आज से खत्म हो जाएगा इस बैंक का वजूद, जानें कैसे हुई थी शुरुआत
By अनुराग आनंद | Published: November 27, 2020 09:23 AM2020-11-27T09:23:42+5:302020-11-27T09:26:07+5:30
भारतीय रिजर्व बैंक ने बयान में कहा कि लक्ष्मी विलास बैंक और DBS बैंक का विलय आज (27 नवंबर, 2020) से प्रभावी होगा।
नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार ने संकट में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) बैंक के सिंगापुर के डीबीएस बैंक की भारतीय इकाई DBS बैंक इंडिया लि. (डीबीआईएल) में विलय को मंजूरी दे दी है। यह विलय आज (27 नवंबर यानी शुक्रवार) से प्रभावी हो जाएगा और आज (शुक्रवार) से ही दिन से एलवीबी की शाखाएं डीबीएस बैंक इंडिया की शाखाओं के रूप में काम करने लगेंगी।
इसके साथ ही शुक्रवार से बैंक से 25,000 रुपये की निकासी की सीमा भी समाप्त हो जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में एलवीबी के डीबीआईएल में विलय की योजना को मंजूरी दी गई। इसके कुछ घंटों बाद रिजर्व बैंक ने विलय की प्रभावी तिथि को अधिसूचित कर दिया।
लक्ष्मी विलास बैंक की सभी शाखाएं DBS बैंक इंडिया लि. के तौर पर काम करेगी-
रिजर्व बैंक ने बयान में कहा कि यह विलय 27 नवंबर, 2020 से प्रभावी होगा। इसी दिन से लक्ष्मी विलास बैंक की सभी शाखाएं डीबीएस बैंक इंडिया लि. की शाखाओं के रूप में काम करेंगी।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि एलवीबी के जमाकर्ता शुक्रवार से अपने खातों का परिचालन डीबीएस बैंक इंडिया के ग्राहक के रूप में कर सकेंगे। इसके बाद उसी दिन से लक्ष्मी विलास बैंक पर रोक हट जाएगी। निजी क्षेत्र के बैंक पर रोक के बाद रिजर्व बैंक ने 17 नवंबर को एलवीबी के बोर्ड को भंग कर दिया था।
बैंक के करीब 20 लाख ग्राहकों को सरकार ने इस तरह से दी राहत-
रिजर्व बैंक ने कहा कि डीबीएस बैंक इंडिया लि. सभी आवश्यक तैयारियां कर रहा है जिससे लक्ष्मी विलास बैंक के ग्राहकों को सामान्य तरीक से सेवाएं सुनिश्चित की जा सकें। इस बीच, सरकार ने गजट अधिसूचना जारी कर लक्ष्मी विलास बैंक लि. (डीबीएस बैंक इंडिया लि. के साथ विलय) योजना, 2020 को अधिसूचित कर दिया है।
वित्तीय सेवा विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘एलवीबी के सभी कर्मचारी सेवा में बने रहेंगे। उनकी नियुक्ति की शर्तें और वेतन आदि 17 नवंबर, 2020 को कारोबार बंद होने से पहले के अनुरूप रहेगा। इससे पहले दिन में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एलवीबी के डीबीआईएल के साथ विलय को मंजूरी दे दी। इससे बैंक के करीब 20 लाख ग्राहकों को राहत मिली है।
डीबीआईएल रिजर्व बैंक से लाइसेंस प्राप्त बैंकिंग कंपनी है और वह भारत में पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी मॉडल के रूप में परिचालन करती है। जून, 2020 तक उसकी कुल नियामकीय पूंजी 7,109 करोड़ रुपये थी। उसकी मूल कंपनी डीबीएस का मुख्यालय सिंगापुर में और यह वहीं सूचीबद्ध है। यह एशिया के बड़े वित्तीय सेवा समूह में से है। डीबीएस की उपस्थिति 18 बाजारों में है।
25 हजार रुपये निकासी की सीमा हटा दी गई है-
इससे पहले सरकार ने 17 नवंबर को रिजर्व बैंक को संकट में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक पर 30 दिन की ‘रोक’ की सलाह दी थी। साथ ही प्रत्येक जमाकर्ता के लिये 25,000 रुपये निकासी की सीमा तय की गई थी। इसके साथ रिजर्व बैंक ने कंपनी कानून, 2013 के तहत एलवीबी के डीबीआईएल में विलय की योजना का मसौदा भी सार्वजनिक किया था। लेकिन, लक्ष्मी विलास बैंक के डीबीएस बैंक में विलय के बाद 25 हजार तक के निकासी की रकम के बैन को हटा दिया गया है।
केंद्रीय बैंक ने एलवीबी के बोर्ड को भंग कर दिया था और केनरा बैंक के पूर्व गैर-कार्यकारी चेयरमैन टी एन मनोहरन को 30 दिन के लिए बैंक का प्रशासक नियुक्त किया था।
सरकार की ओर से बुधवार को जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि विलय के बाद भी डीबीआईएल का संयुक्त बही-खाता मजबूत बनेगा। इसकी शाखाओं की संख्या बढ़कर 600 हो जाएगी।
लक्ष्मी विलास बैंक की शुरुआत तमिलनाडु के करोड़ के सात कारोबारियों ने वी एस एन रामलिंग चेट्टियार की अगुवाई में 1926 में की थी। बैंक की 19 राज्यों और एक संघ शासित प्रदेश में 566 शाखाएं और 918 एटीएम हैं।
(एजेंसी इनपुट)