Budget 2023: आजाद भारत में जब पेश करना पड़ गया था 'ब्लैक बजट', बस एक बार हुआ है ऐसा, जानिए 10 दिलचस्प बातें
By विनीत कुमार | Published: January 31, 2023 03:09 PM2023-01-31T15:09:26+5:302023-01-31T15:13:04+5:30
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार एक फरवरी को अपने दूसरे कार्यकाल में आखिरी पूर्ण बजट पेश करेगी। इस मौके पर बजट और इसके इतिहास से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य हम आपको बताने जा रहे हैं।
नई दिल्ली: बजट को लेकर हर साल लोगों में कौतूहल रहता है। बजट इस बात का संकेत दे देता है कि देश किस राह पर है और अगले एक साल उसके लिए कैसे रहने वाले हैं। आजाद भारत की बात करें तो अभी तक 74 आम या वार्षिक बजट पेश किए जा चुके हैं। इसके साथ ही 14 अंतरिम बजट भी पेश किए गए हैं। इसके अलावा चार विशेष बजट या लघु बजट पेश किए गए हैं।
हर बार की तरह इस बार भी बजट एक फरवरी को पेश किया जाना है। यह इसलिए भी खास है क्योंकि नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह आखिरी पूर्ण बजट है। अगले साल चुनाव होने हैं। ऐसे में अंतरिम बजट पेश किया जाएगा। बहरहाल, बजट को लेकर कुछ बेहद दिलचस्प बातें आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
1. आजाद भारत का पहला बजट 26 नवंबर, 1947 को तब वित्त मंत्री रहे आरके शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था।
2. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी आम बजट पेश करने वाली देश की पहली महिला थीं। दूसरी महिला निर्मला सीतारमण हैं।
3. साल 1973 में सरकार की ओर से पेश किए गए बजट को ब्लैक बजट कहा जाता है। उस समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं और बजट वित्त मंत्री यशवंत राव बी चव्हाण ने पेश किया था। बजट में 550 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया गया था।
4. उस समय भारत-पाकिस्तान युद्ध, खराब मानसून जैसी स्थिति के कारण देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था। इन वजहों से देश की कमाई कम और खर्चा ज्यादा हो गया था। ऐसे में सरकार को खर्च में काफी कटौती करने के कदम उठाने पड़े थे। यही कारण है कि इस साल के बजट को 'ब्लैक बजट' कहा गया। आजाद भारत में केवल एक बार ब्लैक बजट पेश करने जैसी स्थिति आई है।
5. साल 1955 तक केंद्रीय बजट केवल अंग्रेजी में दिया जाता था। इसके बाद केंद्र सरकार ने बजट दस्तावेजों को हिंदी और अंग्रेजी दोनों में छपवाने
का निर्णय लिया।
6. सबसे पहले अंग्रेजों ने 1924 में केंद्रीय बजट के अलावा रेल बजट पेश करने की परिपाटी शुरू की। साल 2016 तक ऐसा ही चलता रहा। इसके बाद मोदी सरकार 2017 में केंद्रीय बजट को रेल बजट के साथ जोड़ने का विचार सामने लेकर आई और तब से ऐसा ही चल रहा है। अलग रेल बजट पेश करने की परिपाटी खत्म कर दी गई।
7. केंद्रीय बजट पेश करने की तिथि और समय में भी बदलाव किए गए हैं। साल 1998 तक केंद्रीय बजट फरवरी के अंतिम दिन शाम पांच बजे पेश किया जाता था। यह अंग्रेजों के समय से चलता आ रहा था। साल 1999 में वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बजट पेश करने का समय बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया। वहीं, 2017 में बजट पेश करने की तारीख में बदलाव किया गया और इसे 1 फरवरी किया गया।
8. बजट को पहले एक 'बजट ब्रीफकेस' में रख कर लाया जाता था, लेकिन 2019 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसमें बदलाव किया। इसे एक 'बही खाते' के आकार में लाया जाने लगा, जिस पर राष्ट्रगान लिखा हुआ था।
9. बजट पेश होने से कुछ दिन पहले हर साल 'हलवा रस्म' निभाई जाती है। छपाई के स्तर पर बजट दस्तावेज को अंतिम रूप देने का आखिरी चरण माना जाने वाले हलवा समारोह में वित्त मंत्री हिस्सा लेते हैं। यह समारोह हर साल होने वाली रस्म है जिसमें हलवा तैयार किया जाता है और बजट की तैयारी में शामिल रहे वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को परोसा जाता है।
10. हलवा रस्म समारोह दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक के 'बेसमेंट' में आयोजित किया जाता है। यहीं पर प्रिटिंग प्रेस है। वित्त मंत्रालय नार्थ ब्लॉक में ही स्थित है। बजट को लेकर हर साल यह सतर्कता बरती जाती है कि ये संसद में पेश किए जाने से पहले लीक न हो जाए। इसलिए ऐसे भी हालात बन जाते हैं जब बजट को अंतिम रूप देने के दौरान और छपाई में शामिल कर्मचारी और अधिकारी कई दिन और रात तक घर नहीं जा पाते और उनके रहने-भोजन की व्यवस्था यहीं कराई जाती है।