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अत्याधुनिक बैटरी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये 18,100 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना को मंजूरी

By भाषा | Updated: May 12, 2021 19:19 IST

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नयी दिल्ली, 12 मई सरकार ने बुधवार को अत्याधुनिक रसायन सेल (एसीसी) बैटरी के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये 18,100 करोड़ रुपये के अनुमानित व्यय की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) को मंजूरी दे दी।

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं से कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देने के मकसद से राष्ट्रीय उन्नत रसायन सेल (एसीसी) बैट्री भंडारण कार्यक्रम को मंजूरी दी गयी है। इससे 45,000 करोड़ रुपये का विदेशी और घरेलू निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है।

इस पहल का मकसद 50,000 मेगावाट प्रति घंटा एसीसी (उन्नत रसायन सेल बैटरी) विनिर्माण क्षमता हासिल करना है। यह प्रोत्साहन उन कंपनियों के लिये उपलब्ध होगा जिनकी उत्पादन और बिक्री क्षमता अधिक है।

नीति का मकसद विनिर्माताओं को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाना, निर्यात को बढ़ावा देना, व्यापक स्तर पर उत्पाद के जरिये पैमाने की मितव्ययिता हासिल करना तथा अत्याधुनिक उत्पाद का विनिर्माण करना है।

आधिकारिक बयान के अनुसार एसीसी नई पीढ़ी की अत्याधुनिक भंडारण प्रौद्योगिकी है। इसके जरिये बिजली को इलेक्ट्रोकेमिकल या फिर रसायनिक ऊर्जा के रूप में भंडारित किया जा सकता है। बाद में जरूरत पड़ने पर इलेक्ट्रिक ऊर्जा में तब्दील किया जा सकता है।

उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक सामान, बिजली से चलने वाले वाहन, उन्नत विद्युत ग्रिड, सौर ऊर्जा आदि में बैट्री की आवश्यकता होती है। आने वाले समय में इन क्षेत्रों में तेजी से वृद्धि होने वाली है। ऐसे में बैट्री प्रौद्योगिकी दुनिया के कुछ सबसे बड़े वृद्धि वाले क्षेत्रों में अपना दबदबा कायम कर सकती है।

जावड़ेकर ने कहा कि यह जलवायु परिवर्तन, हरित वृद्धि, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के लिये काफी फायदेमंद पहल है। यह विदेशी के साथ-साथ घरेलू निवेश लाएगा और रोजगार के अवसर सृजित करेगा।

एसीसी विनिर्माण से इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ने की उम्मीद है।

बयान के अनुसार, ‘‘भारत महत्वकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा एजेंडे पर आगे बढ रहा है। ऐसे में एसीसी कार्यक्रम देश के ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने के लिये महत्वपूर्ण कारक होगा। यह भारत की जलायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।’’

कई कंपनियों ने इस क्षेत्र में निवेश करना शुरू कर दिया है, लेकिन वैश्विक कंपनियों के मुकाबले उनकी क्षमता बहुत कम है। इसके अलावा एसीसी के मामले में तो भारत में निवेश बहुत कम है।

एसीसी की मांग भारत में इस समय आयात के जरिये पूरी की जा रही है।

राष्ट्रीय उन्नत रासायनिक सेल बैट्री भंडारण से आयात पर निर्भरता कम होगी। इससे आत्मनिर्भर भारत में भी मदद मिलेगी।

एसीसी बैट्री भंडारण निर्माता का चयन एक पारदर्शी प्रतिस्पर्धात्मक बोली प्रक्रिया के जरिये किया जायेगा। निर्माण इकाई को दो वर्ष के भीतर काम चालू करना होगा। प्रोत्साहन राशि को पांच वर्षों के दौरान दिया जायेगा।

योजना के तहत एसीसी बैट्री निर्माण से विद्युत चालित वाहन (ईवी) को प्रोत्साहन मिलेगा और पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी। इससे 2 से 2.50 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी।

प्रोत्साहन व्यवस्था के संदर्भ में इसमें कहा गया है कि विशिष्ट ऊर्जा सघनता और स्थानीय मूल्य संवर्धन में बढ़ोतरी के साथ प्रोत्साहन राशि को भी बढ़ा दिया जायेगा।

एसीसी बैट्री भंडारण निर्माता में से प्रत्येक को कम से कम पांच गीगावॉट घंटा (एक गीगावाट बराबर 1,000 मेगावाट) की निर्माण सुविधा सुनिश्चित करने की जरूरत होगी। इसके अलावा उसे यह भी सुनिश्चित करना होगा कि पांच वर्षों के भीतर वह परियोजना स्तर पर मूल्य संवर्धन करेगा।

साथ ही लाभार्थी फर्मों को कम से कम 25 प्रतिशत का घरेलू मूल्य संवर्धन करना होगा और दो वर्षों में 225 करोड़ रुपये/गीगावॉट घंटा का अनिवार्य निवेश करना होगा। बाद में उसे पांच साल के भीतर 60 प्रतिशत तक घरेलू मूल्य संवर्धन करना होगा। यह सारा काम एकीकृत इकाई के मामले में मूल संयंत्र के स्तर पर या परियोजना स्तर पर किया जाना है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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