Khandaani Shafakhana Review: सेक्स पर खुलकर बोलती है सोनाक्षी की फिल्म 'खानदानी शफाखाना'
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: August 2, 2019 10:11 AM2019-08-02T10:11:07+5:302019-08-02T10:11:07+5:30
फिल्म खानदानी शफाखाना सेक्स पर खुलकर बात करती है। आइए जानते हैं कैसी है खानदानी शफाखाना-
फिल्म – खानदानी शफाखाना
कलाकार –सोनाक्षी सिन्हा, बादशाह, वरुण शर्मा, अन्नू कपूर, कुलभूषण खरबंदा
निर्देशक – शिल्पी दासगुप्ता
स्टार-2/5
दबंग गर्ल सोनाक्षी सिन्हा की फिल्म खानदानी शफाखाना अपने विषय को लेकर चर्चा में बनी हुई है। फिल्म में कॉमेडी को बखूबी पेश किया गया है। खास बात ये है इस फिल्म से पहली बार रैपर बादशाह एक्टिंग में अपना डेब्यू कर रहे हैं। फिल्म खानदानी शफाखाना सेक्स पर खुलकर बात करती है। आइए जानते हैं कैसी है खानदानी शफाखाना
फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी है छोटे शहर होशियारपुर में रहने वाली बॉबी बेदी (सोनाक्षी सिन्हा) की है, जो मेडिकल सेल्स रिप्रजेंटेटिव है। उसके घर पर वह मां (नादिरा जहीर बब्बर) और निकम्मे भाई भूषित बेदी (वरुण शर्मा) है जिसकी जिम्मेदारियों से वह जूझ रही है। बहन की शादी के लिए बॉबी ने चाचा से पैसे उधार लिए जिसके बदले वह उसका पुश्तैनी घर हड़पना चाहते हैं। ऐसे में एक बार बॉबी के मामा (कुलभूषण खरबंदा) अपने पुश्तैनी सेक्स क्लीनिक खानदानी शफाखाना और लाखों की संपत्ति को बॉबी के नाम कर जाते हैं, मगर इस शर्त के साथ कि बॉबी मामाजी के पुराने मरीजों का इलाज करे और 6 महीने तक सेक्स क्लिनिक को सफलतापूर्वक चलाए।
कर्ज चुकाने और अपने घर को बचाने के लिए बॉबी लड़की होकर सेक्स क्लीनिक चलाने की चुनौती को स्वीकार तो कर लेती है, मगर उसके बाद उसे घर और समाज से विरोध और घृणा का सामना करना पड़ता है। देखना होगा फिल्म में कि क्या बॉबी 6 महीने तक क्लीनिक चला पाती है या फिर समाज के तानों के परेशान हो जाती है।
एक्टिंग
अपने थोड़े से रोल में अन्नू कपूर सबसे ज्यादा प्रभाव छोड़ते नजर आ रहे हैं। सोनाक्षी की बात करें तो उन्होंने भी बहुत बेतर प्रयास किया लेकिन फिर भी वह चूकती नजर आई हैं। वरुण शर्मा को देखकर लगेगा कि वह फुकरे के किरदार से बाहर ही नहीं आए हैं। बादशाह ने एक्टिंग करने की कोशिश की है लेकिन इसमें उनके रैप जैसा जादू नज़र नहीं आया। कुलभूषण खरबंदा हमेशा की तरह छाप छोड़ने में कामयाब हुए हैं।
कैसी है फिल्म
फिल्म एक बोल्ड सब्जेक्ट पर बनाई गई है। फर्स्ट टाइम निर्देशक शिल्पी दासगुप्ता ने इस तरह की शानदार कोशिश की है। एक अच्छे सब्जेक्स के साथ कॉमेडी को पेश किया गया है लेकिन कहानी कुछ ढिलाई देखने को मिल रही है फिर भी। फिल्म बीच-बीच में अपनी पकड़ खो देती है, हां छोटे शहर के माहौल और मानसिकता को निर्देशक सटीक रूप से दर्शाने में कामयाब रही है।
फिल्म का क्लाइमेक्स मजेदार है। सोनाक्षी की तारीफ की जा सकती है एक ऐसे सब्जेक्स में खुद को ढालना काफी मुश्किलों से भरा रहा होगा और वह कुछ जगह एक दम फिट बैठती नजर आई हैं।सोनाक्षी के लव इंट्रेस्ट के रूप में नवोदित प्रियांश जोरा क्यूट लगे हैं, मगर उनका रोल ज्यादा बड़ा नहीं था। बादशाह ने भी एक अच्छी कोशिश की है। एक्टिंग के मामले में ही फिल्म थोड़ी सी कमजोर कही जा सकती है। फिलहाल कई जगह चूकती नजर आई है ये कहा जा सकता है फिल्म और बेहतर कर सकती थी।