उत्पादों के आयात में समुद्री मार्ग से ढुलाई पर जीएसटी रिफंड का रास्ता खुलाः विशेषज्ञ

By भाषा | Published: May 22, 2022 03:38 PM2022-05-22T15:38:09+5:302022-05-22T15:38:57+5:30

विशेषज्ञों का कहना है कि मोहित मिनरल्स वाद में सुनाए गए उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद समुद्री ढुलाई पर जीएसटी भुगतान कर चुके करदाताओं को रिफंड का दावा करने का अधिकार मिल गया है। 

GST refund opened on sea route for import of products says Experts | उत्पादों के आयात में समुद्री मार्ग से ढुलाई पर जीएसटी रिफंड का रास्ता खुलाः विशेषज्ञ

उत्पादों के आयात में समुद्री मार्ग से ढुलाई पर जीएसटी रिफंड का रास्ता खुलाः विशेषज्ञ

Highlightsकरदाताओं ने अगर इनपुट कर क्रेडिट नहीं लिया है, तो वे रिफंड का दावा करने के हकदार होंगेउच्चतम न्यायालय ने कंपनी के पक्ष में आए उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा

नई दिल्ली: आयातित उत्पादों पर ‘समुद्री मार्ग से ढुलाई’ का भुगतान करते समय जीएसटी देने वाले करदाताओं ने अगर इनपुट कर क्रेडिट (आईटीसी) नहीं लिया है, तो वे रिफंड का दावा करने के हकदार होंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि मोहित मिनरल्स वाद में सुनाए गए उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद समुद्री ढुलाई पर जीएसटी भुगतान कर चुके करदाताओं को रिफंड का दावा करने का अधिकार मिल गया है। 

इसकी शर्त बस यह है कि करदाताओं ने पहले से आईटीसी न लिया हो। इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि भारतीय आयातक ‘समग्र आपूर्ति’ पर ‘एकीकृत माल एवं सेवा कर’ (आईजीएसटी) का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं। लिहाजा भारतीय आयातक पर सेवा की आपूर्ति के लिए अलग से शुल्क लगाना केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन होगा। इस मामले में कंपनी ने गुजरात उच्च न्यायालय में समुद्री मालभाड़े पर एकीकृत जीएसटी लगाने के संबंध में सीबीआईसी की अधिसूचना की वैधता को चुनौती दी थी। 

उच्चतम न्यायालय ने कंपनी के पक्ष में आए उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा है। टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज के भागीदार विवेक जालान ने कहा कि यह आयातकों और जीएसटी करदाताओं के लिए एक बड़ी राहत है। उन्होंने कहा, ‘‘असल में पहले ही जीएसटी का भुगतान कर चुके करदाता भी अब उसकी वापसी की मांग कर सकते हैं।’’ एन ए शाह एसोसिएट्स में भागीदार नरेश सेठ ने कहा, ‘‘इस तरह का शुल्क मूलतः भारत के बाहर दो विदेशी पक्षों के बीच होने वाले लेनदेन पर लगने वाले कर की तरह था और यह स्पष्ट रूप से भारत सरकार के अधिकार-क्षेत्र से बाहर है।’’ 

उन्होंने कहा कि आमतौर पर आयातित माल का मूल्य असल में सीआईएफ (लागत, बीमा, भाड़ा) होता है लिहाजा इस तरह के मूल्य पर सीमा शुल्क और जीएसटी लगाया जाता है। लेकिन सीबीआईसी ने आयातित माल के मूल्य के 10 प्रतिशत को समुद्री मालभाड़ा मानते हुए आयातित माल के मूल्य पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने की भी मांग की। एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा कि यह आईजीएसटी का दोहरा कराधान था क्योंकि माल के मूल्य के हिस्से के रूप में पहले ही कर चुकाया जा चुका है। 

इसके अलावा ये सेवाएं विदेशी निर्यातक द्वारा प्राप्त की जाती हैं, इस प्रकार भारतीय आयातक को उसपर जीएसटी का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जाएगा। मोहन ने कहा, ‘‘इस फैसले से उन आयातकों के लिए अवसर की एक खिड़की खोली गई है जो पहले ही कर का भुगतान कर चुके हैं। अब वे सरकारी खजाने से चुकाए गए कर के रिफंड की मांग कर सकते हैं।’’

भारतीय निर्यातक संगठनों के महासंघ (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि उनका संगठन पहले ही यह मांग कर चुका है कि सीआईएफ मूल्य पर आयातित उत्पादों में समुद्री ढुलाई पर जीएसटी नहीं लगाया जाना चाहिए।

Web Title: GST refund opened on sea route for import of products says Experts

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे