मोदी सरकार बना रही है नई टेलीकॉम पॉलिसी, 40 लाख लोगों को रोजगार देने का मकसद
By भारती द्विवेदी | Published: May 2, 2018 04:17 PM2018-05-02T16:17:54+5:302018-05-02T16:17:54+5:30
इस टेलीकॉम पॉलिसी के जरिए राज्यों, केंद्रीय एजेंसियों, टेलीकॉम कंपनियों और स्टार्टअपों को पता चल सके कि अगले कुछ सालों में सरकार कौन सी नीति लाने वाली है।
नई दिल्ली, 2 मई: सरकार ने मंगलवार को (1 मई) को टेलीकॉम सेक्टर को लेकर अपनी नई टेलीकॉम पॉलिसी-2018 ड्राफ्ट किया है। जिसका लक्ष्य 5जी, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, रोबोटिक्स, क्लाउंड कंप्यूटिंग और मशीन टू मशीन कम्यूनिकेशन है। डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन की तरफ से ये ड्राफ्ट जारी किया गया है। इसके मुताबिक 40 लाख लोगों को जॉब मिलेगा। साथ ही 2022 तक 100 अरब डॉलर विदेशी निवेश को आकर्षित करेगा।
इस टेलीकॉम पॉलिसी के जरिए राज्यों, केंद्रीय एजेंसियों, टेलीकॉम कंपनियों और स्टार्टअपों को पता चल सके कि अगले कुछ सालों में सरकार कौन सी नीति लाने वाली है।
सरकार ने आज राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति-2018 नाम से नयी दूरसंचार नीति का मसौदा जारी किया, जिसमें 2022 तक क्षेत्र में 40 लाख नौकरियों के सृजन का लक्ष्य रखा गया है। नई टेलीकॉम पॉलिसी के ड्राफ्ट में देश के प्रत्येक नागरिक को 50 एमबीपीएस ब्रॉडबैंड सेवा उपलब्ध कराने, क्षेत्र में 100 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित करने और 2022 तक 40 लाख नौकरियां देने की मंशा जाहिर की गई है।
नई टेलीकॉम पॉलिसी के ड्राफ्ट में, ‘हर नागरिक को 50 एमबीपीएस की ब्रॉडबैंड सेवा उपलब्ध कराने के साथ, 2020 तक देश की सभी ग्राम पंचायतों को एक जीबीपीएस और 2022 तक 10 जीबीपीएस ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने का भी लक्ष्य रखा गया है।’ मसौदे के अनुसार देश के विकास को नयी पीढ़ी की प्रौद्योगिकी के माध्यम से गति देने के लिए क्षेत्र में 2022 तक 100 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित किया जायेगा।
मसौदे में ऋण के बोझ से दबे दूरसंचार क्षेत्र को उबारने की भी प्रतिबद्धता जतायी गई है। इसके लिए दूरसंचार कंपनियों की लाइसेंस फीस, स्पेक्ट्रम इस्तेमाल शुल्क, सार्वभौमिक सेवादायित्व कोष के शुल्क की समीक्षा की जाएगी, क्योंकि इन सभी शुल्कों के चलते दूरसंचार सेवा की लागत बढ़ती है। नयी नीति के मसौदे में क्षेत्र में कारोबार सुगमता पर भी जोर दिया गया है।