रिलायंस पेट्रोलियम मामला: सेबी ने आरआईएल पर 25 और मुकेश अंबानी पर 15 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया, जानिए मामला

By सतीश कुमार सिंह | Updated: January 2, 2021 15:28 IST2021-01-02T15:26:58+5:302021-01-02T15:28:30+5:30

सेबी ने नवंबर 2007 में पूर्ववर्ती रिलायंस पेट्रोलियम लि. (आरपीएल) के शेयर कारोबार में कथित गड़बड़ी को लेकर रिलायंस इंडस्ट्रीज लि, उसके चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी के साथ-साथ दो अन्य इकाइयों पर जुर्माना लगाया।

RPL case reliance industries sebi fines RIL 25 and Mukesh Ambani Rs 15 crore trading shares | रिलायंस पेट्रोलियम मामला: सेबी ने आरआईएल पर 25 और मुकेश अंबानी पर 15 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया, जानिए मामला

आरआईएल ने मार्च 2007 में आरपीएल में 4.1 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का निर्णय किया था। (file photo)

Highlightsरिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) पर 25 करोड़ रुपये और अंबानी पर 15 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। नवी मुंबई सेज प्राइवेट लि. से 20 करोड़ रुपये और मुंबई सेज लि. को 10 करोड़ रुपये का जुर्माना देने को कहा गया है। मामला नवंबर 2007 में आरपीएल शेयरों की नकद और वायदा खंड में खरीद और बिक्री से जुड़ा है।

नई दिल्लीः एक हफ्ते में रिलायंस इंडस्ट्रीज लि. चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी को दो झटके लगे हैं। पहले एशिया के सबसे अमीर शख्स से एक पायदान नीचे खिसक कर दूसरे स्थान पर आ गए और दूसरा झटका सेबी ने दिया है।

बाजार नियामक सिक्युरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) और मुकेश अंबानी पर तगड़ा जुर्माना लगाया है। सेबी ने नवंबर 2007 में पूर्ववर्ती रिलायंस पेट्रोलियम लि. (आरपीएल) के शेयर कारोबार में कथित गड़बड़ी को लेकर रिलायंस इंडस्ट्रीज लि., उसके चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी के साथ-साथ दो अन्य इकाइयों पर जुर्माना लगाया।

रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) पर 25 करोड़ रुपये और अंबानी पर 15 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इसके अलावा नवी मुंबई सेज प्राइवेट लि. से 20 करोड़ रुपये और मुंबई सेज लि. को 10 करोड़ रुपये का जुर्माना देने को कहा गया है। मामला नवंबर 2007 में आरपीएल शेयरों की नकद और वायदा खंड में खरीद और बिक्री से जुड़ा है।

मार्च 2007 में आरपीएल में 4.1 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का निर्णय किया था

इससे पहले, आरआईएल ने मार्च 2007 में आरपीएल में 4.1 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का निर्णय किया था। इस सूचीबद्ध अनुषंगी इकाई का बाद में 2009 में आरआईएल में विलय हो गया। मामले की सुनवाई करने वाले सेबी अधिकारी बी जे दिलीप ने अपने 95 पृष्ठ के आदेश में कहा कि प्रतिभूतियों की मात्रा या कीमत में कोई भी गड़बड़ी हमेशा बाजार में निवेशकों के विश्वास को चोट पहुंचाती है और वे बाजार में हुई हेराफरी में सर्वाधिक प्रभावित होते हैं।

उन्होंने आदेश में कहा, ‘‘इस मामले में, आम निवेशक इस बात से अवगत नहीं थे कि वायदा एवं विकल्प खंड में सौदे के पीछे की इकाई आरआईएल है। धोखाधड़ी वाले कारोबार से नकद और वायदा एवं विकल्प खंड दोनों में आरपीएल की प्रतिभूतियों की कीमतों पर असर पड़ा और अन्य निवेशकों के हितों को नुकसान पहुंचा।’’

सुनवाई अधिकारी ने कहा कि कारोबार में गड़बडी से सही कीमत बाहर नहीं आती। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा विचार है कि गड़बड़ी किये जाने वाले ऐसे कामों को सख्ती से निपटा जाना चाहिए ताकि पूंजी बाजार में इस प्रकार की गतिविधियों को रोका जा सके।’’ इस बारे में फिलहाल आरआईएल से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

Web Title: RPL case reliance industries sebi fines RIL 25 and Mukesh Ambani Rs 15 crore trading shares

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