Interim Budget 2024: मध्यम वर्ग को क्या इस बार मिल सकती है राहत? यहां पढ़ें पूरी जानकारी
By आकाश चौरसिया | Published: January 30, 2024 02:15 PM2024-01-30T14:15:29+5:302024-01-30T14:17:26+5:30
1 फरवरी, 2024 को पेश होने जा रहे अंतरिम बजट 2024-25 में सिर्फ दो दिन बचे हुए हैं। इसका इंतजार मध्य वर्गीय से आने वाले सभी लोग इंतजार कर रहे हैं कि उन्हें शायद थोड़ी राहत और रियायत मिले।
Interim Budget 2024: 1 फरवरी, 2024 को पेश होने जा रहे अंतरिम बजट 2024-25 में सिर्फ दो दिन बचे हुए हैं। इसका इंतजार मध्य वर्गीय से आने वाले सभी लोग इंतजार कर रहे हैं कि उन्हें शायद थोड़ी राहत और रियायत मिले। ध्यान देने वाली बात यह है कि यह प्रमुख वर्ग से आने वाले लोग आर्थिक विकास में अपना अहम योगदान देता है।
इस वर्ष बजट महत्वपूर्ण है क्योंकि यह चुनावी वर्ष है और सरकार के पास इसकी चाभी है। सभी की निगाहें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर हैं कि एनडीए सरकार राजकोषीय लक्ष्यों और चुनावी माहौल को कैसे संतुलित करेगी। सरकार घाटे की भरपाई करने के मद्देनजर टैक्स के नए स्लैब को लागू कर सकती है। हालांकि, अगर मध्यम वर्ग को आ रही कठिनाइयों पर अगर ध्यान नहीं दिया गया तो कहीं न कहीं इसके परिणाम हानिकारक हो सकते हैं। फलस्वरूप होगा ये कि उपभोक्ता की भावना आहत होगी और आर्थिक विकास में भी बाधा उत्पन्न होने की संभावना है।
स्टैंडर्ड कटौती में हो सकती है बढ़त
वित्त एक्ट 2018 के मुताबिक, 40,000 रुपये सैलेरी में स्टैंडर्ड कटौती की शुरुआत हुई, जो 2019 में 50,000 इनकम पर हो गई। इस प्रक्रिया को लागू हुए लगभग पांच साल हो गए हैं। उम्मीद है कि 2024 में इस सीमा को बढ़ाकर 1,00,000 रुपये कर दिया जाएगा। इकोनॉमिक लॉ प्रैक्टिस के पार्टनर राहुल चरखा ने कहा कि पिछले साल मानक कटौती को नई कर व्यवस्था का हिस्सा बनाए जाने के बाद मांग तेज हो गई है।
धारा 80 सी में मिल सकती है राहत
धारा 80 सी आमतौर पर टैक्स बचाने की कर-बचत प्रणाली है, जो व्यक्तियों द्वारा पुराने टैक्स प्रणाली के तहत इस्तेमाल की जाती है। वहीं, राहुल चरखा के मुताबिक, "जागरूकता के साथ, व्यक्ति धारा 80 सी के तहत निवेश कर रहे हैं। जीवन बीमा प्रीमियम, ट्यूशन फीस, गृह ऋण के मूलधन पुनर्भुगतान पर खर्च भी काफी हद तक बढ़ गया है। इसलिए अक्सर, अधिकांश व्यक्ति 1.5 लाख रुपये की सीमा के बाद इस तरह कटौती का सामना नहीं कर सकते हैं। इस प्रकार करदाता बजट से इस सीमा में वृद्धि का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। जीवन यापन की लागत में वृद्धि, खुदरा मुद्रास्फीति आदि धारा 80 सी में वृद्धि की तुलना में बहुत अधिक दर पर है। उनके अनुसार धारा 80 सी के लिए व्यावहारिक सीमा 3 लाख रुपये तक होनी चाहिए"।
स्वास्थ्य बीमा पर वित्त मंत्री से ये दरकार
निवारक स्वास्थ्य जांच के लिए अधिकतम राशि 5,000 रुपये की बचत है, जो 25,000 रुपये की कुल सीमा में है। इसके अलावा, करदाता भुगतान किए गए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम और अपने माता-पिता के लिए निवारक स्वास्थ्य जांच से संबंधित खर्च में 25,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती का भी दावा कर सकते हैं। यदि करदाता या तो स्वयं, परिवार के सदस्य, माता-पिता, जिसके लिए प्रीमियम का भुगतान किया जा रहा है। अगर वह वरिष्ठ नागरिक है, तो कटौती की सीमा बढ़कर 50,000 रुपये हो जाती है। इसके लिए बड़े स्तर पर लोगों ने 80 डी को अपना रखा है।
वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए, जहां स्वास्थ्य बीमा ने महामारी में प्रमुख भूमिका निभाई है व्यक्तियों के लिए धारा 80 डी की सीमा 25,000 रुपये से बढ़कर 50,000 रुपये और वरिष्ठ नागरिकों के लिए 50,000 रुपये से कम से कम 75,000 रुपये की जानी चाहिए।
इसके साथ ही जिन्होंने भी पुरानी टैक्स व्यवस्था को अपनाया हुआ है उन्हें स्वास्थ बीमा प्रीमियम भुगतान और सालाना होने वाले चिकित्सा खर्च से संबंधित कटौती मिलती है। और हाल में लागू हुए टैक्स-बचत प्रणाली में यह व्यवस्था नहीं है। अभी वाली प्रणाली में धारा 80 डी, 80 डीडी और 80 डीबी के अंतर्गत आती है और यह उनपर भी लागू होती है जो हिंदू अविभाजित परिवारों से आते हैं। बड़े स्तर पर लोगों ने 80 डी को अपना रखा है।