत के 15 देशों ने रविवार को दुनिया के सबसे बड़े व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए। इन देशों के बीच क्षेत्रीय वृहद आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) करार हुआ है। इस समझौते में भारत शामिल नहीं है।

इन देशों ने उम्मीद जताई कि इस समझौते से कोविड-19 महामारी के झटकों से उबरने में मदद मिलेगी।

आरसीईपी पर 10 देशों के दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) के वार्षिक शिखर सम्मेलन के समापन के बाद रविवार को वर्चुअल तरीके से हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता करीब आठ साल तक चली वार्ताओं के बाद पूरा हुआ है। ‘चैनल न्यूज एशिया’ ने कहा कि इस समझौते के दायरे में करीब एक-तिहाई वैश्विक अर्थव्यवस्था आएगी। समझौते के बाद आगामी वर्षों में सदस्य देशों के बीच व्यापार से जुड़े शुल्क और नीचे आएंगे।

समझौते पर हस्ताक्षर के बाद सभी देशों को आरसीईपी को दो साल के दौरान अनुमोदित करना होगा जिसके बाद यह प्रभाव में आएगा।

भारत इस समझौते में शामिल नहीं है। भारत पिछले साल समझौते की वार्ताओं से हट गया था, क्योंकि ऐसी आशंका है कि शुल्क समाप्त होने के बाद देश के बाजार आयात से पट जाएंगे, जिससे स्थानीय उत्पादकों को भारी नुकसान होगा। हालांकि, अन्य देश पूर्व में कहते रहे हैं कि आरसीईपी में भारत की भागीदार के द्वार खुले हुए हैं। यहां उल्लेखनीय है कि आरसीईपी में चीन प्रभावशाली है।

आरसीईपी का सबसे पहले प्रस्ताव 2012 में किया गया था। इसमें आसियन के 10 देश...इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपीन, सिंगापुर, थाइलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यामां और कंबोडिया के साथ चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। अमेरिका इस समझौते में शामिल नहीं है।

मेजबान देश वियतनाम के प्रधानमंत्री गुयेन जुआन फुक ने कहा, ‘‘मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि आठ साल की कड़ी मेहनत के बाद हम आधिकारिक तौर पर आरसीईपी वार्ताओं को हस्ताक्षर तक लेकर आ पाए हैं।’’

फुक ने कहा, ‘‘आरसीईपी वार्ताओं के पूरा होने के बाद इस बारे में मजबूत संदेश जाएगा कि बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को समर्थन देने में आसियान की प्रमुख भूमिका रहेगी। यह दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार समझौता है। इससे क्षेत्र में एक नया व्यापार ढांचा बनेगा, व्यापार सुगम हो सकेगा और कोविड-19 से प्रभावित आपूर्ति श्रृंखला को फिर से खड़ा किया जा सकेगा।’’

इस करार से सदस्य देशों के बीच व्यापार पर शुल्क और नीचे आएगा। यह पहले ही काफी निचले स्तर पर है।

अधिकारियों ने कहा कि इस समझौते में भारत के फिर से शामिल होने की संभावनाओं को खुला रखा गया है। समझौते के तहत अपने बाजार को खोलने की अनिवार्यता के कारण घरेलू स्तर पर विरोध की वजह से भारत इससे बाहर निकल गया था।

जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने कहा कि उनकी सरकार समझौते में भविष्य में भारत की वापसी की संभावना समेत स्वतंत्र एवं निष्पक्ष आर्थिक क्षेत्र के विस्तार को समर्थन देती है और उन्हें इसमें अन्य देशों से भी समर्थन मिलने की उम्मीद है।

मलेशिया के अंतरराष्ट्रीय व्यापार एवं उद्योग मंत्री मोहम्मद आजमीन अली ने कहा, ‘‘यह समझौता संकेत देता है कि आरसीईपी देशों ने इस “मुश्किल समय में संरक्षणवादी कदम उठाने के बजाय अपने बाजारों को खोलने’’ का फैसला किया है।

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Web Title: World's largest trade agreement between 15 countries of Asia-Pacific including China, India not included

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