सुचित्रा सेन एक ऐसी अभिनेत्री जिसने सत्यजीत रे और राजकपूर जैसे दिग्गज के साथ काम करने से मना कर दिया था

By भारती द्विवेदी | Published: April 6, 2018 03:04 AM2018-04-06T03:04:13+5:302018-04-06T03:04:13+5:30

सुचित्रा सेन अपनी शर्तों पर काम करने के लिए मशहूर थीं।

remembering suchitra sen on her Birthday | सुचित्रा सेन एक ऐसी अभिनेत्री जिसने सत्यजीत रे और राजकपूर जैसे दिग्गज के साथ काम करने से मना कर दिया था

सुचित्रा सेन एक ऐसी अभिनेत्री जिसने सत्यजीत रे और राजकपूर जैसे दिग्गज के साथ काम करने से मना कर दिया था

सुचित्रा सेना का जन्म बांग्लादेश के पबना जिले (पहले भारत) में 6 अप्रैल 1931 का हुआ और नाम रखा गया रोमदास गुप्ता। पिता करुण अमोय दास गुप्ता एक लोकल स्कूल में हेडमास्टर थे और मां इंदिरा देवी घर संभाला करती थीं। सुचित्रा अपने मां-बाप की पांचवीं संतान थीं और उनकी पढ़ाई-लिखाई पबना जिले में ही हुई। साल 1947 में सुचित्रा सेन की शादी एक बेहद ही अमीर बिजनेसमैन आदिनाथसेन के बेटे देबोनाथ सेन से हुई थी। इनदोनों की बेटी हुई मुनमुन सेन। मुनमुन सेन भी आगे चलकर फिल्मी दुनिया का बड़ा नाम बनीं। लगभग तीन दशक तक अपनी एक्टिंग जरिए लोगों के दिलों में छाप छोड़ने वाली सुचित्रा सेन 17 जनवरी 2014 को हार्ट अटैक के कारण दुनिया को अलविदा कह दिया।

पहली फिल्म जो कभी रिलीज नहीं हुई

सुचित्रा सेन ने साल 1952 में फिल्म 'शेष कौथाए' से फिल्मी दुनिया में कदम रखा लेकिन ये फिल्म कभी रिलीज ही नहीं हुई। साल 1953 में डायरेक्टर निर्मल देब की फिल्म 'साड़े चुयात्तर' में उत्तम कुमार के साथ पर्दे पर दिखीं। इनदोनों की ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही। इसके बाद सुचित्रा सेन और उत्तम कुमार की जोड़ी को लोगों ने खूब पसंद किया। उनदोनों साथ में तीस फिल्में में काम किया था। सुचित्रा सेन और उत्तम कुमार को बंगाली फिल्म इतिहास की सबसे रोमांटिक और सफल जोड़ी माने जाते हैं। सुचित्रा सेन ने अपनी पूरी फिल्मी करियर के दौरान 52 बंगाली और चार हिंदी फिल्मों में काम किया था। विमल राय की फिल्म 'देवदास' में जहां वो पारो बनीं थीं वहीं साल 1975 में आई गुलजार की फिल्म 'आंधी' में देवी की किरदार को अपनी एक्टिंग से जींवत कर दिया था।

विदेशी अवॉर्ड से सम्मानित पहली भारतीय अभिनेत्री

साल 1963 में सुचित्रा सेन ने वो कारनामा कर दिखाया जो अब तक भारत में किसी और अभिनेता या अभिनेत्री नहीं किया था। मास्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में फिल्म 'सात पाके बंधा' के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से नवाजा गया था। इस अवॉर्ड को हासिल करने वाली वो पहली भारतीय अभिनेत्री बन गई थीं।

सत्यजीत रे और राजकपूर जैसे दिग्गजों के साथ काम करने से किया इंकार 

महान फिल्म डायरेक्टर सत्यजीत रे सुचित्रा सेना के साथ फिल्म करना चाहते थे। नॉवेल देवी चौधरानी पर आधारित फिल्म का आइडिया लेकर सत्यजीत रे उनके पास गए थे लेकिन सुचित्रा सेन डेट्स की समस्या बता कर फिल्म करने से साफ इंकार कर दिया। नतीजतन सत्यजीत रे ने वो फिल्म कभी बनाई ही नहीं। वहीं बॉलीवुड में शोमैन के नाम से मशहूर राजकपूर ने भी सुचित्रा सेन को आरके बैनर के तले फिल्म करने के लिए बहुत कहा लेकिन सुचित्रा सेन ने उन्हें भी साफ मना कर दिया था।

जब दादासाहब फाल्के पुरस्कार लेने से किया इंकार 

साल 1980 के बाद सुचित्रा सेन ग्लैमर की दुनिया से खुद को दूर कर लिया। वो ना कहीं जाती और ना किसी से मिलती। उनका ये वैरागी जीवन बहुत लंबे समय तक चला। साल 2005 में जब उन्हें प्रतिष्ठित दादासाहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा था, तब उन्होंने उसे लेने से मना कर दिया। सुचित्रा सेन ने कहा था कि उस अवॉर्ड को उनके घर भेज दिया जाए। इस अवॉर्ड को लेने के लिए एक बार फिर से वो उस चकाचौंध भरी दुनिया में वापस नहीं आएंगी। लिहाजा ये अवॉर्ड उन्हें नहीं दिया गया।

Web Title: remembering suchitra sen on her Birthday

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