#MeToo के झटके से बचने के लिए कॉर्पोरेट कंपनियाँ करा रही हैं इंश्योरेंस, जानें क्या हैं इसके प्रावधान
By पल्लवी कुमारी | Published: October 19, 2018 02:06 PM2018-10-19T14:06:24+5:302018-10-19T14:08:05+5:30
जिस तरह देश में #MeToo अभियान के तहत कई मामले सामने आ रहे हैं, ऐसे में सिर्फ बड़ी या ग्लोबल कंपनियां ही नहीं बल्कि छोटी-मोटी और घरेलू कंपनियों को भी यौन शोषण के संरक्षन से बचने वाली इंश्योरेंस की जरूरत महसूस होने लगी है।
भारत में जिस तरह से पिछले एक महीने से #MeToo मूवमेंट के तहत एक के बाद एक मामले सामने आ रहे हैं, उसको देखते हुए सिर्फ बड़ी या ग्लोबल कंपनियां ही नहीं बल्कि देश की छोटी-मोटी कंपनियां और घरेलू कंपनियां भी यौन शोषण के संरक्षन से बचने वाली इंश्योरेंस लेने लगी है। जिसे एंप्लॉयमेंट प्रैक्टिसेज लायबिलिटी ( Employment Practices Liability) कहते हैं।
#MeToo अभियान को देखते हुए छोटी-मोटी घरेलू कंपनियों को भी ये बात अच्छे से समझ में आ गई है कि हमें एंप्लॉयमेंट प्रैक्टिसेज लायबिलिटी कवर की अब जरूरत पड़ने वाली है। हालांकि फिलहाल ये इंश्योरेंस ज्यादातर कॉर्पोरेट सेक्टर में लिया जा रहा है।
क्या होता है एंप्लॉयमेंट प्रैक्टिसेज लायबिलिटी
(Employment Practices Liability)
एंप्लॉयमेंट प्रैक्टिसेज लायबिलिटी के इंश्योरेंस कवर के मुताबिक अगर आपको उक्त कंपनी द्वारा कभी भी भविष्य में लिंग, जाति भेदभाव या फिर विकलांगता के आधारा पर या फिर किसी प्रकार के यौन उत्पीड़न, शोषण के आधार पर नौकरी से निकाला जाता है तो ऐसे में ये एंप्लॉयमेंट प्रैक्टिसेज लायबिलिटी आपको संरक्षण प्रदान करता है। इसमें इन सब मुद्दों के अलावा कंपनी अगर आपको प्रमोशन या सैलरी में कोई दिक्क्त कर रही है तो इसको भी ये कवर करता है।
कैसे करता है ये इंश्योरेंस पॉलिसी काम
ये इंश्योरेंस पॉलिसी अगर किसी कंपनी ने ली हुई है तो इसके अंतगर्त अगर आप किसी भी मुद्दे को लेकर केस दर्ज कराते हैं, तो कंपनी की मैनेजमेंट की और से आपके लीगल प्रोसेस में जितना भी खर्चा होगा दिया जाएगा। इसके साथ ही कंपनी आपके कानूनी लड़ाई में आपकी मदद भी करेगा।
क्या कहते हैं बजाज अलायंज जनरल इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ
टाइम्स ऑफ इंडिया को बजाज अलायंज जनरल इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ तपन सिंघल ने बताया, ''बहुत सारी कंपनियों के डायरेक्टर्स और सीइओ ये इंश्योरेंस या कवर नहीं लेते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि भारत में अभी तक इस तरह के मसले ज्यादा नहीं आते हैं या लोग इस तरह के मुद्दों पर ज्यादा बात नहीं करते हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं है, #MeToo कैम्पेन के तहत जब इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं तो तो बड़ी और छोटी कंपनियां दोनों ही इस तरह के इंश्योरेंस कवर को लेना पसंद कर रहे हैं।''
क्या कहते हैं फ्यूचर जनरल के एमडी और सीईओ इंश्योरेंस कवर पर
टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत के दौराव फ्यूचर जनरल के एमडी और सीईओ के जी कृष्णमूर्ति राव ने बताया कि एंप्लॉयमेंट प्रैक्टिसेज लायबिलिटी कवर के तहत किसी शख्य द्वारा लगाए गए आरोप साबित हो जाता है तो आपको किसी भी तरह का कोई बेनिफेट नहीं मिलता है। यानी इस इंश्योरेंस कवर से आपको कोई भी आर्थिक सहायता नहीं की जाएगी। इसमें एक स्थिति ये भी है कि इस इंश्योरेंस कवर के तहत अगर आपको लीगल प्रोसेस का पूरा खर्चा उठाया गया और आप उस मामले पर कानून के सामने दोषी पाए गए तो आपको सारे पैसे वापस करने होते हैं।
अमेरिकी कंपनियां ले रही हैं ये इंश्योरेंस
मार्श इंश्योरेंस ब्रोकर्स के एमडी और सीईओ संजय केडिया के मुताबिक जो कंपनियां अमेरिका से किसी भी तरह से सम्पर्क में है, वे खासकर एडिशनल स्टैंड-अलोन एंप्लॉयमेंट प्रैक्टिसेज लायबिलिटी कवर ले रहे हैं। जो एंप्लॉयमेंट प्रैक्टिसेज लायबिलिटी के डी एडं वो पॉलिसी से ज्यादा बेहतर हैं। ये केस दर्ज करने वाले कर्मचारी को आधा मिलियन से 1 मिलियन डॉलर से ज्यादा बीमा प्रदान करता है।
कामकाज की जगह में सेक्शुअल हैरेसमेंट पर क्या कहता है कानून
ऑफिस-दफ्तर में कामकाजी महिलाओं के यौन शोषण के (रोकथाम, निषेध एवं निवारण) कानून, 2013 के अनुसार कॉर्पोरेट्स सेक्टर में काम करने वाली महिलाओं के प्रति कंपनियों की जावबदेही होगी कि वह कर्मचारियों के काम के लिए एक बेहतर और सुरक्षित माहौल प्रदान करें। जहां लिंग के आधार पर बिना भेदभाव किए हर कोई सुरक्षित माहौल में काम कर सके। जहां किसी तरह के यौन उत्पीड़न की कोई गुंजाइश ना हो।