सेबी ने जिंस वायदा अनुबंध में ‘कैलेन्डर स्प्रेड मार्जिन’ के लिये नियमों में बदलाव किया
By भाषा | Updated: August 9, 2021 21:00 IST2021-08-09T21:00:03+5:302021-08-09T21:00:03+5:30

सेबी ने जिंस वायदा अनुबंध में ‘कैलेन्डर स्प्रेड मार्जिन’ के लिये नियमों में बदलाव किया
नयी दिल्ली, नौ अगस्त बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को जिंस वायदा अनुबंधों में समयावधि वाले (कैलेन्डर स्प्रेड) सौदों पर मार्जिन लाभ से संबंधित विधान में बदलाव किया। इस तरह के अनुबंधों में खरीद फरोख्त को बढ़ावा देने के मकसद से यह बदलाव किया गया है।
बाजार में कई उपाय है जिसका उपयोग कारोबारी विकल्प अनुबंध के समाप्त होने से पहले उसे बेचकर लाभ कमाने के लिये उपयोग करते हैं। ‘कैलेन्डर स्प्रेड’ उसी में से एक है। इसमें किसी एक महीने में किसी संपत्ति के ‘डेरिवेटिव’ (शेयर, बांड, जिंस आदि) की खरीद की जाती है जबकि दूसरे महीने में उसे बेचा जाता है। यह ज्यादातर जिंस बाजार में वायदा अनुबंधों में किया जाता है।
फिलहाल ‘कैलेन्डर स्प्रेड’ मार्जिन लाभ केवल तीन ‘एक्सपायरी’ पर लागू है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने एक परिपत्र में कहा कि अब नियामक ने इसे पहले तीन एक्सपायरी के बाद आगे बढ़ाने का निर्णय किया है।
सेबी के अनुसार ‘कैलेंडर स्प्रेड’ के मामले में जिसमें एक ही अंतर्निहित कमोडिटी (जिसमें वर्तमान में प्रारंभिक मार्जिन में 75 प्रतिशत लाभ की अनुमति है) वाले दो अनुबंध शामिल हैं, प्रारंभिक मार्जिन में लाभ की अनुमति तब दी जाएगी जब प्रत्येक व्यक्तिगत अनुबंध पहले छह ‘एक्सपायरी’ अनुबंध में से एक हो।
इस कदम से सुदूर महीनों के अनुबंधों में नकदी की स्थिति, हेजिंग (जोखिम प्रबंधन) बेहतर होने तथा लागत में कमी आने की उम्मीद है।
बाजार प्रतिभागियों ने पहले तीन ‘एक्सपायरी’ के बाद लाभ का दायरा बढ़ाये जाने का आग्रह किया था। उसके बाद सेबी ने यह निर्णय किया है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।