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राजस्थान में वाणिज्यिक कर विभाग की कार्यप्रणाली होगी बेहतर, पुनर्गठन को मंजूरी

By भाषा | Updated: September 24, 2021 19:15 IST

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जयपुर, 24 सितंबर राजस्थान सरकार ने माल व सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने के बाद बदले हुए परिदृश्य तथा राज्य में इसके बेहतर व प्रभावी क्रियान्वयन के लिए वाणिज्यिक कर विभाग के पुनर्गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके तहत बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था के लिए जोन, नियमित सर्किल एवं वार्डों की संख्या बढ़ाई जा रही है।

एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके साथ करदाताओं की सुविधा के लिए अपीलीय प्राधिकारी कार्यालय भी स्वीकृत किए गए हैं। कर अपवंचन रोकने के लिए प्रवर्तन प्रकोष्ठ को मजबूत किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री गहलोत ने राजस्थान वाणिज्यिक कर सेवा और राजस्थान वाणिज्यिक कर (अधीनस्थ) सेवा के 15 अतिरिक्त पद सृजित करने की स्वीकृति दी है। मुख्यमंत्री के इस निर्णय से विभाग के कैडर की संख्या बढ़कर 1833 हो जाएगी।

इसी तरह राज्य में जीएसटी के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए भिवाड़ी में नया जोन बनाया जाएगा। इससे प्रशासनिक जोन की संख्या 16 हो जाएगी। जोन जयपुर-4 और जोधपुर-2 को कार्यात्मक बनाया जाएगा। नियमित सर्किल की संख्या डेढ गुना तक बढ़ाकर 82 से 135 की जाएगी। नियमित वार्ड की संख्या भी 296 से 320 की जाएगी।

बयान के अनुसार इससे डीलरों की शिकायतों के पंजीकरण व मूल्यांकन के साथ ही राजस्व संग्रहण से जुड़े कार्यों में भी सुगमता आएगी। जीएसटी की शुरूआत के बाद विशेष सर्किल, वर्क्स कान्ट्रेक्टस व लीजिंग टैक्स की प्रासंगिकता नहीं रही है, इसलिए उन्हें समाप्त किया जा रहा है।

वहीं करदाताओं की सुविधा के लिए कोटा जोन में अपीलीय प्राधिकारी का कार्यालय स्वीकृत किया गया है। इससे करदाताओं को कर मूल्यांकन अधिकारियों द्वारा पारित आदेशों के विरूद्ध स्थानीय स्तर पर ही अपील करने की सुविधा मिल सकेगी। आडिट एंड कर चोरी रोकने के कार्य के सुदृढ़ीकरण के लिए व्यापार आसूचना इकाई का गठन किया जा रहा है।

बयान के अनुसार ईमानदारी से अपने कर दायित्व का निर्वहन करने वाले करदाताओं की शिकायतों के समाधान के लिए ‘टैक्सपेयर केयर यूनिट’ गठित की जा रही है। इसमें योग्य सीए एवं कर व्यवसायी शामिल होंगे।

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के कर राजस्व संग्रहण में वाणिज्यिक कर विभाग महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। राज्य के कर राजस्व में इसका योगदान लगभग 50 प्रतिशत तक है। वित्त वर्ष 2021-22 में कर राजस्व लक्ष्य 60 हजार करोड़ रूपए से अधिक का है। वर्तमान में इस विभाग द्वारा राज्य में आरजीएसटी एक्ट-2017, राजस्थान वैट एक्ट-2003 तथा राजस्थान इलेक्ट्रिसिटी (ड्यूटी) एक्ट-1962 का क्रियान्वयन किया जाता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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