Budget 2024: भारतीय अर्थव्यवस्था पर 2024-25 बजट का असर, कुछ इस तरह से विवेक बिंद्रा ने की एनालिसिस, जानें मुख्य बातें

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 25, 2024 10:48 PM2024-07-25T22:48:39+5:302024-07-25T22:50:19+5:30

Budget 2024:  सरकार ने देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को बल देने के लिए इस बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर खर्च में 11.1% की वृद्धि की है। इस बजट को 10 लाख करोड़ से बढ़ाकर 11.11 लाख करोड़ कर दिया गया है।

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HighlightsMSMEs, एजुकेशन और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर अपने सुझाव भी प्रस्तुत किए।बेहतर आर्थिक विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र से लोगों की काफी उम्मीदें जुड़ी हुई थीं। 8 से 10 नए एक्सप्रेसवे की घोषणा किए जाने की भी उम्मीद थी।

Budget 2024: केंद्रीय चुनावों के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2024-25 का बजट पेश किया, जो उनका लगातार सातवाँ बजट है। इस बजट में उन्होंने देश की तात्कालिक जरूरतों के साथ-साथ भविष्य की आवश्यकताओं का भी समाधान प्रस्तुत किया। बिजनेस कोच डॉ. विवेक बिंद्रा ने इस बजट पर अपने विश्लेषण में बजट से जुड़ी लोगों की उम्मीदों और सरकार की घोषणाओं के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने MSMEs, एजुकेशन और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर अपने सुझाव भी प्रस्तुत किए।

इंफ्रास्ट्रक्चर

उम्मीदें: बेहतर आर्थिक विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र से लोगों की काफी उम्मीदें जुड़ी हुई थीं। नई नौकरियों के अवसर ढूंढने, कनेक्टिविटी बेहतर करने और आर्थिक विकास को गति देने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने के लिए इस क्षेत्र में होने वाले बजट को पहले से बढ़ाए जाने की उम्मीद थी, जिसमें सड़क कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए 8 से 10 नए एक्सप्रेसवे की घोषणा किए जाने की भी उम्मीद थी।
घोषणाएं: सरकार ने देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को बल देने के लिए इस बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर खर्च में 11.1% की वृद्धि की है। इस बजट को 10 लाख करोड़ से बढ़ाकर 11.11 लाख करोड़ कर दिया गया है। दो नए एक्सप्रेसवे का अनावरण भी किया गया है। पटना से पूर्णिया और बक्सर से भागलपुर तक, सड़क कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए बजट में 3% की बढ़त की गई है।

सुझाव:

ऑटोमेशन और स्किलिंग: अनस्किल्ड लेबर पर आज भी हमारी निर्भरता बहुत ज्यादा है। अपने प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा करने के लिए हमें मॉडर्न मशीनरी, ऑटोमेशन और डिजिटलाइजेशन को बेहतर तरीके से लागू करने की ज़रूरत है ताकि प्रोडक्टिविटी को बढ़ाकर कम समय में काम को पूरा किया जा सके।

प्रोजेक्ट ट्रैकिंग: करीब 45% प्रोजेक्ट हमेशा ही देरी से पूरे होते हैं, जिसके कारण उनकी लागत काफी बढ़ जाती है। इस समस्या को खत्म करने के लिए अलग से एक सिस्टम को बनाया जाना चाहिए ताकि प्रोजेक्ट्स की सही तरीके से मॉनिटरिंग और रिपोर्टिंग की जा सके और काम सही समय पर पूरा हो।

MSMEs

उम्मीदें: MSMEs आज भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं जो कि हमारी GDP में 30% का सहयोग करते हैं। MSMEs की उम्मीदें हैं कि NPA की समय सीमा को बढ़ाया जाए, मुद्रा लोन की लिमिट बढ़ाई जाए, GST में छूट के साथ-साथ प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजनाओं का विस्तार किया जाए।

घोषणाएं:

मुद्रा लोन लिमिट: इसकी सीमा को 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख तक किया गया है, हालांकि फिर भी यह उम्मीदों के मुताबिक नहीं है।

क्रेडिट गारंटी योजना: 100 करोड़ रुपए कोलेट्रल फ्री लोन के लिए जारी किए गए हैं।

एक्सपोर्ट हब: निर्यात के लिए अलीबाबा जैसे चाइनीज एप का इस्तेमाल करने की बजाय एक्सपोर्ट हब की ओर से “MSME एक्सपोर्ट्स” की घोषणा की गई है।

रियलिटी चेक: बजट MSMEs की कई प्रमुख उम्मीदों को पूरा करने से चूक गया है, जैसे NPA की समय सीमा को बढ़ाना और GST में ज़रूरी छूट देना। मुद्रा लोन लिमिट और क्रेडिट गारंटी योजना को लेकर कुछ सकारात्मक कदम उठाए गए हैं, लेकिन इस क्षेत्र में कुछ और भी बेहतर उपायों की जरूरत थी।

सुझाव:

क्राउड फंडिंग प्रोग्राम्स: अल्टरनेटिव फाइनेंसिंग सोर्सेज को बेहतर करने के लिए नीदरलैंड की तरह SME बॉन्ड्स और क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म्स को शुरू किया जाना चाहिए।

NPA की समय सीमा को बढ़ाएं: MSMEs को उनके कर्ज़ को चुकाने के लिए NPA की समय सीमा को 90 से बढ़ाकर 180 दिन किया जाना चाहिए, ताकि नए उद्यमियों को अपना व्यवसाय आगे बढ़ाने का पूरा अवसर मिल सके।

एक्सपोर्ट्स

उम्मीदें: साल 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कच्चे माल पर ज़ीरो ड्यूटी, भारतीय शिपिंग लाइंस के विकास की और कूरियर निर्यात की लिमिट बढ़ाने की ज़रूरत है।

घोषणाएं:

रॉ मैटीरियल ड्यूटी: चमड़ा, कपड़ा, गारमेंट्स और जूतों में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल के लिए छूट की घोषणा की गई।

पर्यटन को बढ़ावा: पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बिहार में विष्णुपद और महाबोधि मंदिरों का विकास किया जाएगा।

रियलिटी चेक: रॉ मैटीरियल ड्यूटी को कम करने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम सकारात्मक हैं, लेकिन शिपिंग लाइन के विस्तार और कूरियर एक्सपोर्ट लिमिट बढ़ाने को लेकर कोई कदम ना उठाना एक बड़ी चूक है।

सुझाव:

भारतीय शिपिंग लाइंस: भारतीय शिपिंग लाइंस को विकसित करके शिपिंग पर आने वाले बड़े खर्चे को कम किया जा सकता है।

हाई-टच सर्विसेज के लिए स्किल्ड लेबर: वर्कफोर्स को AI से जुड़ी सर्विसेज इस्तेमाल करने के लिए ट्रेनिंग दी जानी चाहिए ताकि वे हाई-टच सर्विसेज के लिए तैयार हो सकें।

कल्चरल टूरिज्म: दुनिया भर से धार्मिक पर्यटकों को आकर्षित करते हुए भारत को हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म का वैश्विक केंद्र बनाया जा सकता है।

एजुकेशन

उम्मीदें: उम्मीद लगाई जा रही थी कि 45,000 डिग्री कॉलेज और 1,000 यूनिवर्सिटी के साथ स्टूडेंट और टीचर्स के बेहतर अनुपात पर काम किया जाएगा। स्कूल और कॉलेजों के बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम किया जाएगा।

घोषणाएँ: सरकार ने घरेलू संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए 3% ब्याज छूट के साथ 10 लाख रुपये का ऋण पेश किया है। इस पहल का उद्देश्य भारत के उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों पर वित्तीय बोझ को कम करना है।

रियलिटी चेक:

डिजिटल और तकनीकी विभाजन: डिजिटल शिक्षा की ओर लगातार आगे बढ़ने के बावजूद हमारे यहां केवल 30% कक्षाएं डिजिटल हैं, जबकि अमेरिका में यह अनुपात 70% है।

क्वालिटी ऑफ एजुकेशन: भारत में केवल 7% युवा इंजीनियरिंग के बाद जॉब करने के लिए योग्य हैं, 95% भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स में कोडिंग कौशल की कमी है। इससे पाठ्यक्रम में बदलाव और बेहतर प्रशिक्षण कार्यक्रमों की सख्त आवश्यकता है।

एडटेक उद्योग में गिरावट: भारत के एडटेक क्षेत्र में निवेश 2021 में 4.73 बिलियन डॉलर से घटकर 2023 में 297.3 मिलियन डॉलर हो गया है। यह महत्वपूर्ण गिरावट शैक्षिक प्रौद्योगिकी पहल के लिए नए सिरे से फोकस और समर्थन की आवश्यकता को दर्शाती है।

सुझाव:

इनक्यूबेशन केंद्रों की स्थापना: सभी कॉलेजों में स्टार्टअप कल्चर, स्किल डेवलपमेंट, प्रैक्टिकल नॉलेज और एंटरप्रेन्योरियल स्किल्स को स्टूडेंट्स तक ले जाने के लिए इनक्यूबेशन सेंटर शुरू किए जाने चाहिए।

बीपीएल और निम्न-आय समूहों के लिए जीएसटी छूट: आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए शिक्षा को अधिक सुलभ बनाने के लिए गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) और निम्न-आय समूहों के लिए शैक्षिक पाठ्यक्रमों पर 100% जीएसटी की छूट होनी चाहिए।

कुल मिलाकर, केंद्रीय बजट 2024-25 एक संतुलित बजट है, जो लॉन्ग टर्म ग्रोथ की नींव रखते हुए कुछ तात्कालिक चिंताओं को संबोधित करता है। हालाँकि, इसमें सुधार की गुंजाइश है। स्वचालन पर रणनीतिक फोकस, एमएसएमई के लिए व्यापक समर्थन, भारतीय शिपिंग लाइनों का विकास और उन्नत शैक्षिक बुनियादी ढांचा भारत को अधिक मजबूत और समावेशी आर्थिक भविष्य की ओर ले जा सकता है।

Web Title: Budget 2024 impact Indian economy Dr Vivek Bindra analyzed know main points msme mudra credit yojana

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