कागज उद्योग को सरकार की सपोर्ट की सख्त जरूरत, आईपीएमए

By संदीप दाहिमा | Updated: December 3, 2025 20:21 IST2025-12-03T20:10:42+5:302025-12-03T20:21:36+5:30

कागज उद्योग ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए, और इसके साथ ही तैयार कागज के आयात पर नियंत्रण करे।

The paper industry is in dire need of government support IPMA | कागज उद्योग को सरकार की सपोर्ट की सख्त जरूरत, आईपीएमए

कागज उद्योग को सरकार की सपोर्ट की सख्त जरूरत, आईपीएमए

कागज उद्योग ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए, और इसके साथ ही तैयार कागज के आयात पर नियंत्रण करे। उद्योग का तर्क है कि कच्चे माल (जैसे लुगदी और कृषि अवशेष) की कमी और आयातित सस्ते कागज की बाजार में भरमार ने घरेलू विनिर्माण को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिससे कई मिलें बंद होने के कगार पर हैं या पहले ही बंद हो चुकी हैं। कागज के आयात पर गैर-टैरिफ बाधाएं (जैसे गुणवत्ता नियंत्रण आदेश - क्यूसीओ) लागू करें ताकि केवल उच्च गुणवत्ता वाला कागज ही देश में प्रवेश कर सके।

ये मांग यहां द्वारका के यशोभूमी कंवेशन सेंटर में बुधवार से शुरू हुए पेपरेक्स 2025 का 17वां संस्करण 

के उद्घाटन मौके पर इंडियन पेपर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईपीएमए) के अध्यक्ष पवन अग्रवाल ने उठाई। इंफॉर्मा मार्केट्स इन इंडिया द्वारा आयोजित इस संस्करण में 28 देशों के 675 प्रमुख प्रदर्शक शामिल हुए और 33,000 से अधिक व्यापारिक आगंतुकों पहुंच रहे हैं। यह चार दिवसीय आयोजन इंडियन एग्रो एंड रीसाइकिल्ड पेपर मिल्स एसोसिएशन के सहयोग से और वर्ल्ड पेपर फोरम के समर्थन से आयोजित किया गया है।

आईपीएमए के अध्यक्ष पवन अग्रवाल ने कहा कि कागज के आयात में लगातार वृद्धि, खासकर चीन और आसियान से घरेलू कागज उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता को नुकसान पहुंचा रही है। क्षमता और स्थिरता संबंधी पहलों में महत्वपूर्ण निवेश के बावजूद, भारतीय कागज निर्माता, आत्यधिक आयात के कारण, कम उपयोग वाले संयंत्रों से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस समय इस कागज उद्योग को सरकार की सपोर्ट की जरूरत है। 

उद्घाटन समारोह में केंद्रीय राज्य मंत्री बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा श्रीपद नाइक वर्चुअल रूप से शामिल हुए। 

श्रीपद नाइक ने कहा कि यह उद्योग सालाना 7-8 फीसदी की बढ़ती मांग और 2030 तक उत्पादन क्षमता के 24 मिलियन टन से बढ़कर 32 मिलियन टन होने की उम्मीद के साथ, यह क्षेत्र ग्रामीण रोज़गार, एमएसएमई विकास, पैकेजिंग, शिक्षा और सामाजिक प्रगति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इंफॉर्मा मार्केट्स इन इंडिया के प्रबंध निदेशक, योगेश मुद्रास ने कहा, " पेपर उपभोग 2024-25 में 23.5 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है, जबकि भारत का प्रति व्यक्ति उपयोग 15 किलोग्राम है, जो वैश्विक औसत 57 किलोग्राम से काफी कम है, जो भारी विकास क्षमता प्रस्तुत करता है। 2028 तक बाजार का अनुमानित विकास 16.64 बिलियन डॉलर इस गति को रेखांकित करता है।" 

इंडियन एग्रो एंड रीसाइकिल्ड पेपर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमोद अग्रवाल ने कहा कि भारतीय कागज क्षेत्र में लगभग 900 मिलें शामिल हैं, जिनमें से लगभग 200 वर्तमान में बंद हो गई हैं। जबकि ​ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे अधिक रोजगार देना वाला उद्योग है। जिस पराली जलाने को लेकर दिल्ली-एनसीआर सहित पूरे देश में हो हल्ला हो रहा है। कागज उद्योग 3 रुपए किलो उस पराली को खरीदने के लिए तैयार है। पंजाब-हरियाणा के किसानों से यह पराली खरीदी भी जा रही है। इस समय इस उद्योग को सरकार की सपोर्ट की सख्त जरूरत है।

Web Title: The paper industry is in dire need of government support IPMA

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे