विदेशों में भाव बढ़ने से यहां भी बढ़े तेल- तिलहन के दाम, सोयाबीन, कच्चा पॉम तेल हुआ महंगा

By भाषा | Updated: January 3, 2021 17:45 IST2021-01-03T17:45:36+5:302021-01-03T17:45:36+5:30

Increased prices abroad also increased oil prices - oilseeds, soyabean, crude palm oil became costlier | विदेशों में भाव बढ़ने से यहां भी बढ़े तेल- तिलहन के दाम, सोयाबीन, कच्चा पॉम तेल हुआ महंगा

विदेशों में भाव बढ़ने से यहां भी बढ़े तेल- तिलहन के दाम, सोयाबीन, कच्चा पॉम तेल हुआ महंगा

नयी दिल्ली, तीन जनवरी विदेशों में खाद्य तेलों के दाम बढ़ने के साथ ही वैश्विक स्तर पर हल्के तेलों की मांग बढ़ने से दिल्ली तेल तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, बिनौला तथा कच्चे पाम तेल में बढ़त दर्ज की गई।

बाजार सूत्रों के अनुसार देश भर की मंडियों में तिलहन की आवक फिलहाल कम है। किसानों की तरफ से सरसों की आवक देशभर में सवा लाख बोरी से घटकर 65,000 बोरी रह गई है, वहीं सोयायाबीन की प्रति एकड़ उत्पादकता कम रहने से उत्पादन में कमी आई है। यही वजह है कि गत सप्ताहांत इन तेलों के दाम में सुधार दर्ज किया गया।

जानकार सूत्र बताते हैं कि पिछले दो ढाई माह के दौरान विदेशों में खाद्य तेलों के दाम तेजी से बढ़े हैं। इस दौरान सोयाबीन डीगम का भाव 850- 900 डालर प्रति टन से बढ़कर 1165 डालर प्रति टन पर पहुंच गया। वहीं मलेशिया, इंडोनेशिया से आने वाले कच्चे पामॅ तेल का कांडला पहुंच भाव 750- 800 डालर से बढ़कर 1040- 1050 डालर प्रति टन हो गया। उक्रेन से आने वाला सूरजमुखी तेल पिछले छह माह में 850 डालर से बढ़कर 1,250 डालर प्रति पर पहुंच गया।

सूत्रों ने कहा कि ब्राजील और अर्जेन्टीना में शुष्क मौसम के कारण सोयाबीन की ऊपज प्रभावित होने की आशंका है। विदेशों में सोयाबीन तिलहन आठ प्रतिशत, सोयाबीन तेल चार प्रतिशत और तेल रहित सोयाबीन खल (डीओसी) में आठ प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई है। वहीं भारत तेल रहित खल की निर्यात मांग पिछले साल के मुकाबले 200 प्रतिशत तक बढ़ी है। भारत की खल को दुनिया में सबसे अधिक प्रोटीनयुक्त माना जाता है। इस स्थिति के चलते घरेलू बाजार में गत सप्ताहांत सोयाबीन तेल का मिल डिलीवरी भाव 13,000 रुपये क्विंटल तक पहुंच गया।

उन्होंने कहा कि देश में सीपीओ के आयात शुल्क में कमी का फायदा लेते हुए मलेशिया में इसके निर्यात शुल्क में लगभग आठ प्रतिशत की वृद्धि कर दी गई, वहीं इंडोनिशया ने लेवी और निर्यात शुलक में कुल मिलाकर 155 डालर बढ़ा दिये। इसका परिणाम यह हुआ कि कच्चे पॉम तेल का आयात महंगा हो गया। भारत सरकार की ओर से आयात शुल्क में कुल मिलाकर 11 प्रतिशत की कमी किये जाने के बावजूद कच्चे पॉम तेल का आयात महंगा हो गया। इसका असर यह रहा कि गत सप्ताहांत सरसों दाना अपने पिछले सप्ताहांत के मुकाबले 170 रुपये सुधरकर 6,350-6,400 रुपये क्विन्टल और सरसों दादरी तेल 650 रुपये बढ़कर 12,800 रुपये क्विन्टल पर बंद हुआ। वहीं, निर्यात मांग से मूंगफली दाना सप्ताहांत में 25 रुपये सुधरकर 5,460-5,525 रुपये क्विन्टल और मूंगफली गुजरात तेल का भाव 50 रुपये बढ़कर 13,650 रुपये क्विन्टल पर पहुंच गया।

कच्चा पॉम तेल (सीपीओ) का भाव 200 रुपये बढ़कर 9,850 रुपये, रिफाइंड पामोलिन दिल्ली का भाव 150 रुपये बढ़कर 11,400 रुपये और पामोलीन कांडला (बीना जीएसटी) 100 रुपये सुधरकर 10,500 रुपये क्विंटल पर पहुंच गया। आयातित तेलों के मुकाबले सस्ता होने के कारण बिनौला तेल भी 550 रुपये सुधरकर (बिना जीएसटी के) 11,000 रुपये क्विंटल हो गया।

बाजार सूत्रों का कहना है कि भारत अपनी 70 प्रतिशत खाद्यतेल जरुरतों के लिए आयात पर निर्भर है। यह स्थिति देश के लिये अच्छी नहीं हो सकती और इस निर्भरता को कम करते हुए घरेलू तेल- तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन की आवश्यकता है। जानकारों का कहना है कि 1990 के दशक में भारत जहां खली का निर्यात कर तेल तिलहन उद्योग 3000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा कमाता था वहीं आज आयात पर एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की बहुमूल्य विदेशी मुद्रा खर्च कर रहा है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Increased prices abroad also increased oil prices - oilseeds, soyabean, crude palm oil became costlier

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे