वैश्विक तेजी तथा घरेलू व निर्यात मांग बढ़ने से तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

By भाषा | Updated: March 15, 2021 20:03 IST2021-03-15T20:03:37+5:302021-03-15T20:03:37+5:30

Oil-oilseeds prices improve due to global boom and increase in domestic and export demand | वैश्विक तेजी तथा घरेलू व निर्यात मांग बढ़ने से तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

वैश्विक तेजी तथा घरेलू व निर्यात मांग बढ़ने से तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

नयी दिल्ली, 15 मार्च वैश्विक बाजारों में तेजी के रुख के बीच घरेलू और निर्यात बाजार के लिए मांग बढ़ने के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सोमवार को भी लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव लाभ दर्शाते बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने कहा कि 15 मार्च को सरकार ने सोयाबीन डीगम के आयात शुल्क मूल्य को 1,123 डॉलर से बढ़ाकर 1,210 डॉलर प्रति टन कर दिया है जिससे इस तेल के दाम में प्रति क्विन्टल 248 रुपये की वृद्धि हो गयी है। शुल्क मूल्य में वृद्धि के साथ साथ विदेशों में तेजी के रुख के कारण सोयाबीन तेल तिलहनों के भाव में स्थानीय बाजार में सुधार आया।

सूत्रों ने कहा कि मौजूदा स्थिति देश को तिलहन उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने के लिहाज से बहुत उपयुक्त है। सरकार को बस इस बात का ध्यान रखना होगा कि वह किसानों को दिया जाने वाला समर्थन आगे जारी रखे और बाजार टूटने की स्थिति में सीपीओ पर आयात शुल्क को बढ़ा दे। उन्होंने कहा कि देश में मूंगफली, तिल और सूरजमुखी तेल का उत्पादन काफी बढ़ने की संभावना है और इसके लिए सरकार को किसानों को अपना समर्थन निरंतर देते रहना होगा। उन्होंने कहा कि किसानों को लाभ होने की स्थिति में वे खुद ब खुद तिलहन उत्पादन को बढ़ाने में सक्षम साबित होंगे। इससे देश को भारी मात्रा में विदेशीमुद्रा का खर्च बचेगा और यहां के लोगों को रोजगार मिलने के साथ कई बंद पड़ी मिलों में काम शुरु हो जायेगा।

सूत्रों ने बताया कि अर्जेन्टीना में गर्मी की वजह से लगभग 2,000 हेक्टेयर में लगी फसल झुलस गई, जबकि ब्राजील में अधिक बरसात की वजह से सोयाबीन उत्पादन के आंकड़े कम रहने की संभावना है। ऐसी स्थिति में वैश्विक स्तर पर खाद्य तेलों विशेष्र तौर पर हल्के तेलों की मांग बढ़ी है।

सामान्य कारोबार के बीच सरसों तेल तिलहनों के भाव पूर्ववत रहे। वहीं निर्यात मांग बढ़ने से मूंगफली तेल कीमतों में सुधार आया। पामोलीन की वैश्विक मांग होने के बीच सीपीओ और पामेलीन तेल कीमतों में भी सुधार दिखा। बाजार सूत्रों के अनुसार चालू तेल वर्ष (नवंबर-अक्टूबर 2021) में तेल का आयात बिन बढ कर करीब 1.25 लाख करोड़ रुपये तक जा सकता है। पिछले वर्ष करीब 80,000 करोड़ रुपये के खाद्य तेलों का आयात हुआ था।

स्थानीय उद्योगों का कहना है कि खाद्य तेल में आत्म निर्भरता प्राप्त कर ली जाए तो इससे न केवल एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी मुद्रा की बचत हो सकती है बल्कि खली आदि के निर्यात से 70 हजार करोड़ रुपये की अति आमदनी हो सकती है। इससे देश के जीडीपी में करीब एक प्रतिशत का सुधार हो सकता है।

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन - 5,970 - 6,020 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली दाना - 6,265- 6,330 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 15,250 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,470- 2,530 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,075 -2,165 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,205 - 2,320 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 14,000 - 17,000 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,100 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,700 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,800 रुपये।

सीपीओ एक्स-कांडला- 11,550 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,600 रुपये।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,450 रुपये।

पामोलिन कांडला 12,450 (बिना जीएसटी के)

सोयाबीन दाना 5,600 - 5,650 रुपये: सोयाबीन लूज 5,450-5,500 रुपये

मक्का खल 3,570 रुपये।

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Web Title: Oil-oilseeds prices improve due to global boom and increase in domestic and export demand

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