केयर्न को 1.4 अरब डॉलर वापस करने का मामला; सीतारमण ने कहा आदेश को चुनौती देना उनका कर्तव्य

By भाषा | Published: March 5, 2021 05:50 PM2021-03-05T17:50:39+5:302021-03-05T17:50:39+5:30

The case of returning $ 1.4 billion to Cairn; Sitharaman said his duty to challenge the order | केयर्न को 1.4 अरब डॉलर वापस करने का मामला; सीतारमण ने कहा आदेश को चुनौती देना उनका कर्तव्य

केयर्न को 1.4 अरब डॉलर वापस करने का मामला; सीतारमण ने कहा आदेश को चुनौती देना उनका कर्तव्य

नयी दिल्ली, पांच मार्च वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संकेत दिया कि भारत सरकार केयर्न एनर्जी मामले में अंतराष्ट्रीय पंचनिर्णय मंच के आदेश के खिलाफ अपील करेगी। पंचनिर्णय फोरम ने सरकार को आदेश दिया है कि वह कर संबंधी विवाद में ब्रिटेन की केयर्न एनजी कंपनी को 1.4 अरब डॉलर की राशि वापस करे।

सीतारमण ने कहा कि यह उनका कर्तव्य बनता है कि वह ऐसे मामलों में अपील करें जहां राष्ट्र के कर लगाने के संप्रभु अधिकार पर सवाल उठाया गया हो।

सरकार पिछले साल अंतराष्ट्रीय पंचनिर्णय अदालतों में दो चर्चित मामलों में मुकदमा हार गयी। इन दोनों ही मामलों में ब्रिटेन की कंपनियों पर भारत के आयकर कानून में पिछली तिथि से प्रभावी संशोधन के तहत कर आरोपित किए गए थे।

इनमें से वोडाफोन ग्रुप से जुड़े अंतरराष्ट्रीय पंच-निर्णय फोरम के फैसले को सरकार ने सिंगापुर की एक अदालत में चुनौती दी है।अंतररार्ष्टीय पंच-निर्णय फोरम ने वोडाफोन पर भारत में 22,100 करोड़ रुपये के कर की मांग के कर अधिकारियों के निर्णय को निरस्त कर दिया गया था।

सरकार ने अभी केयर्न एनर्जी के मामले में 21 दिसंबर, 2020 के निर्णय के खिलाफ अपील नहीं की है। इस निर्णय में भारत को केयर्न के खिलाफ 10,247 करोड़ रुपये की कर की मांग के संबंध में कंपनी के जब्त कर के बेच दिए गए शेयरों का दाम, जब्त लाभांश तथा वापस नहीं किए गए कर रिफंड को लौटाने का आदेश है।

सीतारमण ने कहा, ‘हम पिछली तिथि से काराधान के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं। हमने 2014, 2015, 2016, 2017, 2019, 2020 में इसको दोहराया और अब भी वही कह रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि इसमें स्पष्टता की कोई कमी है।’ वित्त मंत्री ने कहा कि 2012 में आयकर में पिछली तिथि से प्रभावी किए गए संशोधन के आधार पर नरेंद्र मोदी सरकार ने कर का कोई नया नोटिस जारी नहीं किया है।

उन्होंने कहा , ‘ मुझे जहां दिखता है कि पंचनिर्णय मंच के आदेश में कर लगाने के भारत के संप्रभु अधिकार पर सवाल उठाया गया है....यदि सवाल कर लगाने के संप्रभु अधिकार के बारे में है, तो मैं अपील जरूर करूंगी। अपील करना मेरा कर्तव्य है।’

उन्होंने कहा कि ‘पंच-अदालत का कोई आदेश सरकार के कर लगाने के अधिकार पर सवाल खड़ा करता है, तो मैं उसे चुनौती जरूर दूंगी।’ लेकिन उन्होंने अपने कथन में सीधे नाम लेकर केयर्न मामले में अपील की बात नहीं की।

सीतारमण का यह बयान ऐसे समय आया है जबकि अभी कुछ दिनों पहले वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की केयर्न के प्रतिनिधियों के साथ इस विवाद के सर्वमान्य समाधान के लिए तीन दौर की बात हो चुकी है। इस बातचीत में केयर्न के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) साइमन थॉमसन ने भी भाग लिया है।

आयकर विभाग ने केर्यन एनर्जी को उसकी भारतीय अनुषंगी केयर्न इंडिया के वित्त वर्ष 2006-07 के प्रथम सार्वजनिक निर्गम से पहले अनुषंगी के पुनर्गठन में हुए ‘पूंजीगत’ लाभ पर कर जमा करने का मुद्दा उठाया था। विभाग ने मार्च, 2015 में कंपनी को 10,247 करोड़ रुपये के कर बकाया का नोटिस जारी किया।

केयर्न ने उस समय कहा कि उसने भारत में कार्यरत अंपनी कंपनी में हिस्सेदारी का जो भी पुनर्गठन किया वह कानून के अनुसार था और उसने इसके लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) सहित भारत के विभिन्न नियामकों की मंजूरी ली गयी थी।

कंपनी ने करापवंचन की बात से इनकार किया था। पर कर विभाग ने कंपनी के खिलाफ वसूली की कार्रवाई जारी रखी।

केयर्न एनर्जी इस मामले को हेग में अंतराष्ट्रीय पंच निर्णय फोरम में ले गयी। पंच-निर्णय मंच ने पिछले दिसंबर में एक राय से निर्णय दिया कि केयर्न एनर्जी पर पिछली तिथि से नया कर लगा कर भारत ने भारत-ब्रिटेन निवेश संरक्षण संधि का उल्लंघन किया। मंच ने भारत सरकार को कंपनी से कर की मांग पर जोर न देने को कहा।

केयर्न ने सरकार के साथ तीन दिन की बातचीत के बाद पिछले महीने एक बयान मे कहा कि हेग के पंचनिर्णय फोरम का गठन ब्रिटेन-भारत द्विपक्षीय निवेश संधि की शर्तों के तहत किया गया था। उसने इस मामले में अपना अंतिम निर्णय सुना दिया है। यह बाध्यकारी आदेश केयर्न के पक्ष में है। इसमें कंपनी को उसकी 1.2 अरब डॉलर की संपत्तियां, ब्याज और लागत सहित वापस करने का आदेश दिया गया है। कुल राशि 1.4 अरब डालर बनती है।

केयर्न ने इस साल के शुरू में भारत सरकार को लिखे एक पत्र में संकेत दिया था कि भारत सरकार ने उसकी संपत्ति नहीं लौटाई, तो वह विदेशों में भारतीय संपत्तियों को जब्त कराने की कार्रवाई कर सकती है।

कंपनी ने इस मामले में अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड और कनाडा जैसी जगहों पर अदालतों में दावे डाल दिए हैं।

केयर्न एनर्जी ने केयर्न इंडिया को 2011 में अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाले वेदांता समूह को बेच दिया था और कंपनी में उसकी हिस्सेदारी 9.8 प्रतिशत ही बची थी। वह इस बाकी हिस्सेदारी को बेचना चाहती है पर आयकर विभाग उसे उसकी छूट नहीं दे रहा है।

सरकार ने उसे उसके हिस्से का लाभांश चुकाए जाने पर भी रोक लगा रखी है।

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