आयातित तेल मंहगा होने की वजह से मांग प्रभावित होने के कारण तेल तिलहन कीमतों में गिरावट

By भाषा | Updated: May 18, 2021 15:19 IST2021-05-18T15:19:51+5:302021-05-18T15:19:51+5:30

Oil oilseed prices fall as imported oil becomes costlier, affecting demand | आयातित तेल मंहगा होने की वजह से मांग प्रभावित होने के कारण तेल तिलहन कीमतों में गिरावट

आयातित तेल मंहगा होने की वजह से मांग प्रभावित होने के कारण तेल तिलहन कीमतों में गिरावट

नयी दिल्ली, 18 मई आयातित तेलों के महंगा होने की वजह से मांग प्रभावित होने के कारण स्थानीय तेल तिलहन बाजार में मंगलवार को सोयाबीन डीगम, पाम एवं पामोलिन सहित सरसों और बिनौला तेल कीमतों में भी गिरावट का रुख रहा और भाव हानि के साथ बंद हुए।

बाजार सूत्रों का कहना है कि अमेरिका के शिकागो और मलेशिया एक्सचेंज में कल रात से चार-चार प्रतिशत की तेजी होने के बावजूद इनके देशी तेलों के मुकाबले मंहगा होने के कारण तेल तिलहनों की मांग प्रभावित हुई जिससे लगभग सभी खाद्य तेल तिलहन कीमतों में गिरावट आई।

उन्होंने कहा कि सरकार को इस बात की ओर ध्यान देना होगा कि देश में खाद्य तेलों की 70 प्रतिशत की कमी है और इसे पूरा करने के लिए देश आयात पर निर्भर है। लेकिन ऐसी स्थिति होने के बावजूद विदेशों से खरीद भाव के मुकाबले देश के हाजिर मंडियों और वायदा कारोबार में इनके भाव 700 रुपये से लगभग 1,000 रुपये क्चिन्टल नीचे चलना आश्चर्यजनक हैं।

मंहगा होने की वजह से मांग घटने के कारण सीपीओ का भाव 10 रुपये घटकर 12,660 रुपये, पामोलीन दिल्ली 50 रुपये घटकर 14,550 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 20 रुपये घटकर 13,580 रुपये प्रति क्विन्टल रह गया। इसी प्रकार सोयाबीन डीगम का भाव भी 10 रुपये घटकर 14,410 रुपये प्रति क्विन्टल रह गया।

उन्होंने कहा कि सस्ता होने के कारण सरसों की मांग बढ़ रही है जिसकी वजह से सरसों दाना के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे जबकि आम रुख के अनुरूप मांग घटने से सरसों तेल कीमतों में मामूली गिरावट देखी गई। सरसों दादरी में जहां 25 रुपये प्रति क्विन्टल की गिरावट आई वहीं सरसों पक्की और कच्ची घानी के भाव पांच-पांच रुपये प्रति टिन की गिरावट दर्शाते बंद हुए।

सूत्रों ने कहा कि बिनौलातेल का भाव भी 50 रुपये की हानि दर्शाता 14,800 रुपये क्विंटल रह गया।

बाजार के जानकार मानते हैं कि किसानों और घरेलू तेल उद्योग के हित में सरकार को तेल- तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिये हर संभव कदम उठाना चाहिये। उन्होंने कहा कि सरकार को तिलहन किसानों को अधिक दाम देकर उन्हें तिलहन उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रेरित करना चाहिये। समय की मांग है कि देश की आयात पर निर्भरता खत्म हो जिसके लिए देश को भारी मात्रा में विदेशीमु्द्रा खर्च करना पड़ता है।

बाकी सभी तेल तिलहनों के भाव पूर्ववत बंद हुए।

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन - 7,575 - 7,625 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली दाना - 6,270 - 6,315 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 15,400 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,465 - 2,515 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 15,125 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,390 -2,440 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,490 - 2,590 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 16,000 - 18,500 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 16,000 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 15,750 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 14,410 रुपये।

सीपीओ एक्स-कांडला- 12,600 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 14,800 रुपये।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,550 रुपये।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Oil oilseed prices fall as imported oil becomes costlier, affecting demand

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे