विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस: हक से लें अपना अधिकार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 15, 2019 01:48 PM2019-03-15T13:48:02+5:302019-03-15T13:51:31+5:30
हमारे देश की बहुत बड़ी आबादी अशिक्षित है, जो अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति अनजान है। लेकिन जो शिक्षित लोग हैं, अधिकतर वे भी अपने उपभोक्ता अधिकारों के प्रति उदासीन नजर आते हैं...
दुनिया भर में हर साल 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है। यह दिवस उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए मनाया जाता है। विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस सबसे पहले 15 मार्च 1983 को मनाया गया था। इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करना है।
इस दिन विभिन्न देशों में उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करने के लिए कई तरह के प्रोग्राम किए जाते हैं। 15 मार्च, 1962 को अमेरिकी कांग्रेस में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने उपभोक्ता अधिकारों को लेकर शानदार भाषण दिया था। इस ऐतिहासिक भाषण के उपलक्ष्य में 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है।
उपभोक्ता की आम समस्याएं
कई बार ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है कि किसी भी वस्तु को उसपर लिखे गए कीमत से ज्यादा दाम पर बेंचा जाता है, दुर्घटना होने पर भी कई बार बीमा कंपनी क्लेम का भुगतान नहीं करती। बाजार से चिप्स या कुछ भी पैकेट बंद सामान खरीदने के बाद पैकेट खोलने पर सामान खराब निकलने पर भी दुकानदार पैकेट बदलने को तैयार नहीं होते। इस तरह की कई छोटी-बड़ी समस्याओं का सामना होने पर मन ही मन कुढ़ते रहते हैं।
उपभोक्ता के अधिकार
यदि आप भी ऐसी परेशानी का सामना किए हैं तो अपने अधिकारों की लड़ाई लड़कर न्याय पा सकते हैं। लेकिन ध्यान दें कोई वस्तु, सेवा लेते समय भुगतान करते हैं पर उसकी रसीद नहीं लेते। सबसे जरूरी है कि आप जो भी वस्तु, सेवा अथवा उत्पाद खरीदें, प्रूफ के तौर पर उसकी रसीद जरूर लें।
यदि आपके पास कोई सबूत ही नहीं है तो आप सामने वाले की गलती साबित नहीं कर पाएंगे। कई ऐसे मामले हैं जिनमें उपभोक्ता अदालतों से उपभोक्ताओं को पूरा न्याय मिला है। कई मामलों में आरोपी व्यक्ति या कंपनी को मानसिक प्रताड़ना और अन्य हर्जाना भी चुकाना पड़ा है।
स्पीड पोस्ट द्वारा आवेदन भेजने के बाद भी सही समय पर आवेदन न पहुंचने पर डाक विभाग की लापरवाही को लेकर भी उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटाया जा सकता है। स्पीड पोस्ट को डाक अधिनियम में एक आवश्यक सेवा माना गया है। ऐसे में उपभोक्ता अदालत यदि डाक विभाग को दोषी पाती है तो उसे मुआवजा देने का आदेश दे सकती है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के आने से उपभोक्ताओं को शीघ्र, त्वरित व कम खर्च पर न्याय दिलाने का काम आसान हुआ है। उपभोक्ताओं को किसी भी प्रकार की सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियां व प्रतिष्ठान भी अपनी सेवाओं अथवा उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार करने के प्रति सचेत हुए हैं।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 14 में स्पष्ट किया गया है कि यदि मामले की सुनवाई के दौरान यह साबित हो जाता है कि वस्तु अथवा सेवा किसी भी प्रकार से दोषपूर्ण है तो उपभोक्ता मंच द्वारा विक्रेता, सेवादाता या निर्माता को यह आदेश दिया जा सकता है कि वह खराब वस्तु को बदले और उसके बदले दूसरी वस्तु दे तथा क्षतिपूर्ति का भी भुगतान करे या फिर ब्याज सहित पूरी कीमत वापस करे।
इस समय देशभर में 500 से भी अधिक जिला उपभोक्ता फोरम हैं तथा प्रत्येक राज्य में एक राज्य उपभोक्ता आयोग है। राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग नई दिल्ली में है।