Kalka-Shimla Toy Train: कालका-शिमला टॉय ट्रेन की गति बढ़ाने पर 'ब्रेक', जानें क्या है स्पीड, आखिर रेलवे ने क्यों लिया एक्शन

By भाषा | Published: August 29, 2022 10:13 PM2022-08-29T22:13:54+5:302022-08-29T22:16:51+5:30

Kalka-Shimla Toy Train: पंजाब के कपूरथला स्थित रेल डिब्बा कारखाना में करीब 30 डिब्बे बन रहे हैं, जो अगले साल के अंत तक पटरियों पर होंगे।

Kalka-Shimla Toy Train get new coaches speed 22-25 kmph increased 30-35 kmph narrow gauge UNESCO World Heritage Site status 10 years ago | Kalka-Shimla Toy Train: कालका-शिमला टॉय ट्रेन की गति बढ़ाने पर 'ब्रेक', जानें क्या है स्पीड, आखिर रेलवे ने क्यों लिया एक्शन

नैरोगेज रेल मार्ग को 10 साल पहले यूनेस्को विश्व विरासत स्थल का दर्जा दिया गया था।

Highlightsजटिल मोड़ जैसी वजहों से टॉय ट्रेन की गति को बढ़ाना तकनीकी रूप से संभव नहीं हो पा रहा। लगभग 90 प्रतिशत ट्रैक वक्रता (घुमाव) से भरा है और सबसे तेज घुमाव 24 डिग्री का है। ट्रेन की रफ्तार 22-25 किलोमीटर प्रतिघंटा है, जिसे बढ़ाकर 30-35 किलोमीटर प्रतिघंटा करने का प्रस्ताव है।

नई दिल्लीः कालका-शिमला के बीच यात्रा का समय घटाने के लिये ऐतिहासिक कालका-शिमला टॉय ट्रेन की गति बढ़ाने की रेलवे की महत्वाकांक्षी योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। उनके मुताबिक मार्ग का जटिल क्षेत्र, जटिल मोड़ जैसी वजहों से टॉय ट्रेन की गति को बढ़ाना तकनीकी रूप से संभव नहीं हो पा रहा।

हिमाचल प्रदेश सरकार के अनुरोध पर रेलवे बीते दो सालों से अध्ययन कर रहा था कि क्या टॉय ट्रेन को गति में वृद्धि के साथ संचालित किया जा सकता है। उत्तर रेलवे ने 2018 में अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) को यह आकलन करने को कहा था कि क्या कालका-शिमला टॉय ट्रेन की गति को बढ़ाया जा सकता है।

एक अधिकारी ने कहा, “यह बहुत कठिन परियोजना है। वक्रता अधिक है और पार्श्व स्थान की कमी के कारण इसे सीधा करने के प्रयास विफल हो गए हैं। यह तकनीकी रूप से संभव नहीं है। आरडीएसओ का अध्ययन पूरा होने के बाद भी अंतिम फैसला लिया जाना बाकी है। हालांकि, ऐसा लगता नहीं है कि टॉय ट्रेन की गति को एक सीमा से आगे बढ़ाया जा सकता है।”

इसका एक कारण यह है कि टॉय ट्रेन की गति को तेज करने के लिये किए जाने वाले बदलावों पर होने वाला खर्च बमुश्किल तीन से चार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार बढ़ाने के लिए उचित नहीं प्रतीत होता। हालांकि इस परियोजना की स्थिति को लेकर रेलवे के आधिकारिक बयान की अभी प्रतीक्षा है।

एक सूत्र ने कहा, “फिलहाल, परियोजना ठंडे बस्ते में है।” अधिकारी इलाके की वजह से पेश आने वाली चुनौतियों को भी रेखांकित करते हैं, जिसमें अकेले इसी वर्ष हो चुके 62 भूस्खलनों शामिल हैं। सूत्रों ने कहा कि लगभग 90 प्रतिशत ट्रैक वक्रता (घुमाव) से भरा है और सबसे तेज घुमाव 24 डिग्री का है।

एक अधिकारी ने कहा, “ (ट्रेन की) धीमी गति के कारण ही इस मार्ग पर कोई हादसा नहीं हुआ है।” फिलहाल ट्रेन की रफ्तार 22-25 किलोमीटर प्रतिघंटा है, जिसे बढ़ाकर 30-35 किलोमीटर प्रतिघंटा करने का प्रस्ताव है। नैरोगेज रेल मार्ग को 10 साल पहले यूनेस्को विश्व विरासत स्थल का दर्जा दिया गया था।

हालांकि, भविष्य में इस ट्रेन से सफर करने की योजना बना रहे लोगों के लिये अच्छी खबर यह है कि अगले 10 महीनों में ब्रिटिश काल के डिब्बों की जगह इसमें नए कोच लगाए जाएंगे। सूत्रों ने कहा कि पंजाब के कपूरथला स्थित रेल डिब्बा कारखाना में करीब 30 डिब्बे बन रहे हैं, जो अगले साल के अंत तक पटरियों पर होंगे।

एक अधिकारी ने कहा, “प्रक्रिया समय लेने वाली होगी, क्योंकि उन्हें दो परीक्षणों से गुजरना होगा।” सूत्रों ने कहा कि योजना यह है कि ये नए कोच स्टेनलेस स्टील के साथ एलएचबी तकनीक पर आधारित होंगे। तीन अन्य नैरो-गेज मार्ग हैं, जहां टॉय ट्रेन चलती है। यह दार्जिलिंग, पठानकोट और ऊटी में है।

Web Title: Kalka-Shimla Toy Train get new coaches speed 22-25 kmph increased 30-35 kmph narrow gauge UNESCO World Heritage Site status 10 years ago

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