क्यूपिड लिमिटेड के खिलाफ मामला, धोखाधड़ी की आशंका से अदालत में गुहार, सेबी ने दिया आदेश, आखिर क्या है माजरा 

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 5, 2024 11:26 AM2024-04-05T11:26:59+5:302024-04-05T11:27:46+5:30

धोखाधड़ी की आशंका हुई तो विकास लाइव केयर ने क्यूपिड लिमिटेड के खिलाफ अलवर की जिला अदालत में मुकदमा दायर कर दिया.

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क्यूपिड लिमिटेड के खिलाफ मामला, धोखाधड़ी की आशंका से अदालत में गुहार, सेबी ने दिया आदेश, आखिर क्या है माजरा 

Highlightsविकास लाइव केयर लिमिटेड के पक्ष में शेयर स्थानांतरित करने से बचने को कोशिश करने लगे.अदालत ने ओम प्रकाश गर्ग और वीना गर्ग को समन जारी कर जवाब तलब किया.

नई दिल्लीः क्यूपिड लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. विकास लाइव केयर लिमिटेड ने धोखाधड़ी का आरोप लगाया है. दरअसल क्यूपिड लिमिटेड नामक सूचीबद्ध कंपनी के निदेशकों ओम प्रकाश गर्ग और वीना गर्ग ने कंपनी में अपनी 44.84 फीसदी शेयर होल्डिंग से संबंधित 59,81,036 इक्विटी शेयर विकास लाइव केयर लिमिटेड को बेचने के लिए करार किया था. आरोप है कि यह दोनों इस समझौते का पालन करने में आनाकानी करते रहे और विकास लाइव केयर लिमिटेड के पक्ष में शेयर स्थानांतरित करने से बचने को कोशिश करने लगे.

धोखाधड़ी की आशंका से अदालत में लगाई गुहार 

मामले में धोखाधड़ी की आशंका हुई तो विकास लाइव केयर ने क्यूपिड लिमिटेड के खिलाफ अलवर की जिला अदालत में मुकदमा दायर कर दिया. इसके बाद अदालत ने ओम प्रकाश गर्ग और वीना गर्ग को समन जारी कर जवाब तलब किया. सुनवाई के दौरान इन्होंने अदालत को बताया कि वह अपनी शेयर होल्डिंग एक अन्य कंपनी को स्थानांतरित करने का सौदा कर चुके हैं. मामले के तथ्यों को देखते हुए अदालत ने 08 दिसंबर 2023 को उन्हें आदेश दिया कि क्यूपिड लिमिटेड के शेयरों के स्थानांतरण की प्रक्रिया में किसी अन्य तीसरे पक्ष को शामिल नहीं किया जाए. 

नहीं रोकी स्थानांतरण की प्रक्रिया! 

आरोप है कि क्यूपिड लिमिटेड ने शेयर होल्डिंग स्थानांतरित करने के लिए Columbia Petrocom Pvt Ltd और आदित्य कुमार हलवासिया के साथ हुए कथित करार को अंजाम देने की प्रक्रिया को नहीं रोका. इस मामले में वादी विकास लाइव केयर ने आशंका जताई कि क्यूपिड लिमिटेड न्यायालय के 08 दिसंबर के आदेश का उल्लंघन कर रही है.

क्योंकि कंपनी द्वारा 22 लाख शेयरों को अन्य एफपीआई/एफआईआई के पक्ष में जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी. इतना ही नहीं करीब 33 लाख शेयरों के मामले में भी ऐसा ही करने को प्रक्रिया को भी शुरू कर दिया गया था. विकास लाइव केयर ने आशंका जाहिर की कि कोलंबिया पेट्रोकॉम और आदित्य कुमार हलवासिया ना केवल उनके साथ बल्कि जनता के साथ भी बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की कोशिश कर रहे थे. जिसमें ओम प्रकाश और वीना गर्ग की भी मिलीभगत नजर आ रही थी.

अदालत ने दिखाया कड़ा रुख 

मामला जब अदालत के संज्ञान में लाया गया तो अदालत ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया. 30 मार्च 2024 को अलवर के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने इस मामले में कोलंबिया पेट्रोकॉम और आदित्य कुमार हलवासिया को भी प्रतिवादी के तौर पर मुक़दमे में शामिल करने का आदेश जारी कर दिया. इसके साथ ही क्यूपिड लिमिटेड और अन्य प्रति वादियों को शेयरों की संरचना में किसी भी तरह का बदलाव करने और उन्हें किसी तृतीय पक्ष को देने या स्थानांतरित करने से रोक ने का आदेश भी पारित कर दिया.

बैंक गारंटी जमा कराने का भी आदेश 

अदालत ने आदेश में यह भी कहा कि क्यूपिड लिमिटेड की वित्तीय संरचना या शेयरों के संबंध में किसी भी तरह का सौदा करने से पहले अदालत में 149.52 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी जमा करानी होगी.

SEBI को भी दिया आदेश

इतना ही नहीं अदालत ने अपने आदेश में Securities Exchange Board of India (SEBI), Central Depository Service India Ltd. (CSDL) और National Securities Depository Limited (NSDL) दिल्ली को इस आदेश का तत्काल पालन करने के लिए जरूरी कदम उठाने का भी आदेश दिया. 

आदेशों की अवहेलना की आशंका

आरोप है कि क्यूपिड लिमिटेड के निदेशकों ने इक्विटी शेयरों को विभाजित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी. इसके लिए 04 अप्रैल को कंपनी ने ईजीएम बुलाने का फैसला भी कर लिया है. आशंका जताई जा रही है कि इस दौरान जिला अदालत के 08 दिसंबर 2023 और 30 मार्च 2024 के आदेशों का उल्लंघन किया जा सकता है.

सेबी से लगाई गुहार

विकास लाइफकेयर ने इस मामले में सेबी चेयरमेन माधबी पुरी बुच के अलावा पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी कुमार भाटिया को ईमेल से अदालत के आदेश की जानकारी देते हुए, आदेशों का पालन सुनिश्चित कराने की गुहार लगाई है. जिसके लिए सेबी की अधिकृत वेबसाइट पर इस संबंध में पारित आदेशों को अपलोड करने की मांग की गई है, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं किया गया है.

जानकारों की राय 

जानकारों का मानना है कि सेबी की अधिकृत वेबसाइट पर आदेश अपलोड होने की स्थिति में आम जनता को उसकी जानकारी आसानी से मिल जाती है. इस स्थिति में कोई भी कंपनी अदालती आदेशों व किसी वाद की जानकारी छिपाकर धोखाधड़ी को अंजाम नहीं दे सकती.

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