उत्तर प्रदेशः आईएएस पर भारी सीएम प्रोजेक्ट की अनदेखी! नरेंद्र भूषण से सीईओ यूपीडा और उपसा का अतिरिक्त प्रभार वापस लिया, जानें क्या है कहानी

By राजेंद्र कुमार | Published: July 8, 2023 08:04 PM2023-07-08T20:04:03+5:302023-07-08T20:05:18+5:30

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम  प्रोजेक्ट है. वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इसे शुरू किया गया था.

Uttar Pradesh CM Yogi Adityanath project ignored on IAS Withdrawal additional charge of CEO UPDA and UPSA from Narendra Bhushan know what story | उत्तर प्रदेशः आईएएस पर भारी सीएम प्रोजेक्ट की अनदेखी! नरेंद्र भूषण से सीईओ यूपीडा और उपसा का अतिरिक्त प्रभार वापस लिया, जानें क्या है कहानी

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Highlightsनरेंद्र भूषण के पास इन दोनों दायित्वों को वापस लिए जाने की चर्चा थी.मार्च 2022 में इस प्रोजेक्ट को पूरा हो जाना था, लेकिन अभी तक वह पूरा नहीं हो सका है. प्रोजेक्ट को तेजी से पूरा करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने कई बार दिए.

लखनऊः उत्तर प्रदेश में 1992 बैच के आईएएस नरेंद्र भूषण (एनबी) के पास से शनिवार को सीईओ यूपीडा और उपसा का अतिरिक्त प्रभार वापस ले लिया गया. यह दायित्व अब सूबे के औद्योगिक विकास आयुक्त (आईआईडीसी) मनोज कुमार सिंह को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है. बीते एक सप्ताह से नरेंद्र भूषण के पास इन दोनों दायित्वों को वापस लिए जाने की चर्चा थी.

कहा जा रहा है कि गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे का कार्य तेज करने में नरेंद्र भूषण द्वारा की गई अनदेखी के चलते ही उनके पास से यह दोनों विभाग लिए गए है. गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम  प्रोजेक्ट है. वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इसे शुरू किया गया था.

मार्च 2022 में इस प्रोजेक्ट को पूरा हो जाना था, लेकिन अभी तक वह पूरा नहीं हो सका है. इस प्रोजेक्ट को तेजी से पूरा करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने कई बार दिए. इसके बाद भी गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के निर्माण कार्य में तेजी नहीं आयी. और बीते दिनों जब मुख्यमंत्री गोरखपुर में थे तो उन्हे चला कि निर्माण कार्य की जो गति है उसके चलते इस वर्ष में यह प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सकेगा.

इसकी के बाद शनिवार को मुख्यमंत्री के निर्देश पर नरेंद्र भूषण से सीईओ यूपीडा और उपसा का अतिरिक्त प्रभार वापस ले लिया गया. चर्चा यह भी है कि सीएम योगी ने नरेंद्र भूषण को सुस्त अफसर मानते हुए उन्हे प्रमुख सचिव औद्योगिक विभाग से ही हटाने जाने का मन बनाया लिया था.

लेकिन एक अपर मुख्य सचिव के कहने पर नरेंद्र भूषण को औद्योगिक विभाग से हटाया नहीं गया है. सिर्फ उनके पास दो विभाग ही हटाकर यह संकेत दिया गया कि वह ज़िम्मेदारी से कार्य करने अन्यथा अन्य विभाग भी उनके पास से हटाए जा सकते हैं. फिलहाल सीएम के इस एक्शन से यह कहा जा रहा है सूबे में राजसत्ता की अनदेखी करने वाले नौकरशाहों को ऐसे ही सबक सिखाये जाते रहेंगे. 

कौन है नरेंद्र भूषण

यूपी कैडर में वर्ष 1992 बैच के आईएएस अफसर नरेंद्र भूषण मूल रूप से पंजाब के भठिंडा शहर के रहने वाले हैं. उनके एडमिनिस्ट्रेटिव करियर की शुरुआत हरदोई में असिस्टेंट कलेक्टर के तौर पर हुई थी. उन्हें उत्तर प्रदेश में उद्योग बंधु, उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम और औद्योगिक विकास  विभाग और विकास प्राधिकरणों  में काम करने का लंबा अनुभव है.

औद्योगिक विकास विभाग में प्रमुख सचिव के पद पर नरेंद्र भूषण की यह छठी पोस्टिंग है. वह दो बार उद्योग बंधु के कार्यकारी निदेशक रह चुके हैं. दो बार औद्योगिक विकास विभाग के विशेष सचिव रह चुके हैं और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी रह चुके हैं.

वह 7 वर्षों तक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात रहे हैं. उत्तर प्रदेश वापस आने के बाद उन्हें 13 सितंबर 2018 को ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण का मुख्य कार्यपालक अधिकारी बना कर भेजा गया था. करीब 4 वर्षों तक नरेंद्र भूषण ने ग्रेटर नोएडा में काम किया.

फिर 1 मई 2022 को उन्हें लोक निर्माण विभाग में प्रमुख सचिव बनाया गया. इस विभाग में विभागीय मंत्री से उनकी अनबन हुई और उन्हे हटना पड़ा. तो उन्हे प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास बनाकर कई महत्वपूर्ण दायित्व सौंपे गए. उनमे से दो दायित्व शनिवार को हटा लिए गए.

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