#BollywoodFlashback: शादी के ट्विस्ट से छोटे शहरों को बॉलीवुड में जगह दिलाने तक, सबसे हटकर हैं तिग्मांशु धूलिया
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: July 26, 2018 08:56 AM2018-07-26T08:56:12+5:302018-07-26T09:35:35+5:30
रामाधीर सिंह के किरदार में ये डायलॉग तिग्मांशु धूलिया ने जिस अंदाज में बोला था, वो अंदाज अनोखा था। अब वही तिग्मांशु इस बार 'साहब बीबी गैंगस्टर' का तीसरा पार्ट लेकर धूम मचाने आ रहे हैं।
गैंग्स ऑफ वासेपुर' के 'रामाधीर सिंह' याद हैं? अगर नहीं तो समझो 'बेटा तुमसे न हो पाएगा।' गजब करते हो, इस कालजयी डॉयलाग को कैसे भूल सकते हैं। साल 2012 में आयी फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' का ये डायलॉग लोगों की जुबान पर ऐसा चढ़ा कि जुमला बन गया। रामाधीर सिंह के किरदार में ये डायलॉग तिग्मांशु धूलिया ने जिस अंदाज में बोला था, वो अंदाज अनोखा था। अब वही तिग्मांशु इस बार 'साहब बीबी गैंगस्टर' का तीसरा पार्ट लेकर धूम मचाने आ रहे हैं।
साहब बीबी गैंगस्टर की पहली दोनों पार्टस की अपार सफलता के बाद अब फैंस की निगाहें कुछ नए और पुराने चेहरों से सजी साहब बीबी 3 पर टिकी हैं। फिर से फैंस डायरेक्टर, स्क्रीन राइटर और एक्टर तिग्मांशु धूलिया का कमाल देखने को तैयार हैं। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में जन्में तिमांशू ने अपनी पहली ही फिल्म हासिल में इलाहाबाद का फ्लेवर डाला था। उनके पिता केशव चन्द्र धूलिया हाईकोर्ट के जज थे और मां सुमित्रा धूलिया संस्कृत की प्रोफेसर थीं।
करियर की शुरुआत
तिग्मांशु ने 1986 में इलाहबाद से इतिहास में ग्रेजुएशन करने के बाद दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से थिएटर की बारीकियां सीखीं। इसके बाद धूलिया ने 1990 में मुंबई आकर कास्टिंग डायरेक्टर का काम किया। उन्होंने 'बैंडिट क्वीन' और 'द वॉरियर' जैसी फिल्मों के लिए कास्टिंग की थी। कास्टिंग डायरेक्टर के बाद तिग्मांशु ने केतन मेहता की फिल्म 'सरदार' और प्रदीप कृष्ण की 'इलेक्ट्रिक मून' में असिस्टेंट डायरेक्टर का काम भी किया। इसके बाद लेखन में उन्होंने कमाल किया। तिग्मांशु ने 'दिल से' और 'तेरे मेरे सपने' में स्क्रीन राइटर का काम भी किया है।
सीनियर से पैसे मांगते थे
उनके चाहने वालों को शायद ही पता हो कि कॉलेज के दिनों में उन्होंने पैसों की परेशानी को झेला है। कहते हैं एनएसडी के दिनों में वह अपने सीनियर्स के पैसे लिया करते थे।
बनूंगा करण जौहर
एक बार जब वेब सीरीज को लेकर सवाल किया गया था तो अपनी पहली फिल्म हासिल से कामयाबी बटोरने वाले तिग्मांशु ने कहा था कि मैं वेब की इस दुनिया पर राज करूंगा अगर मुझे मौका मिल जाये तो, मैं इस दुनिया का करण जौहर बन जाऊंगा।
बिना पैसे भी कर सकता हूं अभिनय
तिग्मांशु का कहना है कि फिल्मो में अभिनय करने के पीछे मेरे कुछ उसूल हैं और मैं उन पर चलता हूं। फिल्मों में मेरे ऊपर कोई हाथ नहीं उठा सकता है। मुझे फिल्मों में कोई मार नहीं सकता है, आप मुझे गोली से मार दीजिये मुझे कोई परेशानी नहीं है, लेकिन हाथ मेरे ऊपर कोई भी नहीं उठा सकता है। गैंग्स आफ वासेपुर में मेरी मौत गोली लगने की वजह से हुई थी। मैं फिल्मों में झांपड़ घूंसा नहीं खा सकता हूं।अगर फिल्म का रोल पसंद आ गया तो बिना पैसे के भी कर सकता हूं।
छोटे शहरों की फिल्में
तिग्मांशु धूलिया की हासिल, पान सिंह तोमर, चरस, शागिर्द जैसी फिल्में ऐसी कहानियां कहती हैं जो छोटे शहरों से शुरू होती हैं। इनमें आर्ट फिल्मों का स्वाद है तो कामर्सियल फिल्मों का मसाला भी है। खुद एक इंटरव्यू में तिग्मांशु धूलिया ने कहा था कि वो अगर 'दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे' जैसी फिल्म बनाते तो फेल हो जाते। दरअसल वो ऐसी कहानियां कहते हैं जिसे उन्होंने महसूस किया है।
शादी का ट्वीस्ट
22 साल की उम्र में जेब में 40 रुपए और दोस्त चार। कुछ ऐसे हालातों में फिल्म डायरेक्टर तिग्मांशु धूलिया ने लव मैरिज की थी। कहते हैं उन्हें इलाहाबाद में अपने घर के सामने रहने वाली लड़की तुलिका से प्यार हो गया था। वे उनकी स्कूल फ्रेंड थी। तिग्मांशु ने आठवीं कक्षा में आते-आते अपने प्यार का इजहार कर दिया और सालों तक दोनों की मुलाकात का सिलसिला चला। बड़ी होने पर तुलिका पर घर वालों की ओर से शादी करने का दबाव बढ़ा। दूसरे लड़के से उनकी शादी की बात चली। इधर, तिग्मांशु के घर वाले उस समय उनकी शादी के पक्ष में नहीं थे। आखिरकार दोनों ने भाग कर शादी करने का निर्णय लिया। दोनों ने आर्य मंदिर में शादी कर ली। पहले दोनों के परिवार ने उन्हें अपनाने से इनकार किया, लेकिन बाद में मान गए।