देश में मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर, महंगाई में वृद्धि को लेकर आशंकाओं को मजबूती से थामने की जरूरत, आरबीआई लेख में खुलासा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 16, 2022 09:20 PM2022-09-16T21:20:02+5:302022-09-16T21:20:50+5:30
खुदरा मुद्रास्फीति में तीन महीने से जारी गिरावट अगस्त महीने में थम गयी और मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के महंगा होने से यह बढ़कर सात प्रतिशत तक पहुंच गयी।
मुंबईः देश में मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई है। इसको देखते हुए मौद्रिक नीति के लिये महंगाई में वृद्धि को लेकर आशंकाओं को मजबूती से थामने की जरूरत है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के शुक्रवार को जारी ताजा बुलेटिन में यह कहा गया है।
खुदरा मुद्रास्फीति में तीन महीने से जारी गिरावट अगस्त महीने में थम गयी और मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के महंगा होने से यह बढ़कर सात प्रतिशत तक पहुंच गयी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति लगातार आठवें महीने रिजर्व बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है।
आरबीआई मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर पर गौर करता है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा के नेतृत्व वाली एक टीम के लिखे लेख में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार कम होने से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, जो फिलहाल ऊंची बनी हुई है।
लेख में कहा गया कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान आर्थिक वृद्धि के स्तर पर जो हल्की नरमी आई है, भारतीय अर्थव्यवस्था उससे बाहर निकलने की ओर बढ़ रही है। लेख के अनुसार, कुल मांग मजबूत बनी हुई है और इसके त्योहार शुरू होने के साथ बढ़ने की उम्मीद है। घरेलू स्तर पर वित्तीय परिस्थितियां भी आर्थिक वृद्धि का समर्थन कर रही है।
लेखकों ने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई है और संतोषजनक स्तर से ऊपर है। यह महंगाई संबंधी आशंकाओं को मजबूती के साथ काबू में रखने के लिए मौद्रिक नीति की आवश्यकता को दर्शाती है।’’ केंद्रीय बैंक ने साफ किया है कि लेख में व्यक्त की गई राय लेखकों की हैं और रिजर्व बैंक के विचारों का नहीं दर्शाती है।
आरबीआई गवर्नर के अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति की सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय बैंक ने महंगाई को काबू में करने के लिए रेपो दर में मई से अबतक 1.40 प्रतिशत की वृद्धि की है। मौद्रिक समिति की अगली बैठक 28 से 30 सितंबर, 2022 को होगी।