वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यूपीआई पेमेंट पर चार्ज लगाने के संबंध में कहा, 'यह समय डिजिटल भुगतान पर शुल्क वसूली के लिए सही नहीं है'
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 28, 2022 04:45 PM2022-08-28T16:45:52+5:302022-08-28T16:49:51+5:30
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यूपीआई पेमेंट पर चार्ज लगाने के संबंध में कहा कि केंद्र सरकार डिजिटल भुगतान को जनता की भलाई के तौर पर देखती है। इसलिए फिलहाल सरकार इस पर किसी भी तरह का शुल्क नहीं लगाना चाहती है।
दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल पेमेंट पर किसी भी तरह के संभावित शुल्क लगाने के मसले पर केंद्र सरकार की स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि केंद्र मौजूदा समय को डिजिटल भुगतान पर किसी भी तरह के शुल्क वसूली को सही नहीं मानता है।
वित्त मंत्री ने सीतारमण ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा, "केंद्र सरकार डिजिटल भुगतान को जनता की भलाई के तौर पर देखती है। इसलिए सरकार चाहती है कि जनता इसे बिना किसी अवरोध के पूरी स्वतंत्रता के साथ प्रयोग में ला सकें। इससे देश की अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण भी होगा और डिजिटलीकरण से मुद्रा के पारदर्शी आदान-प्रदान का भी बढ़ावा मिलेगा। इसलिए केंद्र सरकार इस समय डिजिटल पेमेंट पर किसी भी तरह के शुल्क लगाने का कोई विचार नहीं कर रही है।"
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक वित्त मंत्री ने कहा, "इसलिए, सरकार को लगता है कि इस पर चार्ज लेने का अभी सही समय नहीं है। हम अधिक से अधिक डिजिटल लेनदेन, डिजिटलीकरण और प्लेटफॉर्म को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रहे हैं ताकि यह जनता के बीच और भी लोकप्रिय हो सके। जहां तक आरबीआई की सिफारिश का सवाल है तो वह एक पेपर वर्किंग है और पेपर वर्किंग को अपना काम करने दें।"
मालूम हो कि वित्त मंत्री का यह बयान आरबीआई द्वारा डिजिटल भुगतान प्रणाली में प्रस्तावित शुल्क लगाये जाने के संबंध में जनता से मांगी गई प्रतिक्रिया के सिलसिले में आया है। जिसमें आरबीआई ने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के जरिये से हुए वित्तिय लेनदेन पर शुल्क लगाने की संभावना के विषय में बात की थी।
हालांकि, आरबीआई द्वारा इस संबंध में जनता से सुझाव मांगे जाने के फौरन बाद भारत सरकार ने घोषणा की थी कि वह यूपीआई पर कोई शुल्क नहीं लगाने जा रही है और न ही उसकी इस तरह की कोई मंशा है। भारत में आरटीजीएस और एनईएफटी भुगतान प्रणाली का स्वामित्व और संचालन रिजर्व बैंक के पास है।
वहीं आईएमपीएस, रुपे और यूपीआई जैसी डिजिटल भुगतान प्रणाली भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के स्वामित्व में संचालित होती हैं, जो बैंकों द्वारा प्रवर्तित एक गैर-लाभकारी संस्था है।
जानकारी के अनुसार साल 2016 के बाद से अब तक इस जुलाई में डिजिटल लेनदेन सबसे अधिक हुआ है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) द्वारा जारी किये गये आंकड़ों के मुताबिक यूपीआई के जरिये 6.28 अरब बार 10.62 ट्रिलियन रुपये का लेन देन हो चुका है।