नागपुरः उद्योगों को रियायत देने में बरत रहे भेदभाव, इंडस्ट्रीज डिपार्टमेंट की पीएसआई-2019 में खामी
By आनंद शर्मा | Published: March 8, 2022 03:53 PM2022-03-08T15:53:14+5:302022-03-08T15:54:02+5:30
पहली श्रेणी में 50 करोड़ रुपए तक निवेश करने वाले उद्योग, दूसरी श्रेणी में 50 करोड़ रुपए से लेकर 100 करोड़ रुपए तक निवेश करने वाले उद्योग और तीसरी व अंतिम श्रेणी में 100 करोड़ रुपए से अधिक निवेश करने वाले उद्योग आते हैं.
नागपुर:महाराष्ट्र के अन्य इलाकों की तुलना में औद्योगिक विकास के मामले में पिछड़े विदर्भ और मराठवाड़ा में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के इरादे से महाराष्ट्र सरकार उद्योगों को बड़े पैमाने पर रियायत दे रही है. ऐसा करते समय लघु और बड़े उद्योगों की तो झोली भरी जा रही है लेकिन मंझोले उद्योगों के हिस्से की रियायत में कटौती की जा रही है.
यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही ‘पैकेज स्कीम ऑफ इन्सेंटिव-2019’ ही इस खामी को उजागर कर रही है. पैकेज स्कीम ऑफ इन्सेंटिव-2019 (पीएसआई-2019) के तहत तीन श्रेणियों में रियायत दी जाती है. पहली श्रेणी में 50 करोड़ रुपए तक निवेश करने वाले उद्योग, दूसरी श्रेणी में 50 करोड़ रुपए से लेकर 100 करोड़ रुपए तक निवेश करने वाले उद्योग और तीसरी व अंतिम श्रेणी में 100 करोड़ रुपए से अधिक निवेश करने वाले उद्योग आते हैं. इन्हें पीएसआई-2019 में स्पेशल लार्ज स्केल इंडस्ट्री माना गया है.
जानकारों के अनुसार विदर्भ में दूसरी श्रेणी के ऐसे उद्योगों की संख्या अधिक है. पीएसआई-2019 में उद्योगों को रियायत के रूप में उनके द्वारा बेचे गए उत्पादों पर लगे राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी) का रिफंड दिया जाता है. असल पेंच यही पर है. एसजीएसटी रिफंड के लिए पहली और अंतिम श्रेणी के उद्योगों का सेल पर लिया गया एसजीएसटी ही ग्राह्य माना जा रहा है.
जबकि, दूसरी श्रेणी के उद्योगों के मामले में सेल पर लिए गए एसजीएसटी में से कच्चे माल व अन्य खरीदी पर दिए गए एसजीएसटी को काटा जा रहा है. इसके बाद जो रकम बचती है, उसमें से भी केवल 40 फीसदी रकम ही बतौर एसजीएसटी रिफंड दी जा रही है. इससे जहां एक ओर पहली और तीसरी श्रेणी के उद्योगों की तो बल्ले-बल्ले हो रही है लेकिन दूसरी श्रेणी के उद्योगों को पीएसआई का काफी कम लाभ होता दिख रहा है. इससे उद्योजक खफा हैं.
पीएसआई-2019 में सुधार जरूरी
विदर्भ के पीएसआई-2019 के जरिए उद्योगों को एसजीएसटी रिफंड के रूप में दी जा रही रियायत में भेदभाव बरते जाने से उद्योजकों में काफी रोष है. चेंबर आॅफ स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन्स (कोसिया) के विदर्भ अध्यक्ष सीए जुल्फेश शाह का कहना है कि पीएसआई में व्याप्त इस विसंगति को दूर किया जाना जरूरी है. राज्य सरकार और उद्योग विभाग की नजर में सभी प्रकार के उद्योगों के लिए एक स्थान होना चाहिए. सभी को एक समान रियायत मिलनी चाहिए.