भारत ने किया आगाह, तेल की ऊंची कीमतों का वैश्विक पुनरुद्धार पर प्रतिकूल असर होगा

By भाषा | Published: October 20, 2021 08:47 PM2021-10-20T20:47:42+5:302021-10-20T20:47:42+5:30

India warns, high oil prices will have an adverse effect on global revival | भारत ने किया आगाह, तेल की ऊंची कीमतों का वैश्विक पुनरुद्धार पर प्रतिकूल असर होगा

भारत ने किया आगाह, तेल की ऊंची कीमतों का वैश्विक पुनरुद्धार पर प्रतिकूल असर होगा

नयी दिल्ली, 20 अक्टूबर दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ता देश भारत ने बुधवार को आगाह करते हुए कहा कि तेल की ऊंची कीमतें शुरुआती और नाजुक वैश्विक आर्थिक पुनरुद्धार पर प्रतिकूल असर डालेंगी। भारत ने सऊदी अरब और ओपेक (तेल निर्यातक देशों के संगठन) के अन्य सदस्य देशों से सस्ती और भरोसेमंद आपूर्ति की दिशा में काम करने को कहा।

साथ ही भारत ने दीर्घकालीन आपूर्ति अनुबंधों का विचार रखा। इससे भरोसेमंद और स्थिर कीमत व्यवस्था सुनिश्चित हो सकेगी।

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सेरा वीक के ‘इंडिया एनर्जी फोरम’ में कहा कि तेल की मांग और ओपेक और उससे जुड़े सहयोगी देशों (ओपेक प्लस) जैसे उत्पादकों की तरफ से होने वाली आपूर्ति में अंतर है। ऐसे में उत्पादन बढ़ाये जाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया को कोविड-पूर्व स्तर पर आने के लिये भरोसेमंद, स्थिर और सस्ती कीमत की जरूरत है।’’

पेट्रोलियम सचिव तरुण कपूर ने कहा कि भारत जैसे आयातक देश फिलहाल सऊदी अरब और इराक जैसे ओपेक देशों से तेल खरीदने को लेकर अनुबंध करते हैं। इन अनुबंधों से केवल मात्रा को लेकर निश्चितता रहती है। जबकि कीमत डिलिवरी के समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रचलित मूल्य के आधार पर तय होती है।

उन्होंने कहा, ‘‘गैस के मामले में अनुबंध 25 साल तक की अवधि के लिये होता है और कीमत का निर्धारण तय मानकों पर होता है। तेल के लिये भी दीर्घकालीन अनुबंध के साथ कीमत को लेकर मानक होने चाहिए। यह मानक कोयला या फिर गैस जैसे वैकल्पिक ईंधन की कीमतों के आधार पर हो सकता है।’’

सचिव ने कहा कि ओपेक और सहयोगी देशों को इस मौके पर आगे आना चाहिए और ग्राहकों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिये उत्पादन बढ़ाना चाहिए।

इस साल मई से कीमतों में वृद्धि के साथ देशभर में पेट्रोल और डीजल के दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गये हैं।

पुरी ने कहा, ‘‘अगर ऊर्जा की कीमतें ऊंची बनी रहीं, तो वैश्विक आर्थिक पुनरुद्धार पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उतार-चढ़ाव से न केवल भारत बल्कि औद्योगिक देश भी प्रभावित होंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह सबके हित में है कि हम वैश्विक आर्थिक पुनरुद्धार को बनाये रखें। इसीलिए स्थिर और सस्ती ऊर्जा उत्पादक और आयातक देशों दोनों के हित में है।’’

मंत्री ने कहा कि ऊर्जा विनाशकारी महामारी के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिये महत्वपूर्ण है। तेल की ऊंची कीमतें आर्थिक पुनरुद्धार की गति को धीमा करेंगी। ‘‘मुझे भरोसा है कि ओपेक और सहयोगी देश उपभोक्ता देशों की भावना का ध्यान रखेंगे।’’

इससे पहले, जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा ने सोमवार को कहा था कि हाल में कीमतों में तेजी को देखते हुए तेल उत्पादक देशों को उत्पादन बढ़ाने के लिये प्रेरित होना चाहिए।

पुरी ने कहा, ‘‘अगर ऊर्जा की कीमत ऊंची बनी रहती है, वैश्विक आर्थिक पुनरुद्धार पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।’’

पिछले साल अप्रैल में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल का दाम टूटकर 19 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था। इसका कारण कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये विभिन्न देशों में लगाया गया ‘लॉकडाउन’ था। इससे मांग काफी निचले स्तर पर पहुंच गयी थी। इस साल टीकाकरण के साथ वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था में गतिविधियां तेज होने से मांग बढ़ी।

इससे अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड अब 84 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है।

उन्होंने कहा कि इससे ईंधन महंगा हुआ है और मुद्रास्फीति की आशंका बढ़ी है।

पुरी ने कहा कि भारत का तेल आयात बिल 2020 में जून तिमाही 8.8 अरब डॉलर था। यह वैश्विक स्तर पर तेल के दाम में तेजी के कारण अब 24 अरब डॉलर पहुंच गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत का यह मानना है कि ऊर्जा की पहुंच भरोसेमंद, किफायती और टिकाऊ होनी चाहिए।’’ विनाशकारी महामारी के बाद आर्थिक पुनरुद्धार अभी नाजुक स्थिति में है तथा ऐसे में तेल के दाम में तेजी से स्थिति और बिगड़ सकती है।

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Web Title: India warns, high oil prices will have an adverse effect on global revival

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