दूरसंचार कंपनियों पर बकाए की गणना में गलतियों के मुद्दे पर निर्णय सुनाएगा न्यायालय

By भाषा | Updated: July 19, 2021 18:48 IST2021-07-19T18:48:03+5:302021-07-19T18:48:03+5:30

Court to pronounce judgment on the issue of errors in calculation of dues on telecom companies | दूरसंचार कंपनियों पर बकाए की गणना में गलतियों के मुद्दे पर निर्णय सुनाएगा न्यायालय

दूरसंचार कंपनियों पर बकाए की गणना में गलतियों के मुद्दे पर निर्णय सुनाएगा न्यायालय

नयी दिल्ली, 19 जुलाई उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा है कि वह दूरसंचार क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों द्वारा समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की गणना में गलतियों के मुद्दों को उठाने वाली कंपनियों की अपीलों पर आदेश जारी करेगा।

दूरसंचार क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज ने शीर्ष अदालत के समक्ष यह मामला उठाया है। इन कंपनियों ने कहा है कि उन्हें जिस एजीआर का भुगतान करना है, उसकी गणना में गलतियां हैं और उसे ठीक करने की जरूरत है।

उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल सितंबर में दूरसंचार सेवाप्रदाताओं को सरकार को एजीआर का बकाया चुकाने के लिए 10 साल का समय दिया था। दूरसंचार ऑपरेटरों को एजीआर के 93,520 करोड़ रुपये के भुगतान में काफी मुश्किलें आ रही हैं।

न्यायमूर्ति एल एन राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने शीर्ष अदालत द्वारा इस मामले में पूर्व में दिए गए निर्णय का उल्लेख करते हुए कहा कि एजीआर के बकाये को लेकर कोई पुन: आकलन नहीं हो सकता। पीठ में न्यायमूर्ति एस ए नजीर तथा न्यायमूर्ति एम आर शाह भी शामिल हैं।

हालांकि, दूरसंचार कंपनियों का कहना था कि ये गणितीय गलतियां हैं जिन्हें दुरुस्त करने की जरूरत है। इसमें कई प्रविष्टियां दो बार दर्ज हैं।

वोडाफोन आइडिया की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि वे इसके लिए दूरसंचार विभाग को दोष नहीं दे रहे हैं, क्योंकि ये गणित से जुड़ी गलतियां हैं।

उन्होंने कहा कि वे इन प्रविष्टियों को दूरसंचार विभाग के समक्ष रखना चाहते हैं कि जिससे वह इस पर पुनर्विचार कर सके।

पीठ ने यह भी कहा कि शीर्ष न्यायालय ने पूर्व में कहा था कि इसका पुन:आकलन नहीं हो सकता।

रोहतगी ने कहा कि कई न्यायाधिकरणों के पास समीक्षा का अधिकार नहीं होता, लेकिन उनके पास गणितीय त्रुटि को सुधारने का अधिकार होता है।

एयरटेल की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने कहा कि कई प्रविष्टियों के दोहराव के मामले हैं। साथ ही जो भुगतान किया जा चुका है उसे दर्शाया नहीं गया है। सिंघवी ने कहा कि दूरसंचार विभाग को इन मुद्दों पर विचार करना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इन गलतियों के आधार पर मैं हजारों करोड़ रुपये का भुगतान नहीं करना चाहूंगा।’’

टाटा टेलीसर्विसेज के वकील अरविंद दातार ने कहा कि गणना में गलतियों को सुधारा जा सकता है।

पीठ ने कहा कि वह इस मामले में सिर्फ पुन: आकलन पर रोक के मुद्दे को देख रही थी। इसके बाद पीठ ने दूरसंचार विभाग की ओर उपस्थित सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से दूरसंचार कंपनियों द्वारा उठाए गए मुद्दों के बारे में पूछा। मेहता ने इसपर कहा कि वह उन्हें इस बारे में निर्देश नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘एक-दो दिन में मैं इस पर पुख्ता निर्देश हासिल करूंगा।’’

इसके बाद पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे पर आदेश पारित करेगी।

कंपनियों पर सांविधिक बकाए की वसूली के मामले में न्यायालय ने गत वर्ष सितंबर में निर्णय दिया था कि कंपनियां बकाए का दस प्रतिशत 31 मार्च 2021 तक जमा कराएंगी । बाकी रकम वे मासिक किश्तों में मार्च 2031 तक जमा करेंगी।

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Web Title: Court to pronounce judgment on the issue of errors in calculation of dues on telecom companies

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