आठ सहकारी बैंकों पर 12.75 लाख रुपये का जुर्माना, भारतीय रिजर्व बैंक ने की कार्रवाई, देखें लिस्ट में कौन-कौन
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 17, 2022 08:20 AM2022-03-17T08:20:00+5:302022-03-17T08:20:50+5:30
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मणिपुर महिला सहकारी बैंक लिमिटेड (मणिपुर), यूनाइटेड इंडिया सहकारी बैंक लिमिटेड (उप्र), जिला सहकारी केंद्रीय बैंक (नरसिंहपुर), अमरावती मर्चेंट सहकारी बैंक लिमिटेड (अमरावती), फैज मर्केंटाइल सहकारी बैंक लिमिटेड (नासिक) और नवनिर्माण सहकारी बैंक लिमिटेड (अहमदाबाद) पर भी जुर्माना लगाया गया है।
मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नियामकीय अनुपालन में कमियों के लिए आठ सहकारी बैंकों पर 12.75 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। केंद्रीय बैंक ने यह जानकारी दी।
आरबीआई ने ‘खुलासा मानकों एवं वैधानिक/ अन्य प्रतिबंध यूसीबी’ के तहत निर्देशों का पालन न करने के लिए नबापल्ली सहकारी बैंक लिमिटेड (पश्चिम बंगाल) पर चार लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। बघाट शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड (हिमाचल प्रदेश) पर तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
केंद्रीय बैंक ने मणिपुर महिला सहकारी बैंक लिमिटेड (मणिपुर), यूनाइटेड इंडिया सहकारी बैंक लिमिटेड (उप्र), जिला सहकारी केंद्रीय बैंक (नरसिंहपुर), अमरावती मर्चेंट सहकारी बैंक लिमिटेड (अमरावती), फैज मर्केंटाइल सहकारी बैंक लिमिटेड (नासिक) और नवनिर्माण सहकारी बैंक लिमिटेड (अहमदाबाद) पर भी जुर्माना लगाया गया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सूक्ष्म-वित्त ऋणदाता संस्थानों को ऋण की ब्याज दरें तय करने की अनुमति देने के साथ ही कहा है कि यह बहुत ज्यादा नहीं होना चाहिए। एक सूक्ष्म-वित्त ऋण का आशय तीन लाख रुपये तक की सालाना आय वाले परिवार को दिए जाने वाले गारंटी-मुक्त कर्ज से है।
रिजर्व बैंक ने सूक्ष्म-वित्त ऋणों के संबंध में अपने निर्देशों का नियामकीय प्रारूप जारी करते हुए कहा कि सभी नियमित इकाइयों को निदेशक-मंडल की अनुमति वाली एक नीति लागू करनी चाहिए। इस नीति में सूक्ष्म-वित्त ऋण की कीमत, कवर, ब्याज दरों की अधिकतम सीमा और सभी अन्य शुल्कों के बारे में स्पष्टता लाने की जरूरत है। पहले आरबीआई खुद ही तिमाही आधार पर ब्याज दरों की घोषणा किया करता था। लेकिन अब ब्याज दर तय करने का अधिकार सूक्ष्म-वित्त संस्थानों को सौंपा जा रहा है। नए प्रावधान एक अप्रैल 2022 से लागू हो जाएंगे।
सूक्ष्म-वित्त ऋण दिशानिर्देश संबंधी इस प्रारूप के मुताबिक, ‘‘इन कर्जों पर ब्याज दरें एवं अन्य शुल्क बहुत ऊंचे नहीं रखे जाने चाहिए। ये शुल्क एवं दरें रिजर्व बैंक की निगरानी के दायरे में होंगी।’’ उन्हें कर्ज से जुड़े शुल्क की एक सीमा भी तय करने को कहा गया है। इसके साथ ही प्रत्येक नियमित इकाई को एक संभावित कर्जदार के बारे में कीमत-संबंधी जानकारी एक मानकीकृत सरल ‘फैक्टशीट’ के रूप में देनी होगी। इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा है कि कर्जदार अगर अपने कर्ज को समय से पहले चुकाना चाहता है, तो उस पर किसी तरह की जुर्माना नहीं लगाया जाए।
हालांकि, अगर किस्त के भुगतान में देरी होती है, तो सूक्ष्म-वित्त संस्थान ग्राहक पर जुर्माना लगा सकते हैं लेकिन वह भी बकाया राशि पर ही लगाया जाएगा, समूची कर्ज राशि पर नहीं। रिजर्व बैंक ने कहा कि किसी सूक्ष्म-वित्त कर्ज की अदायगी के संदर्भ में कर्जदार की मासिक आय की अधिकतम 50 प्रतिशत राशि ही पुनर्भुगतान की सीमा बनाई जा सकती है।
इसके अलावा कर्ज संबंधी समझौता कर्ज ले रहे व्यक्ति को समझ में आने वाली भाषा में तैयार करने का भी प्रावधान किया गया है। पुराने दिशानिर्देशों के तहत सूक्ष्म-वित्त संस्थान की अर्हता नहीं रखने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) अपनी कुल परिसंपत्ति के 10 फीसदी से अधिक सूक्ष्म-वित्त कर्ज नहीं दे सकती थीं।
लेकिन अब इसकी अधिकतम सीमा को बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया है। सूक्ष्म-वित्त संस्थानों के संगठन एमएफआईएन के निदेशक आलोक मिश्रा ने आरबीआई के नए निर्देशों का स्वागत करते हुए कहा कि इससे न केवल ऋण कारोबार में समान अवसर मिलेंगे बल्कि ज्यादा कर्ज में डूबने और कई कर्ज देने की समस्या से भी निपटने में मदद मिलेगी।