गंगानगरी किन्नू पर भी कोरोना की मार, बंपर फसल, पर भाव कम

By भाषा | Published: December 6, 2020 12:40 PM2020-12-06T12:40:28+5:302020-12-06T12:40:28+5:30

Coronation hit on Ganganagari Kinnu, bumper crop, but price down | गंगानगरी किन्नू पर भी कोरोना की मार, बंपर फसल, पर भाव कम

गंगानगरी किन्नू पर भी कोरोना की मार, बंपर फसल, पर भाव कम

जयपुर, छह दिसंबर अपने विशिष्ट स्वाद और गुणवत्ता के लिए देश दुनिया में मशहूर गंगानगरी किन्नू भी कोरोना के असर से बच नहीं पाया है। बंपर फसल के बीच कम मांग से किन्नू किसानों की पेशानी पर चिंता की लकीरें हैं।

विटामिन सी से भरपूर इस फल का इस समय मुख्य सीजन है। इलाके से किन्नू का निर्यात कई देशों को किया जाता है। साथ ही इसे देश के कई इलाकों में भी भेजा जाता है। इस बार भी इसका निर्यात बांग्लादेश, भूटान व कई खाड़ी देशों को हो रहा है लेकिन परिवहन संबंधी दिक्कतों के चलते निर्यात की मात्रा बहुत कम है।

उद्यान विभाग की सहायक निदेशक प्रीति गर्ग ने पीटीआई-भाषा को बताया कि विटामिन सी की प्रचुर मात्रा व अच्छी उपलब्धता के कारण देश दुनिया में किन्नू की अच्छी मांग रहती है लेकिन 'इस बार इलाके में किन्नू की बंपर फसल है पर भाव तुलनात्मक रूप से कम है।'

विभाग के अधिकारियों के अनुसार कोरोना व लॉकडाउन जैसे कारणों से उपजी परिवहन संबंधी दिक्कतों के चलते भाव नीचे हैं।

किन्नू क्लब के अध्यक्ष राजकुमार जैन बताते हैं,' पिछले सीजन में किन्नू के बाग के सौदे 17—18 रुपये प्रति किलो की दर पर हुए, लेकिन इस बार यह 12—13 रुपये प्रति किलो ही रहे जबकि फसल बंपर है।'

उल्लेखनीय है कि देश में किन्नू के ज्यादातर बाग पंजाब के अबोहर, फाजिल्का व उससे साथ लगे राजस्थान के गंगानगर जिले में ही हैं। गंगानगरी किन्नू का निर्यात खाड़ी देशों से लेकर रूस व न्यूजीलैंड तक होता है। जैन के अनुसार देश में मुंबई से लेकर चेन्नई और चंडीगढ़ तक इस किन्नू की मांग रहती है क्योंकि यह अपने पतले छिलके, विशिष्ट स्वाद के लिए जाना जाता है।

सहायक निदेशक प्रीति गर्ग के अनुसार गंगानगर जिले में किन्नू के बागों का क्षेत्रफल व उत्पादन लगातर बढ़ा है। 2016-17 में जिले में 10,228 हेक्टेयर में किन्नू के बाग थे और उत्पादन था 2.60 लाख टन। इस सीजन 2020-21 में 11,000 हेक्टेयर से अधिक इलाके में किन्नू के बाग हैं और उत्पादन भी 37 लाख टन से अधिक रहने का अनुमान है। उद्यान विभाग के अधिकारियों के अनुसार इस बार किन्नू का उत्पादन 150 से 190 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो रहा है जो कि बंपर कहा जाएगा।

राजकुमार जैन कहते हैं कि लॉकडाउन के चलते किसान व व्यापारी पहले ही आशंकित थे। बड़े ठेकेदारों ने सौदे करने से हाथ खींच लिए और जो सौदे हुए उनमें भाव कम रहे। उसके बाद किसान आंदोलन शुरू हो गए जबकि दिसंबर-जनवरी किन्नू का पीक सीजन होता है। इससे इलाके के किन्नू किसानों का यह सीजन खराब होने की आशंका है।

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Web Title: Coronation hit on Ganganagari Kinnu, bumper crop, but price down

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