श्रम संहिताओं का क्रियान्वयन टला; फिलहाल वेतन, कंपनियों की भविष्य निधि देनदारी में बदलाव नहीं

By भाषा | Published: March 31, 2021 05:17 PM2021-03-31T17:17:03+5:302021-03-31T17:17:03+5:30

Implementation of labor codes postponed; At present, there is no change in salary, companies' provident fund liability | श्रम संहिताओं का क्रियान्वयन टला; फिलहाल वेतन, कंपनियों की भविष्य निधि देनदारी में बदलाव नहीं

श्रम संहिताओं का क्रियान्वयन टला; फिलहाल वेतन, कंपनियों की भविष्य निधि देनदारी में बदलाव नहीं

नयी दिल्ली, 31 मार्च श्रम कानूनों में बदलाव से जुड़े चार श्रम संहिताएं एक अप्रैल से लागू नहीं होंगे क्योंकि राज्यों ने इस संदर्भ में नियमों को अभी अंतिम रूप नहीं दिया है। इसका मतलब है कि कर्मचारियों के खाते में जितना वेतन आता था, पूर्व की तरह फिलहाल आता रहेगा वहीं नियोक्ताओं पर भविष्य निधि देनदारी में कोई बदलाव नहीं होगा।

श्रम संहिताओं के अमल में आने से कर्मचारियों के मूल वेतन और भविष्य निधि तथा ग्रेच्युटी गणना में बड़ा बदलाव आएगा।

श्रम मंत्रालय ने औद्योगिक संबंधों, मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा, पेशागत स्वास्थ्य सुरक्षा और कामकाज की स्थित पर चार संहिताओं को एक अप्रैल, 2021 से लागू करने की योजना बनायी थी।

मंत्रालय ने चारों संहिताओं को लागू करने के लिये नियमों को अंतिम रूप दे दिया है।

एक सूत्र ने बताया, ‘‘चूंकि राज्यों ने चारों श्रम संहिताओं के संदर्भ में नियमों को अंतिम रूप नहीं दिया है, इन कानूनों का क्रियान्वयन कुछ समय के लिये टाला जा रहा है।’’

सूत्रों के अनुसार कुछ राज्यों ने नियमों का मसौदा जारी किया है। ये राज्य हैं...उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड।’’

चूंकि श्रम का मामला देश के संविधान में समवर्ती सूची में है, अत: केंद्र एवं राज्य दोनों को संहिताओं को अपने-अपने क्षेत्र में क्रियान्वित करने के लिये उससे जुड़े नियमों को अधिसूचित करना है।

नयी मजदूरी संहिता के तहत भत्तों को कुल वेतन के 50 प्रतिशत तक सीमित रखा गया है। इसका मतलब है कि कर्मचारियों के कुल वेतन का आधा मूल वेतन होगा।

भविष्य निधि का आकलन मूल वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता) के आधार पर किया जाता है। ऐसे में मूल वेतन अगर बढ़ता है तो भविष्य निधि में योगदान बढ़ेगा। इससे जहां एक तरफ कमचारियों के भविष्य निधि में अधिक पैसा कटेगा, वहीं कंपनियों पर इस मद में देनदारी बढ़ेगी।

नियोक्ता मूल वेतन को कम करने के लिये कर्मचारियों के वेतन को विभिन्न भत्तों में बांट देते हैं। इससे भविष्य निधि देनदारी कम हो जाती है और आयकर भुगतान कम होता है।

अगर श्रम संहिताएं एक अप्रैल से अमल में आती, कर्मचारियों के खाते में आने वाला वेतन जरूर कम होता लेकिन सेवानिवृत्ति मद यानी भविष्य निधि में उनका ज्यादा पैसा जमा होता। साथ ही सेवानिवृत्ति के समय अधिक ग्रेच्युटी का लाभ मिलता। दूसरी तरफ कई मामलों में इससे नियोक्ताओं पर भविष्य निधि देनदारी बढ़ती।

अब इन संहिताओं के लागू नहीं होने से नियोक्ताओं को अपने कर्मचारियों के वेतन को नये कानून के तहत संशोधित करने के लिये कुछ और समय मिल गया है।

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Web Title: Implementation of labor codes postponed; At present, there is no change in salary, companies' provident fund liability

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