मार्च 2024 में 253417 और मार्च 2025 में 251057 एटीएम, UPI के कारण संख्या में कमी, आरबीआई ने कहा-बैंक शाखाओं की संख्या बढ़कर 1.64 लाख
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 29, 2025 20:43 IST2025-12-29T20:42:34+5:302025-12-29T20:43:26+5:30
Reserve Bank of India: निजी बैंकों के एटीएम साल भर पहले के 79,884 से घटकर 77,117 रह गए। वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एटीएम 1,34,694 से घटकर 1,33,544 रह गए।

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मुंबईः पैसे की निकासी के लिए इस्तेमाल होने वाली एटीएम की संख्या में वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान हल्की गिरावट आई जबकि बैंक शाखाओं में बढ़ोतरी दर्ज की गई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी। रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर में मार्च, 2025 तक कुल 2,51,057 एटीएम सक्रिय थे जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा 2,53,417 था।
निजी क्षेत्र के बैंकों के एटीएम नेटवर्क में तुलनात्मक रूप से अधिक गिरावट आई है। निजी बैंकों के एटीएम साल भर पहले के 79,884 से घटकर 77,117 रह गए। वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एटीएम 1,34,694 से घटकर 1,33,544 रह गए। रिपोर्ट कहती है, "एटीएम की संख्या घटने के पीछे डिजिटलीकरण के बढ़ते कदम और दोनों तरह के बैंकों द्वारा एटीएम की बंदी मुख्य कारण रहे।"
हालांकि इसी दौरान स्वतंत्र रूप से संचालित व्हाइट लेबल एटीएम की संख्या बढ़कर 36,216 हो गई। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एटीएम ग्रामीण, कस्बाई, शहरी एवं महानगरीय क्षेत्रों में समान रूप से वितरित हैं जबकि निजी एवं विदेशी बैंकों का ध्यान मुख्य रूप से शहरी एवं महानगरीय क्षेत्रों पर केंद्रित है।
पिछले वित्त वर्ष में बैंक शाखाओं की संख्या बढ़कर 1.64 लाख तक पहुंच गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 2.8 प्रतिशत अधिक है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने नए शाखाएं खोलने में सक्रिय भूमिका निभाई और अपनी दो-तिहाई नई शाखाएं ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में खोलीं।
निजी बैंकों की हिस्सेदारी नए शाखाओं में 67.3 प्रतिशत से घटकर 51.8 प्रतिशत रह गई। रिपोर्ट के मुताबिक, बुनियादी बचत बैंक जमा खाता (बीएसबीडीए) की संख्या 72.4 करोड़ तक पहुंच गई और कुल जमा राशि 3.3 लाख करोड़ रुपये हो गई।
इनमें से अधिकांश खातों को बैंक प्रतिनिधि मॉडल के जरिये संचालित किया जा रहा है। जमा राशि के बीमित होने के संदर्भ में जहां सीमा को पांच लाख रुपये से बढ़ाए जाने पर विचार किया जा रहा है वहीं वित्त वर्ष 2024-25 के अंत में 97.6 प्रतिशत बैंक खाते इस बीमा के दायरे में थे।