रिजर्व बैंक के तरलता, वृद्धि को समर्थन के उपाय महामारी की दूसरी लहर के बीच बेहद जरूरी : विशेषज्ञ

By भाषा | Updated: June 4, 2021 20:32 IST2021-06-04T20:32:53+5:302021-06-04T20:32:53+5:30

Reserve Bank's liquidity, growth support measures extremely important amid second wave of pandemic: Experts | रिजर्व बैंक के तरलता, वृद्धि को समर्थन के उपाय महामारी की दूसरी लहर के बीच बेहद जरूरी : विशेषज्ञ

रिजर्व बैंक के तरलता, वृद्धि को समर्थन के उपाय महामारी की दूसरी लहर के बीच बेहद जरूरी : विशेषज्ञ

नयी दिल्ली, चार जून भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समीक्षा में तरलता को कायम रखने तथा आर्थिक वृद्धि को समर्थन के लिए ब्याज दरों को निचले स्तर पर बरकरार रखा है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 महामारी के बीच अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार की दृष्टि से ये उपाय बेहद जरूरी है।

रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष के लिए अपनी दूसरी मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर को चार प्रतिशत पर कायम रखा है। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर के अनुमान को 10.5 से घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया है।

वृहदअर्थव्यवस्था में इक्रियर आरबीआई चेयर प्रोफेसर आलोक शील ने कहा कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत दरों को यथावत रखते हुए वित्तीय बाजारों में और तरलता डालने की मंशा जताई है।

वित्तीय आसूचना कंपनी मूडीज एनालिटिक्स ने कहा कि कोविड-19 महामारी से संबंधित अंकुश धीरे-धीरे हटेंगे। घरेलू मांग में कमी से जून तिमाही से आगे पुनरुद्धार कमजोर होगा।

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि एमपीसी का धन वृद्धि में टिकाऊ पुनरुद्धार पर है। नायर ने कहा कि एमपीसी ने चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। यह हमारे अनुमान 8-9.5 प्रतिशत के ऊपरी दायरे में है। वैक्सीन की तेजी से उपलब्धता इस अनुमान को हासिल करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण होगी।

एस्सार कैपिटल के वरिष्ठ प्रबंध निदेशक संजय पाल्वे ने कहा कि रिजर्व बैंक के इस कदम से सरकार द्वारा आर्थिक पुनरुद्धार के लिए उठाए गए कदमों को प्रोत्साहन मिलेगा।

एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने कहा कि संपर्क-गहन क्षेत्रों को तरलता समर्थन से इन क्षेत्रों को ऋण का प्रवाह बढ़ेगा।

एमकी ग्लोबल की प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा, ‘ हमें दिख रहा है कि आगे रिजर्व बैंक और अधिक उदार तथा सक्रिय रुख अपनाएगा। हमारा अनुमान है कि बांड पर निवेश प्रतिफल धीरे-धीरे और व्यवस्थित तरीके से बढेगा फिर भी रिजर्व बैंक बाजार में प्रतिभूतियों की खरीद फरोख्त (ओएमओ) तथा सरकारी प्रतिभूतियों के नीलमाी कार्यक्रम (जी-सैप) से इस प्रतिफल में असंतुलन को कम कर इसे इसके ग्राफ को सपाट रखने का प्रयास करेगा । उनका अनुमान है कि ओएमओ और जी-सैप से रिजर्व बैक चालू वित्त वर्ष में 4500 से 5000 अरब डालर की प्रतिभूतियों की शुद्ध खरीद कर सकता है।

मिलवुड केन इंटरनेशलन के संस्थापक सीईओ नीश भट्ट ने उम्मीद जताई कि आरबीआई ‘अभी आने वाले समय में अपनी वर्तमान नीतिगत राह पर ही बना रहेगा।

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