ब्रिक्स देशों में भारत का स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च सबसे कम, प्रौद्योगिकी सहायक हो सकती है: सेठ
By भाषा | Published: May 13, 2021 10:27 PM2021-05-13T22:27:17+5:302021-05-13T22:27:17+5:30
नयी दिल्ली, 13 मई आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत का ब्रिक्स देशों में स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय सबसे कम है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच में प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
ब्रिक्स पांच उभरते देशों...ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका...का समूह है। समूह का वैश्विक आबादी में 42 प्रतिशत, जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 23 प्रतिशत, क्षेत्र में 30 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार में 18 प्रतिशत योगदान है।
वित्त मंत्रालय और नव विकास बैंक (एनडीबी) द्वारा संयुक्त रूप से सामाजिक बुनियादी ढांचा वित्त पोषण तथा डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग विषय पर ‘ऑनलाइन’ आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए सेठ ने कहा कि इस महामारी से सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में जारी यात्रा को झटका लगा है।
उन्होंने कहा कि संसाधन हमेशा सीमित होता है। ‘‘ऐसे में सवाल उठता है कि जोर पहुंच पर हो या फिर गुणवत्ता पर...जीवन प्रत्याशा और स्वास्थ्य के साथ-साथ शिक्षा पर होने वाले सार्वजनिक व्यय में व्यापक भिन्नता है।’’
शिक्षा के संदर्भ में सेठ ने कहा कि ब्रिक्स के तीन देश जीडीपी का 4 से 4.5 प्रतिशत खर्च करते हैं जबकि दो देश ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जीडीपी का करीब 6 प्रतिशत खर्च करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘स्वास्थ्य की बात की जाए तो भारत का सार्वजनिक व्यय ब्रिक्स देशों में सबसे कम है। यहां वित्तपोषण के लिए एक अधिक बारीक दृष्टिकोण के साथ डिलिवरी का सबसे अच्छा तरीका अपनाना होगा।’’ उन्होंने यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी डिलिवरी को सुगम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
सचिव ने कहा कि टेलीमेडिसिन, डॉयग्नोस्टिक विश्लेषण बड़े क्षेत्र हैं जहां प्रौद्योगिकी के जरिये पहुंच की समस्या को दूर किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी ऐसी नहीं होनी चाहिए जिससे डिजिटल अंतर बढ़े बल्कि ऐसी हो जिसमें गरीबों की पहुंच सबसे पहले हो।
सेठ ने कहा कि हमे ऐसी ही प्रौद्योगिकी तैयार करनी है, जो सबसे पहले गरीबों की मदद करे।
सेमिनार में प्रख्यात अर्थशास्त्री और कोलंबिया विश्विविद्यालय में सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट के निदेशक जेफरी डी साक्श ने कहा कि यह समय निवेश बढ़ाने का है। चीन ने निवेश बढ़ाकर ही चार दशक से अधिक समय में उल्लेखनीय सतत वृद्धि हासिल की है।
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