8 किलोमीटर राइड के लिए उबर ने वसूले 1,334 रुपए, उपभोक्ता आयोग की एंट्री से ग्राहक को चुकाने पड़े 20,000 रुपए
By आकाश चौरसिया | Published: March 19, 2024 05:58 PM2024-03-19T17:58:20+5:302024-03-19T18:07:36+5:30
चंडीगढ़ में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने पेनाल्टी लगाते हुए एक ग्राहक को उबर इंडिया से 20,000 रुपए चुकाने का आदेश दिया।
नई दिल्ली: चंडीगढ़ में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने पेनाल्टी लगाते हुए एक ग्राहक को उबर इंडिया से 20,000 रुपए चुकाने का आदेश दिया। आयोग ने उबर इंडिया को अश्वनी पराशर नाम के ग्राहक को मुआवजे के रूप में 10,000 रुपए का भुगतान करने और कानूनी सहायता खाते में 10,0000 रुपए जमा करने को कहा है।
असल में ग्राहक से उबर इंडिया ने 8.83 किलोमीटर की राइड के लिए 1,334 रुपए वसूल लिए। फिर क्या था ग्राहक भी एक्शन में आ गया और उसने उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज करा दी। इसकी सुनवाई करते हुए उपभोक्ता फोरम ने ग्राहक को उबर इंडिया से 20,000 रुपए दिलवा दिए।
जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने चंडीगढ़ में उबर इंडिया ने 20,000 रुपए दिया। इस शिकायत में चंडीगढ़ में रह रहे पराशर ने कहा कि उन्होंने उबर से राइड 6 अगस्त को ली थी।। उन्होंने अपनी शिकायत में आरोप भी लगाया कि उबर कैब ड्राइवर ने 8.83 किलोमीटर की राइड के लिए करीब 1,334 रुपए वसूले। उन्होंने बताया कि यह राइड मात्र 10:40 से 10:57 के बीच रही और उन्होंने कहा ये उन्हें प्रति किलोमीटर 150 रुपए के हिसाब से पड़ी। पराशर ने इसकी शिकायत कई बार चैट और ईमेल करने के बाद उपभोक्ता विवाद रिड्रेस कमीशन से की।
उबर ने आयोग को क्या बताया?
उबर इंडिया ने अपने जवाब में कहा कि सवार को दिखाया गया अग्रिम किराया 359 रुपए था। हालांकि, एजी कॉलोनी ऑडिट फूल कॉलोनी, सेक्टर 41-बी, चंडीगढ़ से सेक्टर 48-बी, चंडीगढ़ तक यात्रा के दौरान कई रूट विचलन के कारण अंतिम किराया 1334 रुपए हो गया।
उबर इंडिया ने कहा कि वह यह निर्धारित करने में असमर्थ है कि उक्त विचलन शिकायतकर्ता या ड्राइवर किसकी गलती से हुआ। कंपनी ने तर्क दिया कि किसी भी मामले में उसे शिकायतकर्ता या ड्राइवर के कारण मार्ग में किसी भी विचलन के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है। कंपनी ने यह भी कहा कि वह ग्राहक और चालक के बीच केवल एक मध्यस्थ के रूप में कार्य करती है और किसी भी यात्रा के लिए अपनाए गए मार्ग के संबंध में उनके बीच किसी भी समझौते में पक्षकार नहीं है।