बीएसई सेंसेक्स: 31 साल में 1,000 से 60,000 अंक पर पहुंचा, खुदरा निवेशकों की बढ़ी भागीदारी

By भाषा | Published: September 24, 2021 09:37 PM2021-09-24T21:37:12+5:302021-09-24T21:37:12+5:30

BSE Sensex: Reached 1,000 to 60,000 points in 31 years, increased participation of retail investors | बीएसई सेंसेक्स: 31 साल में 1,000 से 60,000 अंक पर पहुंचा, खुदरा निवेशकों की बढ़ी भागीदारी

बीएसई सेंसेक्स: 31 साल में 1,000 से 60,000 अंक पर पहुंचा, खुदरा निवेशकों की बढ़ी भागीदारी

नयी दिल्ली, 24 सितंबर अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर शुक्रवार का दिन सुखद संकेत देने वाला रहा। एक तरफ सरकार का प्रतयक्ष कर संग्रह का आंकड़ा 74 प्रतिशत बढ़ गया, वहीं, बंबई शेयर बाजार का प्रमुख सूचकांक- सेंसेक्स शुक्रवार को ऐतिहासिक 60,000 अंक के स्तर को पार कर गया। सेंसेक्स को यह स्तर हासिल करने में 31 साल से थोड़ा अधिक समय लगा।

बीएसई सूचकांक पांच जुलाई 1990 को पहली बार 1,000 अंक का स्तर छुआ था और शुक्रवार को यह पहली बार 60,000 के रिकॉर्ड स्तर को पार करते हुए 60,048.47 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स को 1,000 से 60,000 के स्तर तक पहुंचने में 31 साल से थोड़ा अधिक समय लगा। इस दौरान सेंसेक्स ने कई महत्वपूर्ण पड़ाव पार किये। यह छह फरवरी, 2006 को पहली बार 10,000 के स्तर पर पहुंचा।

इसके बाद 29 अक्टूबर 2007 को इसने 20,000 के स्तर को पार किया लेकिन इसके बाद 30,000 अंक तक पहुंचने में सेंसेक्स ने सात साल से अधिक समय लेते हुये चार मार्च 2015 को यह मुकाम हासिल किया। इसके बाद चार साल में 23 मई 2019 को 40,000 अंक और अगले दस हजार अंक की वृद्धि दो साल से भी कम समय में हासिल करते हुये यह 21 जनवरी 2021 को 50,000 अंक के पार निकल गया।

दिलचस्प बात यह है कि सेंसेक्स ने 2021 में ही 50,000 अंक और 60,000 अंक, दोनों स्तर को पार किया, जो कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बीच बाजार की मजबूती को बताता है।

बीएसई के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और प्रबंध निदेशक आशीष कुमार चौहान ने कहा, ‘‘सेंसेक्स आज 60,000 अंक पर पहुंच गया। यह भारत की वृद्धि की संभावना को दर्शाता है। साथ ही जिस तरीके से भारत कोविड अवधि के दौरान एक विश्व नेता के रूप उभरा है, उसे भी अभिव्यक्त करता है... इसके अलावा दुनियाभर में सरकारों ने अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रा प्रसार किया और वित्तीय नीतियों को उदार बनाया, उससे भी शेयर बाजारों में गतिविधियां बढ़ी हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कोविड अवधि के दौरान पिछले 18 महीनों में भारतीय बाजार का प्रदर्शन शानदार रहा। इसे इस दौरान को दुनिया भर में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला बाजार माना जाता है।’’

चौहान के अनुसार कई निवेशक शेयर बाजार में सीधे या म्यूचुअल फुंड के जरिये अप्रत्यक्ष रूप से शेयर बाजार से जुड़े है। इसका श्रेय बाजार में स्वचालन, आधुनिक ब्रोकरेज व्यवस्था और कम ब्याज दर को जाता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘शेयर कीमतों में हाल की तेजी चौतरफा है। मैं इस उपलब्धि के लिये सभी नागरिकों और निवेशकों को बधाई देता हूं।’’

उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि अपनी 60 हजार अंक तक पहुंचने की इस यात्रा में बाजार 1992 में हर्षद मेहता घोटाला का गवाह बना। उसने 1993 में मुंबई और बीएसई की इमारत में विस्फोट, करगिल युद्ध (1999), अमेरिका में आतंकवादी हमला और भारतीय संसद पर आतंकवादी हमला (2001), सत्यम घोटाला, वैश्विक वित्तीय संकट, नोटबंदी, पीएनबी घोटाला और कोविड महामारी जैसे संकट को देखा।

बाजार में तेजी के लिये कई अन्य कारक भी जिम्मेदार हैं। इसमें वैश्विक बाजारों में जिंसों के दाम में तेजी, वैश्विक स्तर पर नकदी की अनुकूल स्थिति, कोविड-19 टीकों को मंजूरी और टीकाकरण कार्यक्रम की शुरूआत शामिल हैं।

बीएसई सूचकांक इस साल अब तक 25 फीसदी से ज्यादा चढ़ा है।

हालांकि, इस तेजी से पहले मार्च 2020 में सेंसेक्स 8,828.8 अंक यानी 23 प्रतिशत नीचे भी आया। इसका कारण महामारी के अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंता थी। उतार-चढ़ाव के बीच 2020 में सेंसेक्स 15.7 प्रतिशत मजबूत हुआ।

इक्विटीमास्टर के शोध विश्लेषक बृजेश भाटिया ने कहा कि बाजार में धारणा मजबूत है और यहां से थोड़ी गिरावट निवेश के लिए एक अच्छा अवसर होगा।

इस दौरान बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में भी उछाल आया और यह 2,61,18,539.92 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

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Web Title: BSE Sensex: Reached 1,000 to 60,000 points in 31 years, increased participation of retail investors

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