दूरसंचार उपकरण बनाने वाली कंपनियों की नीतियों में घरेलू कंपनियों के समान व्यवहार किए जाने की मांग

By भाषा | Updated: December 10, 2020 23:22 IST2020-12-10T23:22:32+5:302020-12-10T23:22:32+5:30

Demands to treat domestic companies equally in policies of telecom equipment manufacturers | दूरसंचार उपकरण बनाने वाली कंपनियों की नीतियों में घरेलू कंपनियों के समान व्यवहार किए जाने की मांग

दूरसंचार उपकरण बनाने वाली कंपनियों की नीतियों में घरेलू कंपनियों के समान व्यवहार किए जाने की मांग

नयी दिल्ली, 10 दिसंबर नोकिया, एरिक्सन और सिस्को जैसी दूरसंचार उपकरण बनाने वाली विदेशी कंपनियों ने विनिर्माण क्षेत्र के नीतिगत निर्णयों में उनके साथ घरेलू कंपनियों के समान व्यवहार किए जाने की मांग की।

इन कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी बृहस्पतिवार को भारतीय मोबाइल कांग्रेस-2020 में बोल रहे थे। सरकार के निर्यात को बढ़ावा देने के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि देश में इस तरह का कलपुर्जा पारितंत्र विकसित किया जाना चाहिए जो भारत में बनने वाले उत्पादों में घरेलू मूल्यवर्द्धन को बढ़ावा दे।

नोकिया कॉरपोरेशन के प्रमुख (विपणन एवं कॉरपोरेट मामले) अमित मारवाह ने कहा, ‘‘ बाजार में पहुंच को निष्पक्ष बनाना चाहिए जो कंपनी के मालिकाना हक के आधार पर विभेद ना करती हो।’’

उन्होंने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) को भविष्य की ओर देखने वाली नीति करार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘अगले स्तर पर निर्णय करने से पहले देश में हमारे मौजूदा निवेश को भी ध्यान रखा जाना चाहिए।’’

मारवाह ने कहा कि नोकिया चेन्नई संयंत्र को स्थापित करने पर करीब 600 करोड़ रुपये व्यय कर चुकी है। इसके अलावा देश में कई अन्य संयंत्रों एवं सुविधाओं की स्थापना पर भी करीब 2,500 करोड़ रुपये का निवेश कर चुकी है। नोकिया ने देश में 50 कर्मचारियों के साथ अपना कामकाज शुरू किया था और अब 15,000 से अधिक कर्मचारी हैं।

सरकार ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है। साथ ही सरकारी खरीद में भारतीय कंपनियों को तरजीह देना भी आरंभ किया है।

एरिक्सन इंडिया के प्रबंध निदेशक नितिन बंसल ने कहा कि हमें यह भी देखना होगा कि बाजार तक पहुंच निष्पक्ष है। हमारी जैसी कंपनी 1903 से भारत में काम कर रही है। किसी भी अन्य देश के मुकाबले भारत में हमारे कर्मचारियों की संख्या अधिक है। देश में विदेशी कंपनी और भारतीय कंपनी की तरह कोई विभेद नहीं होना चाहिए। बल्कि बाजार में बराबरी की पहुंच उपलब्ध कराने की जरूरत है।

सिस्को सिस्टम्स के प्रबंध निदेशक (लोक मामले और भारत एवं दक्षेस में रणनीतिक भागीदारी) हरीश कृष्णन ने कहा कि भारत में कलपुर्जों के लिए पारितंत्र विकसित करने की जरूरत है। और यदि बन जाता है तो कंपनियों के पास अन्य देशों से इसके आयात करने की कोई वजह नहीं बचेगी।

उन्होंने कहा कि बाजार में तरजीही पहुंच उपलब्ध कराना भारतीय और विदेशी दोनों ही कंपनियों के लिए फायदेमंद नहीं है क्योंकि नीति में गैर-वास्तविक मूल्यवर्द्धन नियम बनाए गए हैं। इसकी वजह प्रौद्योगिकी उत्पादों के लिए अनिवार्य बहुत से कलपुर्जे कुछ चुनिंदा देशों से ही आयात किए जाते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Demands to treat domestic companies equally in policies of telecom equipment manufacturers

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे