Videocon loan case: आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ-एमडी चंदा कोचर और पति दीपक पर नकेल, 26 दिसंबर तक सीबीआई की हिरासत में
By सतीश कुमार सिंह | Published: December 24, 2022 04:09 PM2022-12-24T16:09:41+5:302022-12-24T16:11:05+5:30
Videocon loan case: चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को 2012 में वीडियोकॉन समूह को बैंक द्वारा स्वीकृत ऋण में कथित धोखाधड़ी और अनियमितताओं के सिलसिले में शुक्रवार को गिरफ्तार किया था।
मुंबईः वीडियोकॉन ऋण मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर ने नकेल कस दिया है। मुंबई की अदालत ने चंदा और दीपक कोचर को 26 दिसंबर तक सीबीआई की हिरासत में भेजा है।
चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को 2012 में वीडियोकॉन समूह को बैंक द्वारा स्वीकृत ऋण में कथित धोखाधड़ी और अनियमितताओं के सिलसिले में शुक्रवार को गिरफ्तार किया था। अधिकारियों ने कहा कि चंदा कोचर और उनके पति को एजेंसी मुख्यालय बुलाया गया था और संक्षिप्त पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया।
Videocon loan case: Mumbai court remands former ICICI Bank CEO-MD Chanda Kochhar, husband Deepak Kochhar in CBI custody till December 26
— Press Trust of India (@PTI_News) December 24, 2022
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि वे जवाब देने में टालमटोल कर रहे थे और जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे। दोनों को शनिवार को सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया जाएगा। उन्हें चिकित्सकीय जांच के बाद 11 मंजिला एजेंसी मुख्यालय के भूतल पर अलग-अलग हवालात में रखे जाने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि सीबीआई ने चंदा कोचर, उनके पति और वीडियोकॉन समूह के वेणुगोपाल धूत के साथ-साथ नूपावर रिन्यूएबल्स, सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत दर्ज प्राथमिकी में आरोपी के रूप में दर्ज किया था।
उन्होंने बताया, ऐसा आरोप है कि वीडियोकॉन के प्रवर्तक वेणुगोपाल धूत ने 2012 में आईसीआईसीआई बैंक से वीडियोकॉन समूह को 3,250 करोड़ रुपये का कर्ज मिलने के बाद कथित तौर पर नूपावर में करोड़ों रुपये का निवेश किया।
सीबीआई ने 2019 में प्राथमिकी दर्ज करने के बाद एक बयान में कहा था कि यह आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने आईसीआईसीआई बैंक को धोखा देने के लिए आपराधिक साजिश में निजी कंपनियों को कुछ ऋण मंजूर किए थे।