डीएपी, अन्य गैर यूरिया उर्वरकों की सब्सिडी में वृद्धि; राजकोष पर 14,775 करोड़ रुपये का पड़ेगा बोझ

By भाषा | Published: June 16, 2021 08:37 PM2021-06-16T20:37:30+5:302021-06-16T20:37:30+5:30

Increase in subsidy of DAP, other non-urea fertilizers; There will be a burden of Rs 14,775 crore on the exchequer | डीएपी, अन्य गैर यूरिया उर्वरकों की सब्सिडी में वृद्धि; राजकोष पर 14,775 करोड़ रुपये का पड़ेगा बोझ

डीएपी, अन्य गैर यूरिया उर्वरकों की सब्सिडी में वृद्धि; राजकोष पर 14,775 करोड़ रुपये का पड़ेगा बोझ

नयी दिल्ली, 16 जून केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को डीएपी और कुछ अन्य गैर-यूरिया उर्वरकों की सब्सिडी में कुल 14,775 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की ताकि आयात की बढ़ती लागतों के बावजूद किसानों को खाद सस्ते में उपलब्ध होती रहे।

महामारी के बावजूद, सरकार की इस पहल से किसानों को काफी राहत मिलेगी।

देश में यूरिया के बाद उर्वरकों में सबसे अधिक खपत डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की होती है।

पिछले महीने केंद्र ने डीएपी उर्वरक पर सब्सिडी 140 प्रतिशत बढ़ाने का फैसला किया था। यह फैसला प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया था।

मीडिया को जानकारी देते हुए, रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बुधवार को कहा कि आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने किसानों के लाभ के लिए डीएपी उर्वरक के लिए सब्सिडी राशि बढ़ाने को मंजूरी दे दी है।

उन्होंने कहा, ‘'किसानों को 1,200 रुपये प्रति बोरी की पुरानी दर से डीएपी मिलता रहेगा।’’

इस पहल से यह सुनिश्चित होगा कि वैश्विक कीमतों में वृद्धि के बावजूद किसानों को पुरानी दरों पर ही ये खाद मिलते रहें।

एक बोरी में 50 किलोग्राम उर्वरक होता है।

उनके अनुसार, किसानों को राहत देने के लिए डीएपी उर्वरक की सब्सिडी 500 रुपये प्रति बोरी से बढ़ाकर 1,200 रुपये प्रति बोरी कर दी गई है।

मंत्री ने यह भी कहा कि सरकारी खजाने पर उर्वरक सब्सिडी का बोझ अनुमानित 14,775 करोड़ रुपये बढ़ जाएगा।

वर्ष 2021-22 के केन्द्रीय बजट में सरकार ने उर्वरक सब्सिडी के लिए करीब 79,600 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।

पिछले साल डीएपी की वास्तविक कीमत 1,700 रुपये प्रति बोरी थी, जिस पर केंद्र सरकार 500 रुपये की सब्सिडी दे रही थी। इसलिए कंपनियां किसानों को खाद 1,200 रुपये प्रति बोरी में बेच रही थीं।

वैश्विक कीमतों में वृद्धि के साथ, डीएपी की वास्तविक कीमत 2,400 रुपये प्रति बोरी पर पहुंच गई है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसानों को 1,200 रुपये प्रति बोरी की पुरानी दर पर डीएपी मिले, केंद्र ने सब्सिडी को बढ़ाकर 1,200 रुपये प्रति बोरी करने का फैसला किया है।

मंडाविया ने कहा कि सरकार यूरिया पर औसतन 900 रुपये प्रति बोरी सब्सिडी दे रही है।

हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार डीएपी सहित गैर-यूरिया उर्वरकों पर एक निश्चित राशि की सब्सिडी प्रदान करती है।

एक सरकारी बयान के अनुसार, सीसीईए ने ‘‘वर्ष 2021-22 (मौजूदा सत्र तक) के लिए पी एंड के (फॉस्फेटिक और पोटासिक) उर्वरकों के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) दरों के निर्धारण के लिए उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।’’

अब, नाइट्रोजन (यूरिया) के लिए सब्सिडी दर प्रति किलो 18.789 रुपये है, फॉस्फोरस के लिए 45.323 रुपये, पोटाश के लिए 10.116 रुपये है तथा सल्फर के लिए प्रति किलो 2.374 रुपये है।

फॉस्फोरस पर पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) की दर पिछले साल 18.78 रुपये प्रति किलोग्राम थी।

सरकार ने कहा कि उसने सभी उर्वरक कंपनियों को कह रखा है कि डीएपी के अपने पुराने स्टॉक को पुरानी कीमतों पर ही बेचें।

बयान में कहा गया है, “इसके अलावा, सरकार ने यह सहमति जतायी थी कि देश और उसके नागरिक (किसानों सहित) कोविड महामारी की दूसरी लहर में अचानक उछाल के कारण अभूतपूर्व समय से गुजर रहे हैं।’’

इसमें कहा गया कि ‘‘... भारत में डीएपी के मूल्य निर्धारण के इस संकट को एक असाधारण स्थिति और किसानों के लिए संकट के रूप में देखते हुए, सरकार ने एनबीएस योजना के तहत किसानों के लिए एक विशेष पैकेज के रूप में सब्सिडी दरों में इस तरह से वृद्धि की है कि डीएपी की एमआरपी (अन्य पीएंडके सहित) को वर्तमान खरीफ मौसम तक पिछले वर्ष के स्तर पर रखा जा सकता है।

दसमें कहा गया कि यह किसानों की कठिनाइयों को कम करने के लिए एकमुश्त उपाय के रूप में किया गया है।

बयान में कहा गया है, ‘‘ऐसी व्यवस्था के लिए अनुमानित अतिरिक्त सब्सिडी का बोझ लगभग 14,775 करोड़ रुपये होगा।’’

सरकार ने कहा कि उर्वरकों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कुछ महीनों के भीतर कमी आने की उम्मीद है। उसने कहा कि वह स्थिति की समीक्षा कर सकती है और उस समय सब्सिडी दरों के बारे में कोई फैसला कर सकती है।

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Web Title: Increase in subsidy of DAP, other non-urea fertilizers; There will be a burden of Rs 14,775 crore on the exchequer

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