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सरकार की 3- 4 माह में एक नया विकास वित्त संस्थान बनाने की योजना: वित्तीय सेवा विभाग के सचिव

By भाषा | Updated: December 22, 2020 19:37 IST

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:कुमार दीपांकर:

नयी दिल्ली, 22 दिसंबर सरकार की योजना अगले तीन से चार माह में एक विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) स्थापित करने की है। सरकार की 111 लाख करोड़ रुपये की महत्वकांक्षी राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन के वित्तपोषणा के वास्ते यह संस्थान बनाया जायेगा। वित्तीय सेवा विभाग के सचिव देवाशीष पांडा ने यह बताया।

देवाशीष ने पीटीआई- भाषा से खास बातचीत में कहा, ‘‘हमें एक विकास वित्त संस्थान की जरूरत है क्योंकिं ढांचागत क्षेत्र की परियोजनाओं के लिये धैर्यशीली पूंजी की आवश्यकता होती है। सालों तक कोई नकदी सृजित नहीं करने वाली दीर्घकालिक परियोजनाओं के लिये पूंजी उपलब्ध कराने को बैंकों की स्थिति इस समय उपयुक्त नहीं है। ’’

बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिये बॉंड बाजार को और विस्तृत करने की बात है। उस पर सरकार का ध्यान है। इस दिशा में और अधिक काम करने की आवश्यकता है ताकि एक गतिशील बॉंड बाजार तैयार किया जा सके।

देवाशीष पांडा ने कहा, ‘‘जरूरी पूंजी उपलब्ध कराने, परियोजनाओं की साख रेटिंग बढ़ाने के लिये एक विकास वित्त संस्थान की आवश्यकता है। हम इस दिशा में पूरी सक्रियता के साथ काम कर रहे हैं। जल्द ही इस प्रकार का संस्थान स्थापित होगा। हम इसके लिये ब्यौरे को अंतिम रूप देने में लगे हैं। संस्थान में सरकार की हिस्सेदारी और संस्थान की स्थापना क्या कानून के जरिये की जायेगी इन मुद्दों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।’’

पांडा ने कहा कि कार्य प्रगति पर है और चालू वित्त वर्ष के अंत तक अथवा अगले साल की शुरूआत में यह विकास वित्त संस्थान वास्तविकता होगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने पिछले बजट भाषणा में ढांचागत परियोजनाओं के वित्त पोषण के वास्ते एक विकास वित्त संस्थान बनाने का प्रस्ताव किया था। सरकार ने राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) के तहत करीब 7,000 परियोजनाओं की पहचान की है। इन परियोजनाओं पर 2020- 25 के दौरान 111 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने का अनुमान है।

देश को वित्त वर्ष 2024- 25 तक 5,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिये विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने और लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिये एनआईपी की पहल की गई है।

पांडा ने कहा कि डीएफआई की इसमें वित्तपोषण उपलब्ध कराने के साथ ही अहम विकासात्मक भूमिका भी होगी। यह नया संस्थान सभी तरह के नवोन्मेषी वित्तीय तौर तरीकों को अपनायेगा। ऐसी इससे उम्मीद होगी।

देश में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत से पहले आईसीआईसीआई और आईडीबीआई भी विकास वित्त संस्थानों की ही भूमिका में थे। यहां तक कि देश का सबसे पुराना वित्त संस्थान आईएफसीआई लिमिटेड भी विकास वित्त संस्थान की ही भूमिका में रहा है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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