लाइव न्यूज़ :

विकास दर को लेकर UPA सरकार पर अरुण जेटली का तंज, मनमोहन सिंह की नीतियों से टूटी बैंक की कमर

By भाषा | Updated: August 19, 2018 22:06 IST

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पर लिखा, ''2014 में जब संप्रग सरकार सत्ता से बेदखल हुई तो उसके आखिरी के तीन वर्षों में वृद्धि दर साधारण से भी नीचे थी।’’ 

Open in App

नई दिल्ली, 19 अगस्त:  केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि वृद्धि दर तेज करने की संप्रग सरकार की नीतियों ने वृहद-आर्थिक अस्थिरता पैदा कर दी थी। उन्होंने यह भी कहा कि 2004-08 तक का दौर वैश्विक आर्थिक तेजी का दौर था और उसका फायदा भारत समेत सभी अर्थव्यवस्थाओं को मिला था।जेटली ने जीडीपी की नयी श्रृंखला की पिछली कड़ियों के अनुमानों पर ताजा रपट को लेकर छिड़ी बहस में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि संप्रग ने राजकोषीय अनुशासन भंग कर दिया था। साथ ही बैंकों को अंधाधुंध कर्ज बांटने की जोखिमभरी सलाह दी थी। जीडीपी की पिछली कड़ियों के इन अनुमानों का संकेत है कि मनमोहन सिंह सरकार के समय अर्थव्यवस्था की रफ्तार बेहतर थी।जेटली ने फेसबुक पर एक लेख में कहा, ‘‘... राजकोषीय अनुशासन के साथ समझौता किया गया और बैंकिंग प्रणाली को अंधाधुंध कर्ज बांटने की जोखिमभरी सलाह दी गई और यह नहीं देखा गया कि अंतत: इससे बैंक खतरे में पड़ जाएंगे। उस पर भी 2014 में जब संप्रग सरकार सत्ता से बेदखल हुई तो उसके आखिरी के तीन वर्षों में वृद्धि दर साधारण से भी नीचे थी।’’ इस समय राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) की एक उपसमिति द्वारा जीडीपी की नयी श्रृंखला की पीछे की कड़ियों को तैयार करने के संबंध में जारी रपट को लेकर पक्ष-विपक्ष के बीच बहस छिड़ी हुई है। नयी श्रृंखला के लिए 2011-12 को आधार वर्ष बनाया गया है जबकि पिछली श्रृंखला 2004-05 को आधार वर्ष मानकर तैयार की गई थी।वास्तविक क्षेत्र के आंकड़ों पर इस उपसमिति की ताजा रपट के अनुसार मनमोहन सरकार के कार्यकाल में 2006-07 के दौरान जीडीपी की वृद्धि दर 10.08 तक पहुंच गई थी जो 1991 में उदारीकरण शुरू होने के बाद जीडीपी वृद्धि दर का सर्वोच्च आंकड़ा है।जेटली ने कहा, ‘‘वृद्धि बढ़ाने की संप्रग सरकार की नीतियों से वृहद-आर्थिक अस्थिरता पैदा हुई। इस तरह उस वृद्धि की गुणवत्ता खराब रही।’’ उन्होंने अपने तर्क के समर्थन में 1999 से लेकर 2017-18 तक के राजकोषीय घाटे, मुद्रास्फीति, बैंक ऋण वितरण और चालू खाते के आंकड़ों का हवाला दिया है।उन्होंने कहा कि 2003-04 वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए तेजी का दौर था। इससे वैश्विक वृद्धि को बल मिला। ज्यादातर अर्थव्यवस्थाओं का प्रदर्शन अच्छा रहा और सभी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर भी ऊंची हो गई थी।

जेटली ने लिखा है कि 2004 में जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार सत्ता से बाहर हुई थी तो उस समय वृद्धि दर 8% थी। इसके अलावा 2004 में आयी नयी सरकार को 1991 से 2004 के बीच हुए निरंतर नए सुधारों का लाभ मिला। वैश्विक अर्थव्यवस्था की गति से भी उसे समर्थन मिला। वैश्विक मांग ऊंची होने से निर्यात बढ़ रहा था और भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए यह बढ़ा अवसर था।उन्होंने कहा है कि उस समय की सरकार ने आर्थिक सुधार के लिए कोई महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाया था।लेकिन जब अनुकूल परिस्थितियां खत्म हो गईं तो वृद्धि दर लड़खड़ाने लगी और उसको बरकरार रखने के लिए राजकोषीय अनुशासन भंग करने और बैंकों को अंधाधुंध ऋण देने की सलाह जैसे दो कदम उठाए गए जबकि अंतत: इससे बैंक खतरे में पड़ गए। उन्होंने कहा कि राजग-एक (वाजपेयी सरकार) के समय चालू खाते का हिसाब-किताब देश के पक्ष में था। इसके विपरीत संप्रग एक और दो में यह हमेशा घाटे में रहा और संप्रग-दो में यह घाटा सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था।इसी तरह बैंक ऋण वितरण में वृद्धि के मुद्दे पर जेटली ने लिखा है कि संप्रग एक के दौरान और संप्रग दो के कुछ समय तक बैंक ऋण अत्याधिक तेजी से बढ़ा था। इनमें से बहुत से ऋण परियोजना के भरोसेमंद होने का आकलन किए बिना ही दे दिए गए थे। अनावश्यक रूप से अतिरिक्त क्षमता सृजित की गई, उनमें से तमाम परियोजनाएं अब भी बिना इस्तेमाल के पड़ी हैं।उन्होंने कहा कि बैंकों पर बहुत ज्यादा बोझ लाद दिया गया था। अव्यवहारिक परियोजनाएं बैंकों का कर्ज नहीं चुका सकी और गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) का स्तर बहुत ऊंचा हो गया। ऐसे फंसे ऋणों के पुनगर्ठन के लिए नए ऋण बांटे गए और बैंकों की असली हालत पर पर्दा डाल दिया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि बैंक कमजोर होते गए और 2012-13 तक आते-आते उनकी ऋण देने की क्षमता कम हो गई।जेटली ने कहा कि 2014 के बाद कहीं बैंकों की वास्तिविक स्थिति सामने आयी और ऋणों की वसूली के लिए दिवाला कानून समेत तमाम उपाय किए गए। जेटली ने कहा है कि 2008 में आर्थिक तेजी का दौर खत्म होने के बाद संप्रग सरकार ने राजकोषीय अनुशासन के साथ गंभीर खिलवाड़ किया और सरकारी खर्च को राजस्वसे बहुत अधिक ऊंचा कर दिया। 2011-12 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.9% तक पहुंच गया था। उसके बाद अब यह 2017-18 में 3.5% पर लाया गया है।उन्होंने कहा कि इस परिप्रेक्ष्य में उस दौर में सभी अर्थव्यवस्थाएं तीव्र वृद्धि कर रही थीं और उसमें ऊंची वृद्धि हासिल करने वाला भारत कोई अनूठा देश नहीं था। जेटली इस समय गुर्दा प्रत्यारोपण के बाद स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं। उनके स्थान पर रेलमंत्री पीयूष गोयल को वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है। 

 

टॅग्स :अरुण जेटली
Open in App

संबंधित खबरें

भारतराहुल गांधी ने कहा-अरुण जेटली को मुझे धमकाने के लिए भेजा गया था?, जेटली के पुत्र रोहन जेटली ने कहा-2019 में पिता का निधन हो गया था और 2020 में कैसे मिले आप?

क्रिकेटDDCA Election Results Out: रोहन जेटली को 1577 वोट और कीर्ति आजाद को 777 मत?, टीएमसी सांसद को अरुण जेटली के बेटे ने हराया, सभी पद पर रोहन गुट का कब्जा!

क्रिकेटDDCA Elections: 3748 सदस्य करेंगे वोट, रोहन जेटली-कीर्ति आजाद में मुकाबला?, 16 दिसंबर को रिजल्ट, उपाध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष और संयुक्त सचिव पर कौन लड़ रहा

क्रिकेटIND vs BAN 2nd T20 Pitch Report: दिल्ली में आज भारत-बांग्लादेश का दूसरा टी20 मैच, बल्लेबाजों का चलेगा बल्ला या बॉलर बरसाएंगे कहर? जानें कैसी है पिच

कारोबारBudget 2024: अब तक पेश हो चुके हैं 5 ऐतिहासिक बजट, जिन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को दिया आकर, जानें इनके बारे में

कारोबार अधिक खबरें

कारोबारविधानसभा में 75,286 करोड़ रुपये की अनुपूरक मांगें पेश, वित्त मंत्री अजित पवार ने कहा-किसान राहत, सब्सिडी और सामाजिक कल्याण योजनाओं पर होंगे खर्च

कारोबारझारखंड 2026ः वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने 7,721.25 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पेश किया

कारोबारनवंबर 2025 में बैंक आवास ऋण 9 लाख करोड़ रुपये के पार, एसबीआई की उम्मीद-चालू वित्त वर्ष में कुल ऋण वृद्धि 14 प्रतिशत रहेगी

कारोबारगोल्ड में पैसा लगाओ और मालामाल हो जाओ?, सोने की चमक बरकरार, 67 प्रतिशत का रिटर्न, 2026 में सोने की कीमत 5 से 16 प्रतिशत प्रति 10 ग्राम और चढ़ सकती?

कारोबारBank Holidays next week: 8-14 दिसंबर के बीच 4 दिन बंद रहेंगे बैंक, देखें यहां पूरी लिस्ट