लक्ष्मी विलास बैंक के ग्राहकों की मिल सकती है राहत, ये प्लान दूर करेगा टेंशन!
By राजेन्द्र सिंह गुसाईं | Published: November 18, 2020 03:08 PM2020-11-18T15:08:04+5:302020-11-18T15:24:38+5:30
यस बैंक के बाद इस साल मुश्किलों में फंसने वाला लक्ष्मी विलास बैंक निजी क्षेत्र का दूसरा बैंक बन गया है...
वित्तीय संकट से गुजर रहे निजी क्षेत्र के लक्ष्मी विलास बैंक पर भारत सरकार ने एक महीने तक के लिए पाबंदियां लगा दी हैं। इस दौरान बैंक के खाताधारक ज्यादा से ज्यादा 25,000 रुपये तक की निकासी कर सकेंगे। बैंक की खस्ता वित्तीय हालत को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक की सलाह के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है।
विलय की योजना से मिल सकती है राहत
हालांकि आरबीआई ने लक्ष्मी विलास के डीबीएस बैंक के साथ विलय की ड्राफ्ट योजना सार्वजनिक की है, जिससे ग्राहकों को राहत मिल सकती है। बता दें कि इस योजना के तहत सिंगापुर का डीबीएस बैंक अपने भारतीय बैंक में 2,500 करोड़ रुपये खर्च करेगा। डीबीएस बैंक भारत में साल 1994 से सक्रिय है।
इस मामले पर आरबीआई ने कहा, ‘‘विलय योजना को मंजूरी मिलने पर इसकी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिये डीबीएस बैंक इंडिया लि. (डीबीआईएल) में सिंगापुर का डीबीएस बैंक 2,500 करोड़ रुपये (46.3 करोड़ सिंगापुर डॉलर) लगाएगा। इसका वित्त पोषण पूरी तरह से डीबीएस के मौजूदा संसाधनों से किया जायेगा।’’
ग्राहक केवल 25,000 रुपये तक कर सकेंगे निकासी
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि बैंक की ओर से विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना नहीं पेश करने की स्थिति में जमाधारकों के हित में यह फैसला किया गया है। साथ ही बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र की स्थिरिता के हितों का भी ख्याल रखा गया है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि इसके अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। इसलिए बैकिंग नियमन अधिनियम 1949 की धारा 45 के तहत केंद्र सरकार ने निजी क्षेत्र के बैंक पर पाबंदी लगायी है।
आदेश के मुताबिक लक्ष्मीविलास बैंक रिजर्व बैंक की अनुमति के बिना बचत, चालू या किसी तरह के जमा खाते से किसी जमाकर्ता को कुल मिलाकर 25,000 रुपये से अधिक का भुगतान नहीं करेगा। केनरा बैंक के पूर्व गैर-कार्यकारी चेयरमैन टीएन मनोहरण को बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है। इस बीच रिजर्व बैंक ने लक्ष्मीविलास बैंक के डीबीएस बैंक के साथ विलय की मसौदा योजना भी सार्वजनिक की है।