National Logistics Policy: राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति की शुरुआत, अंतिम छोर तक डिलिवरी की गति में और आएगी तेजी, धन की बचत, जानें बड़ी बातें और फायदे

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 17, 2022 09:42 PM2022-09-17T21:42:26+5:302022-09-17T21:43:46+5:30

National Logistics Policy: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारतीय बंदरगाहों की कुल क्षमता में काफी वृद्धि हुई है और पोतों का औसत ‘टर्न-अराउंड टाइम’ 44 घंटे से घटकर अब 26 घंटे पर आ गया है।

National Logistics Policy PM narendra Modi launches calls it important step towards making of developed India | National Logistics Policy: राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति की शुरुआत, अंतिम छोर तक डिलिवरी की गति में और आएगी तेजी, धन की बचत, जानें बड़ी बातें और फायदे

सभी डिजिटल सेवाओं को एक पोर्टल में लाएगा और निर्यातकों को बहुत लंबी और बोझिल प्रक्रियाओं से मुक्त करेगा।

Highlightsलॉजिस्टिक लागत मौजूदा 13-14 फीसदी से घटकर एकल अंक में आने का अनुमान है। नीति आने वाले वर्षों में लागत को 7.5 प्रतिशत तक कम करने में मदद करेगी।

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति की शुरुआत करते हुए कहा कि यह नीति परिवहन क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान देने वाली, अंतिम छोर तक डिलिवरी की गति बढ़ाने और कारोबारों के लिए धन की बचत करने वाली है।

इस नीति से कारोबारों की लॉजिस्टिक लागत मौजूदा 13-14 फीसदी से घटकर एकल अंक में आने का अनुमान है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज भारतीय बंदरगाहों की कुल क्षमता में काफी वृद्धि हुई है और पोतों का औसत ‘टर्न-अराउंड टाइम’ 44 घंटे से घटकर अब 26 घंटे पर आ गया है।

उन्होंने कहा कि बंदरगाहों और समर्पित माल गलियारों को जोड़ने वाली सागरमाला परियोजना ने लॉजिस्टिक कनेक्टिविटी तथा अवसंरचना विकास के व्यवस्थित कार्यों में सुधार लाना शुरू कर दिया है। एक सरकारी अधिकारी के अनुसार नीति आने वाले वर्षों में लागत को 7.5 प्रतिशत तक कम करने में मदद करेगी।

यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (यूलिप) और ईज ऑफ लॉजिस्टिक्स सर्विसेज (ई लॉग्स) जैसे नीति तत्व निर्यातकों और उद्योग को लॉजिस्टिक दक्षता बढ़ाने में मदद करेंगे। यूलिप परिवहन क्षेत्र से संबंधित सभी डिजिटल सेवाओं को एक पोर्टल में लाएगा और निर्यातकों को बहुत लंबी और बोझिल प्रक्रियाओं से मुक्त करेगा।

इसी तरह, ई-लॉग्स पोर्टल भी शुरू किया गया है, जिसके जरिए उद्योग सीधे ऐसे किसी भी मामले को उठा सकते हैं, जो सरकारी एजेंसियों के साथ उनके संचालन और प्रदर्शन में समस्या पैदा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे मामलों के त्वरित समाधान के लिए पूरी व्यवस्था भी तैयार की गई है।

उन्होंने कहा कि सरकार लॉजिस्टिक क्षेत्र को मजबूत करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रही है। सीमा शुल्क और ई-वे बिल में फेसलेस मूल्यांकन शुरू हो गया है और फास्टैग लॉजिस्टिक क्षेत्र में दक्षता ला रहा है। उन्होंने कहा कि ड्रोन से इसमें और सुधार होगा। उन्होंने कहा कि बंदरगाहों की क्षमता बढ़ा दी गई है और कंटेनर पोत के टर्नअराउंड समय को 44 घंटे से घटाकर 26 घंटे कर दिया गया है।

मोदी ने कहा कि भारत अब दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और यह विनिर्माण के केंद्र के तौर पर उभर रहा है। उन्होंने कहा कि घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) को विश्व ने स्वीकार किया है।

उन्होंने कहा कि लॉजिस्टिक क्षेत्र को मजबूती देने के लिए सरकार प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रही है और सीमाशुल्क में बिना अधिकारी के सामने जाए आकलन की व्यवस्था शुरू कर दी गई है। वहीं ई-वे बिल तथा फास्टटैग भी लॉजिस्टिक क्षेत्र में प्रभावशीलता बढ़ा रहे है।

विश्वभर के बाजारों में भारतीय उत्पादों की पैठ बनाने के लिए इसके समर्थन तंत्र को मजबूत करने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति समर्थन प्रणाली को आधुनिक बनाने में मदद देगी। मोदी ने बताया कि वैश्विक विशेषज्ञों का कहना है कि भारत लोकतंत्र की महाशक्ति के तौर पर उभर रहा है और ये विशेषज्ञ भारत के अभूतपूर्व कुशल परिवेश से प्रभावित हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘विशेषज्ञ भारत के दृढ़-निश्चय एवं प्रगति की सराहना कर रहे हैं।’’ ड्रोन नीति का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे लॉजिस्टिक क्षेत्र बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि महामारी के दो वर्ष के बाद वृद्धि को गति देने में मदद की खातिर बनाई गई यह नीति नियमों को व्यवस्थित करेगी, आपूर्ति श्रृंखला के अवरोधकों को दूर करेगी।

ईंधन लागत तथा लॉजिस्टिक लागत को कम करने के लिए रूपरेखा देगी। केंद्र सरकार बीते तीन साल से राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति पर काम कर रही है। वाणिज्य मंत्राल यने मसौदा नीति 2019 में जारी की थी लेकिन कोविड-19 के कारण इसमें विलंब हुआ। बजट 2022-23 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक बार फिर इस नीति की घोषणा की। 

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