मोदी ने की देश को खाद्य तेलों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए राष्ट्रीय मिशन की घोषणा

By भाषा | Updated: August 9, 2021 21:44 IST2021-08-09T21:44:54+5:302021-08-09T21:44:54+5:30

Modi announced a national mission to make the country self-reliant in the field of edible oils | मोदी ने की देश को खाद्य तेलों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए राष्ट्रीय मिशन की घोषणा

मोदी ने की देश को खाद्य तेलों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए राष्ट्रीय मिशन की घोषणा

नयी दिल्ली, नौ अगस्त देश को खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने और आयात पर निर्भरता कम करने के प्रयास के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को बड़ी घोषणा की। उन्होंने खाद्य तेलों और पॉम तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिये उपयुक्त पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के वास्ते 11,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के साथ एक राष्ट्रीय मिशन की घोषणा की।

उन्होंने कहा कि कुल खाद्य तेल के आयात में पामतेल की 55 प्रतिशत की हिस्सेदारी होने की स्थिति को देखते हुए, खाद्य तेल - तेल पाम (एनएमईओ-ओपी) पर राष्ट्रीय मिशन यह सुनिश्चित करेगा कि किसानों को पाम और अन्य तिलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए गुणवत्ता वाले बीज से लेकर प्रौद्योगिकी तक सभी सुविधाएं मिलें।

उन्होंने कहा कि किसान, दलहन उत्पादन में हासिल सफलता को तिलहन मामले में भी दोहरा सकते हैं, क्योंकि पिछले छह वर्षों में दलहन का उत्पादन लगभग 50 प्रतिशत बढ़ा है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "जिस तरह का काम हमने दलहन के मामले में किया है और पहले भी गेहूं और धान मामले में किया है, हमें खाद्य तेलों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए उसी तरह का प्रयास करने की जरूरत है।"

उन्होंने कहा कि खाद्य तेल में आत्मनिर्भर होने के लिए आक्रामक प्रयास करना, समय की जरुरत है। किसानों से खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के संकल्प के रूप में एनएमईओ-ओपी को अपनाने का आग्रह किया और कहा कि इस मिशन के तहत खाद्यतेल पारिस्थितिकी तंत्र में 11,000 करोड़ रुपये से अधिक धन का निवेश किया जाएगा।

मोदी ने कहा कि देश ने खाद्य तेल आयात पर हजारों करोड़ रुपये खर्च किए हैं जबकि यह धन किसानों के पास जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारत पहली बार कृषि निर्यात के मामले में दुनिया के शीर्ष 10 देशों में पहुंचा है। ‘‘कोरोना काल के दौरान देश ने कृषि जिसों के निर्यात के नये कीर्तिमान बनाये हैं। आज जब भारत की पहचान एक कृषि निर्यातक देश के रूप में हो रही है, तो ऐसे में खाद्य तेलों की हमारी आवश्यकताओं के लिए आयात पर निर्भर होना ठीक नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर और अंडमान एवं निकोबार क्षेत्र में पाम तेल की खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है जहां खेती आसानी से की जा सकती है। पामतेल की खेती के बढ़ने से न केवल किसानों को बल्कि उन उपभोक्ताओं को भी लाभ होगा, जिन्हें सस्ती दर पर गुणवत्ता वाला खाद्यतेल मिलेगा। इसके अलावा, इससे तेल प्रसंस्करणकर्ताओं और संपूर्ण मूल्य श्रृंखला को लाभ होगा, रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

मोदी ने कहा कि अधिक पैदावार और बेहतर लाभ के साथ पाम तेल की खेती से कई छोटे किसानों को फायदा होगा।

तेल उद्वोगों की प्रमुख संस्था, साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के आंकड़ों के अनुसार, भारत लगभग 2.5 करोड़ टन की अपनी वार्षिक खाद्य तेल मांग का लगभग 60 प्रतिशत भाग का आयात करता है। भारत ने वर्ष 2019-20 के तेलवर्ष (नवंबर-अक्टूबर) में एक करोड़ 31 लाख टन खाद्यतेल का आयात किया। इस आयात में से ज्यादातर आयात पामतेल का किया गया था।

उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ महीनों से खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में वृद्धि हो रही है। सरकार ने 30 जुलाई को संसद को सूचित किया कि खुदरा बाजार में खाद्य तेलों की औसत कीमतों में इस साल जुलाई के दौरान एक साल पहले की तुलना में 52 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।

कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने सितंबर तक कच्चे पाम तेल पर आयात शुल्क में कमी की है और रिफाइंड पाम तेल का आयात करने की अनुमति सहित कई कदम उठाए हैं।

इस कदम का स्वागत करते हुए, एसईए ने कहा कि पहले पाम तेल की खेती पर ध्यान छोटे पैमाने पर था और अब इस मिशन को नए 'अवतार' में पेश किया गया है।

एसईए के अध्यक्ष, अतुल चतुर्वेदी ने कहा, "यह देश में पाम तेल के विकास और खाद्य तेल मामले में आत्मानिर्भर भारत बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है।’’

ऑयल पाम डेवलपर्स एंड प्रोसेसर्स एसोसिएशन (ओपीडीपीए) के अध्यक्ष संजय गोयनका ने कहा, "हालांकि हम इस मोर्चे पर विस्तृत नीति दिशानिर्देशों का इंतजार कर रहे हैं, हम भारत सरकार के इस कदम की सराहना करते हैं।"

उन्होंने कहा, "इस फसल के कारण आंध्र प्रदेश के किसान समुदाय के जीवन में जो बदलाव आया है उसे हमने देखा है और हम अन्य संभावना वाले राज्यों में भी इसका अनुकरण करने की उम्मीद करते हैं।"

उन्होंने एक अलग बयान में कहा कि एक मजबूत और गतिशील, दीर्घकालिक नीति तंत्र इस फसल को पूरे भारत में आवश्यक बढ़ावा देगा।

वर्ष 2014-15 में, सरकार ने तिलहन और तेल पाम (एनएमओओपी) पर राष्ट्रीय मिशन शुरू किया था और इसे वर्ष 2017-18 तक जारी रखा। हालाँकि, वर्ष 2018-19 से, इस मिशन को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के तहत लागू किया जा रहा है।

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