सुब्रमण्यम स्वामी ने फिल्म 'राम सेतु' को लेकर अक्षय कुमार सहित कई कलाकारों को भेजा कानूनी नोटिस
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 29, 2022 03:42 PM2022-08-29T15:42:43+5:302022-08-29T15:47:47+5:30
भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने फिल्म 'राम सेतु' में सही तथ्यों के साथ उनकी उपस्थिती को दर्ज कराने के लिए अभिनेता अक्षय कुमार और अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडीस के साथ फिल्म के निर्माताओं को कानूनी नोटिस भेजा है।
दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने फिल्म 'राम सेतु' के लिए फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार कुमार को निशाने पर ले लिया है। राज्यसभा के पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने रविवार को फिल्म 'राम सेतु' में सही तथ्यों के साथ उनकी उपस्थिती को दर्ज कराने के लिए न केवल अभिनेता अक्षय कुमार बल्कि अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडीस और नुसरत भरुचा के साथ-साथ फिल्म 'राम सेतु' के निर्माताओं को भी कानूनी नोटिस भेजा है।
स्वामी ने एडवोकेट सत्य सभरवाल के जरिए भेजे नोटिस में आरोप लगाया है कि उन्होंने रामसेतु के विषय को विभिन्न अदालतों के समक्ष आगे बढ़ाने का काम किया है और अगर फिल्म में अदालती कार्यवाही को चित्रित किया जा रहा है तो फिल्म में मूल तथ्यों को सही चित्रण के फिल्माना चाहिए।
समाचार वेबसाइट 'द न्यू इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक स्वामी के वकील सत्य सभरवाल ने नोटिस में यह भी कहा है, "अदालत की कार्यवाही पिछली सरकारों द्वारा ध्वस्त किए जा रहे राम सेतु को बचाने का प्रमुख हथियार है और यदि इसे फिल्म में चित्रित किया जा रहा है, तो उसमें मेरे मुवक्किल द्वारा शुरू की गई अदालती कार्यवाही को फिल्म में शामिल किया जाता है तो उन्हें मेरे मुवक्किल को मान्यता देनी होगी और फिल्म मूल तथ्यों के सही चित्रण और फिल्म में मूल याचिकाकर्ता के नाम भी प्रयोग में लाया जाना चाहिए।”
इसके साथ ही स्वामी ने वकील के माध्यम से यह भी मांग की है कि पूर्व में घटित गलत तथ्यों और परिस्थितियों के फैसे मिथ्याकरण को दूर करने के लिए पूर्व सांसद स्वामी को फिल्म निर्माता राम सेतु से संबंधित अदालती कार्यवाही की स्क्रिप्ट को साझा करें ताकि वो देख सकें कि फिल्म रामसेतु के संबंध में उनके किये गये प्रयासों के साथ न्याय कर रही है या नहीं।
सुब्रमण्यम स्वामी ने नोटिस में इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण हल करने के लिए निर्माताओं से कहा है कि वे फिल्म के शुरुआती क्रेडिट में अदालतों के माध्यम से उनके योगदान को स्वीकार करें और फिल्म में शामिल किये गये तथ्यों के सटीक चित्रण की जांच करने के लिए उन्हें रिलीज से पहले फिल्म देखने के लिए आमंत्रित करें।
स्वामी की नोटिस में फिल्म निर्माताओं से कहा गया है कि "कानून में भी यह विषय अच्छी तरह से स्थापित है कि किसी भी काम में किसी भी व्यक्ति के पितृत्व अधिकारों को मान्यता देने के लिए लिखित अनुबंध की आवश्यकता नहीं होती है। पितृत्व का अधिकार किसी भी योगदान देने वाले व्यक्ति के नैतिक अधिकारों का एक अभिन्न अंग है। स्वामी के द्वारा माननीय मद्रास हाईकोर्ट और अब माननीय सुप्रीम कोर्ट में रामसेतु के लिए की गई अदालती कार्यवाही इस बात को प्रमाणित करता है, इसे जीवंत बनाने में उनका बहुत बड़ा योगदान है।”