द कश्मीर फाइल्स में पुष्करनाथ की मौत वाले दृश्य पर फूट-फूटकर रोए विवेक अग्निहोत्री-अनुपम खेर, शूट का वीडियो हुआ वायरल
By अनिल शर्मा | Published: April 2, 2022 09:38 AM2022-04-02T09:38:18+5:302022-04-02T09:41:22+5:30
खेर द्वारा साझा किया गया वीडियो 'बिहाइंड द सीन' का है। वीडियो के साथ उन्होंने लिखा, 'जब सिनेमा की सच्चाई ज़िंदगी की सच्चाई जैसी बन जाती है तो आंसूऔ का सैलाब रुकने का नाम नहीं लेता।
मुंबईः द कश्मीर फाइल्स के अभिनेता अनुपम खेर फिल्म के रिलीज होने के बाद से इससे जुड़े वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करते आ रहे हैं और लोगों से अपील कर रहे हैं कि फिल्म के जरिए कश्मीरी पंडितों की सच्चाई के बारे में जानिए। चूंकि फिल्म को लेकर काफी चर्चाएं और बहसें हो रही हैं, अनुपम खेर इसमें फिल्माए गए दृश्यों को साझा करते हुए लोगों तक ये बात पहुंचा रहे हैं कि दृश्यों को शूट करना भी कितना मुश्किल होता था।
अनुपम खेर ने अपने ट्विटर खाते से द कश्मीर फाइल्स के उस क्लिप को साझा किया है जब उनके किरदार पुष्करनाथ की मौत हो जाती है। हाल ही में एक साक्षात्कार में फिल्म के निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने इस बात का जिक्र किया था कि जब पुष्करनाथ की मौत होती है तो वह अनुपम खेर से लिपटकर जी भर कर रोए थे। खेर ने इसी वीडियो को साझा किया है।
जब सिनेमा की सच्चाई ज़िंदगी की सच्चाई जैसी बन जाती है तो आंसूऔ का सैलाब रुकने का नाम नहीं लेता। #TheKashmirFiles में पुष्करनाथ की #DeathScene के बाद @vivekagnihotri@DarshanKumaar और मैं फूट फूट कर रोये थे! ये रहा उस शॉट के बाद का विडीओ! 💔 #WhenReelBecomesReal#KashmiriHinduspic.twitter.com/Wk4k9GdvyI
— Anupam Kher (@AnupamPKher) April 1, 2022
खेर द्वारा साझा किया गया वीडियो 'बिहाइंड द सीन' का है। वीडियो के साथ उन्होंने लिखा, 'जब सिनेमा की सच्चाई ज़िंदगी की सच्चाई जैसी बन जाती है तो आंसूऔ का सैलाब रुकने का नाम नहीं लेता। द कश्मीर फाइल्स में पुष्करनाथ की मृत्यु वाले दृश्य के बाद विवेक अग्निहोत्री, दर्शन कुमार और मैं फूट फूट कर रोये थे! ये रहा उस शॉट के बाद का विडियो!'
अनुपम खेर ने इससे पहले 1993 का कश्मीरी पंडितों द्वारा आयोजित दिल्ली में एक गोष्ठी का वीडियो साझा किया था। उन्होंने कहा था कि मैं हमेशा से उनकी आवाज बनता आ रहा हूं। इस वीडियो में उन्होंने कहा था- कभी-कभी हैरानी होती है कि ये सब हो कैसे गया। दुख होता है ये कैसे हो गया। मेरे दादा जी का कमरा था नई सड़क पर। मैं जब वहां छुट्टियों में जाता था मैं सोचता था कि इस कमरे में जितनी भी किताबें हैं मैं उन्हें अपने दादा जी के बाद अपने साथ ले जाऊंगा। वो छोटी सी उनकी आलमारी जिसमें उनकी बहुमूल्य, उन किताबों का कोई मूल्य नहीं था। जितना भी पैसा देते उन किताबों को खरीदा नहीं जा सकता था।