राज खोसला बर्थडे: गुरु दत्त से सीखी फिल्ममेकिंग, वहीदा रहमान और महेश भट्ट को दिया पहला ब्रेक
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: May 31, 2018 07:20 AM2018-05-31T07:20:08+5:302018-05-31T07:20:08+5:30
देव आनन्द के कहने पर गुरु दत्त ने राज खोसला को बाजी (1951) फिल्म में अपने सहायक के तौर पर मौका दिया था। बाद में गुरु दत्त ने सीआईडी (1956) में राज खोसला को निर्देशक के तौर पर ब्रेक दिया।
हिन्दी फिल्म जगत को वहीदा रहमान जैसी प्रतिभाशाली अभिनेत्री, सीआईडी, वो कौन थी?, मेरा साया, एक मुसाफिर एक हसीना, दो रास्ते, मेरा गाँव मेरा देश, मैं तुलसी तेरे आंगन की और दोस्ताना जैसी यादगार फिल्में देने वाले निर्माता-निर्देशक राज खोसला की आज जयंती है। 31 मई 1925 पंजाब के लुधियाना में पैदा हुए खोसला बॉम्बे गायक बनने के लिए पहुँचे थे। फिल्मों में काम की तलाश के साथ ही खोसला ऑल इंडिया रेडियो के म्यूजिक स्टॉफ के तौर पर काम करते थे।
खोसला की फिल्म जगत में एंट्री में देव आनन्द का अहल योगदान था। स्ट्रगल के दौरान ही खोसला की देव आनन्द से दोस्ती हो गई थी। देव आनन्द अपने प्रोडक्शन हाउस की फिल्म के लिए अपने दोस्त गुरु दत्त को डॉयरेक्टर के तौर लाए थे। देव आनन्द ने खोसला से पूछा कि क्या वो गुरु दत्त के असस्टेंट डायरेक्टर के तौर काम करेंगे। खोसला ने हाँ कर दिया। 26 साल की उम्र में खोसला को बाज़ी (1951) में सहायक निर्देशक का काम मिल गया। फिल्म का निर्माण देव आनंद के प्रोडक्शन हाउस नवकेतन फिल्म्स के बैनर तले हो रहा था। राज खोसला को पहली फिल्म से फिल्म जगत के सबसे प्रतिभाशाली लोगों के साथ काम करने का मौका मिल गया। बाज़ी का पटकथा और संवाद बलराज साहनी ने लिखे थे। गीत साहिर लुधियानवी ने। संगीत एसडी बर्मन ने दिया था। फिल्म में मुख्य भूमिका देव आनंद, गीता बाली और कल्पना कार्तिक ने निभायी थी।
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खोसला ने करीब चार साल तक गुरु दत्त के सहायक के तौर पर काम किया। उन्हें बहुत जल्द ही डायरेक्टर के तौर पर मौक मिल गया। गुरु दत्त ने अपने प्रोडक्शन हाउस की फिल्म सीआईडी (1956) में राज खोसला को निर्देशक के तौर पर ब्रेक दिया। फिल्म में देव आनन्द और वहीदा रहमान मुख्य भूमिका में थी। सीआईडी वहीदा रहमान की डेब्यू फिल्म थी। फिल्म के लेखक थे इंदर राज आनन्द और संगीत दिया था ओपी नैयर ने। फिल्म बॉक्स-ऑफिस पर जबरदस्त हिट रही।
सीआईडी (1956) के बाद राज खोसला ने एक मुसाफिर एक हसीना (1962) वो कौन थी? (1964), मेरा साया (1966) दो रास्ते(1969), मेरा गाँव मेरा देश(1971), मैं तुलसी तेरे आंगन की (1978) और दोस्ताना (1980) जैसी सुपरहिट फिल्में दीं। इस दौरान उन्होंने देव आनन्द के अलावा राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा, विनोद खन्ना जैसे अभिनेताओं को निर्देशित किया। वहीं वहीदा रहमान, साधना और आशा पारेख, मुमताज और नूतन जैसे अपनी समय की अग्रणी अभिनेत्रियों ने उनके संग काम किया। महिला प्रधान फिल्मों के कारण उन्हें "वुमन डायरेक्टर" भी कहा गया। खोसला की फिल्मों में उनके गुरु गुरु दत्त की तरह की गीत और संगीत का अहम रोल रहता था। सीआईडी से लेकर "दोस्ताना" तक उन्होंने अपनी ज्यादातर फिल्मों के माध्यम से सिनेजगत को यादगार गीत दिए।
ऐसे शानदार सिनेमाई करियर के बारे में पढ़कर आप सोच रहे होंगे कि राज खोसला के फिल्म सफर सुनहरा रहा। किसी फैसले पर पहुँचने से पहले आप राज खोसला की जबानी ही उनकी कहानी सुन लीजिए। निर्माता-निर्देशक महेश भट्ट ने अपना फिल्म करियर राज खोसला के असिस्टेंट के तौर पर शुरू किया था। अपनी मृत्यु से पहले खोसला ने भट्ट से कहा था, "मुझे फिल्ममेकिंग से प्यार है लेकिन फिल्म इंडस्ट्री से नफरत है। ये हारा हुआ खेल है, जिसमें किसी की जीत नहीं होती।" शानदार फिल्मी करियर और बॉलीवुड के कड़वे अनुभव के साथ ही नौ जून 1991 को राज खोसला ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
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