कोरोना संकट: रीसाइक्लिंग उद्योग को "आवश्यक सेवाओं" में करें शामिल, MRAI ने की मोदी सरकार से ये मांग
By एसके गुप्ता | Published: April 17, 2020 03:57 PM2020-04-17T15:57:28+5:302020-04-17T16:03:29+5:30
भारत में कुल कच्चे इस्पात उत्पादन में से 55% से अधिक पुनर्चक्रण मार्ग के माध्यम से होता है और अलौह धातुओं के मामले में एल्यूमीनियम के लिए दर 30%, तांबा 20%, सीसा 85% और जस्ता 10% है।
मैटेरियल रिसाइक्लिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमआरएआई) ने सरकार से मांग की है कि रीसाइक्लिंग उद्योग को आवश्यक सेवाओं में शामिल किया जाए। जिससे बंदरगाहों पर पडे स्क्रैप और कंटेनर पर होने वाले खर्च के साथ-साथ उद्योग जगत की चुनौतियों से निपटा जा सके। क्योंकि अन्य देशों की कई सरकारों ने रीसाइक्लिंग उद्योग को "आवश्यक सेवाओं" के रूप में वर्गीकृत किया है।
भारत में, इस तरह के वर्गीकरण से भारत सरकार के “स्वच्छ भारत” कार्यक्रम में मदद के अलावा मेक इन इंडिया के तहत स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी और रीसाइक्लिंग से तैयार उत्पादों के निर्यात में भी कंपनियों को मदद मिलेगी।
एमआरएआई में 20 हजार से अधिक छोटे, मध्यम और बड़े उद्यम शामिल हैं, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 25 लाख से ज्यादा लोगों को इन उद्योगों से रोजगार मिला हुआ है। भारत में कुल कच्चे इस्पात उत्पादन में से 55% से अधिक पुनर्चक्रण मार्ग के माध्यम से होता है और अलौह धातुओं के मामले में एल्यूमीनियम के लिए दर 30%, तांबा 20%, सीसा 85% और जस्ता 10% है। रीसाइक्लिंग गतिविधियों से बने उत्पादों का उपयोग फार्मा, रक्षा, ऑटो घटक, एलपीजी वाल्व आदि उद्योग में किया जाता है।
कोविड -19 के कारण रीसाइक्लिंग उद्योग कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। लॉकडाउन में स्क्रैप के 1.5 लाख से अधिक कंटेनर पूरे भारत के विभिन्न बंदरगाहों पर फंसे हैं।
एमआरएआई ने सरकार से केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह जल्द से जल्द सभी शिपिंग लाइन्स, पोर्ट्स और सीएफएस को निर्देश दें कि वे पूरे लॉकडाउन अवधि के लिए किराया, हिरासत, अवमानना शुल्क माफ कर दें। रीसाइक्लिंग उद्योग को "आवश्यक सेवाओं" के तहत वर्गीकृत कर 12 घंटे की पाली में काम करने की अनुमति दी जाए। इससे कर्मचारियों को नौकरी की सुरक्षा प्रदान करने और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद मिलेगी।